Manipur violence: मणिपुर में इंटरनेट चालू होते ही बिगड़े हालात, फिर भड़के दंगे, 13 की मौत
Manipur violence: स्थानीय प्रशासन ने बताया है कि मारे गये लोगों की पहचान नहीं हो पा रही है। 13 बरामद शवों के लिए अभी तक किसी परिवार ने दावा नहीं पेश किया है। इससे अनुमान लगाया जा रहा है कि मारे गये लोग लेटिथु गांव के निवासी नहीं थे। वे यहां राज्य के अन्य हिस्सों से शायद रोजगार के सिलसिले में आये थे।
Manipur violence: मणिपुर में इंटरनेट सेवा बहाल होते ही फिर से हिंसा भड़क गई। सोमवार को हिंसा की घटना में 13 लोगों की मौत हो गई। सुरक्षा बलों ने अधिकारियों से कहा कि दोपहर के करीब टेंगनौपाल जिले के साइबोल के पास लेटिुथु गांव में मिलिटेंटस के दो समूहों के बीच जमकर गोलीबारी हुई। इसमें 13 लोगों की जान चली गयी।
दोनों समुदायों के बीच तब हिंसक झड़प शुरू हो गयी, जब बंद इंटरनेट सेवा को बहाल किया गया। गौरतलब है कि राज्य के हिंसा प्रभावित जिलों में पिछले सात महीने से इंटरनेट सेवा पर बैन लगा दिया गया था। ऐसा माना जा रहा था कि इंटरनेट पर बैन से हिंसक झड़पों को नियंत्रित किया जा सकेगा। लेकिन आज की घटना ने सरकार की इस रणनीति पर सवाल खड़े कर दिये हैं।
नहीं हो रही शवों की पहचान
स्थानीय प्रशासन ने बताया है कि मारे गये लोगों की पहचान नहीं हो पा रही है। 13 बरामद शवों के लिए अभी तक किसी परिवार ने दावा नहीं पेश किया है। इससे अनुमान लगाया जा रहा है कि मारे गये लोग लेटिथु गांव के निवासी नहीं थे। वे यहां राज्य के अन्य हिस्सों से शायद रोजगार के सिलसिले में आये थे। जानकारी के अनुसार हिंसक झड़प वाला स्थान सुरक्षा बलों के कैंप से महज दस किलोमीटर की दूरी पर है। सुरक्षा बलों को 13 लोगों के शव एक ही इलाके में अलग-अलग स्थानों पर, कुछ दूरी पर मिले हैं। पुलिस मामले की पड़ताल शुरू कर चुकी है।
मई से जारी है हिंसा
मणिपुर में आदिवासी सुविधा और अधिकारों की मांग को लेकर इसी साल मई से हिंसक झड़प हो रही है। हिंसक झड़प राज्य के मैतेई और कुकी समुदाय के बीच हो रही है। इसमें अब तक लगभग दो सौ लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। वहीं, पांच हजार से अधिक लोग बेघर हो चुके हैं। तीन मई से ही राज्य में इंटरनेट सेवा को बंद कर दिया गया था। इससे पहले 23 सितंबर को इंटरनेट सेवा पर से बैन हटाया गया था। इस समय भी दंगे हो गये थे। इसके बाद इंटरनेट सेवा पर फिर से प्रतिबंध लगा दिया गया था।