मणिपुर में सात भाजपा विधायकों ने अपने ही CM के खिलाफ खोला मोर्चा, आयोग गठित करके भूमिका की जांच की मांग

Manipur Politics: विधायकों का कहना है कि राज्य में हुई भीषण हिंसा के दौरान मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की भूमिका संदिग्ध रही है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update:2024-08-22 09:37 IST

Manipur CM N Biren Singh  (Photo:social media )

Manipur Politics: मणिपुर में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। विपक्षी दलों की ओर से लंबे समय से उन्हें हटाने की मांग की जा रही है। अब उनके लिए बड़ी दिक्कत यह पैदा हो गई है कि भाजपा के सात विधायकों ने ही अपने सीएम के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। राज्य के 10 कूकी विधायकों ने मुख्यमंत्री के खिलाफ जांच करने की मांग की है और इनमें से सात विधायक भाजपा से जुड़े हुए हैं।

इन विधायकों का कहना है कि राज्य में हुई भीषण हिंसा के दौरान मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की भूमिका संदिग्ध रही है। इसलिए आयोग गठित करके उनके खिलाफ जांच की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि इस जांच में मुख्यमंत्री दोषी पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।

कूकी विधायकों ने सीएम की भूमिका को संदिग्ध बताया

मणिपुर में भीषण हिंसा का दौरा भले ही खत्म हो गया हो, लेकिन राज्य के हालात अभी भी तनावपूर्ण बने हुए हैं। अभी भी राज्य में कूकी और मैतेई समुदायों के बीच तनातनी बनी हुई है। मुख्यमंत्री वीरेंद्र सिंह का ताल्लुक मैतेई समुदाय से है और इसलिए कूकी समुदाय से जुड़े विधायक हमेशा उन्हें कठघरे में खड़ा करते रहे हैं। राज्य के 10 कूकी विधायकों ने साझा बयान जारी करते हुए भीषण हिंसा के दौर में मुख्यमंत्री की भूमिका को संदिग्ध बताया है।

इन विधायकों ने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री ने कूकी समुदाय के नरसंहार की छूट दी थी। मैतेई समुदाय के उपद्रवी तत्वों को छूट देकर कूकी समुदाय को निशाना बनाया गया था। इसलिए मुख्यमंत्री की भूमिका की जांच जरूरी है। विधायकों ने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह जब मणिपुर के दौरे पर आए थे तो उन्होंने जनता के खिलाफ बमों का प्रयोग करने पर मुख्यमंत्री को फटकार भी लगाई थी।

सीएम के खिलाफ कार्रवाई का दबाव बढ़ा

विधायकों ने कहा कि गृह मंत्री की फटकार के बावजूद मुख्यमंत्री के रवैए में कोई बदलाव नहीं आया। गृह मंत्री के मणिपुर से जाने के बाद मणिपुर के लोगों पर फिर बम बरसाए गए। उन्होंने कहा कि पूरे राज्य में पुलिस बल से करीब पांच हजार हथियार लूटे गए मगर अभी तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इन लूट गए हथियारों का उपयोग हिंसा भड़काने के लिए किया गया।

विधायकों ने साझा बयान में कहा कि मुख्यमंत्री को यह कहते हुए सुना गया है कि हिंसा के घटनाओं में कूकी समुदाय के 300 लोग मारे गए हैं। कूकी समुदाय के लोग मुझे गाली दे सकते हैं मगर मैतेई समुदाय से जुड़े हुए लोग ऐसा नहीं करेंगे। भाजपा के सात विधायकों के खुलकर मैदान में उतरने से भाजपा की मुश्किलें बढ़ती हुई दिख रही हैं। इसके साथ ही अब पार्टी पर मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के खिलाफ कार्रवाई करने का दबाव भी बढ़ गया है।

राज्य सरकार ने टेप को फर्जी बताया

इन विधायकों ने मारी मणिपुर टेप्स के नाम से एक ऑडियो टेप भी जारी किया है। दूसरी ओर राज्य सरकार ने 7 अगस्त को जारी किए गए टेप को फर्जी करार दिया है। राज्य सरकार का कहना है कि इस टेप के जरिए एक बार फिर अफवाह फैलाने का काम किया जा रहा है। राज्य सरकार ने कहा कि इस मामले में केस दर्ज कर लिया गया है। इस टेप का प्रसार करने में जुटे लोगों के खिलाफ अब कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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