मशहूर चित्रकार मंजीत बावा: राष्ट्रीय पुरस्कार से किया गया था सम्मानित, जानें रोचक बातें

रंगो से पेंटिंग परिदृश्य में क्रांति लाने वाले चित्रकार मंजीत बावा का जन्म 1941 में धूरी, पंजाब में हुआ था। वर्ष 1958 से 1963 के बीच मंजीत बावा ने दिल्ली के कॉलेज ऑफ आर्ट्स में ललित कला की शिक्षा प्राप्त की।

Update:2020-12-29 12:32 IST
मशहूर चित्रकार मंजीत बावा , राष्ट्रीय पुरस्कार से हुए सम्मानित

रंगो से पेंटिंग परिदृश्य में क्रांति लाने वाले चित्रकार मंजीत बावा का जन्म 1941 में धूरी, पंजाब में हुआ था। वर्ष 1958 से 1963 के बीच मंजीत बावा ने दिल्ली के कॉलेज ऑफ आर्ट्स में ललित कला की शिक्षा प्राप्त की। वही साल 2008 में मंजीत बावा का 29 दिसंबर को लंबी बीमारी के चलते निधन हो गया था।

ऐसे बने मंजीत बावा एक चित्रकार

मंजीत बावा का कहना था कि श्री सेन उनसे रोज पचास स्कैच बनवाते थे जिनमें से जादातर रद्द कर देते थे। यही से उनका रेखांकन का अभ्यास शुरू हुआ किसे बाद से उनकी ऐसे काम करने की आदत बन गई। चित्रकार की शिक्षा प्राप्त करने के लिए मंजीत बावा ब्रिटेन गए , जहां उन्होंने सिल्कस्क्रीन पेंटिग की कला में महारत हासिल की। कुछ सालों तक वह ब्रिटेन में ही रहे और वहा बतौर एक सिल्कस्क्रीन पेंटर कार्य किया। जब वह भारत लौटे तब उन्होंने भारतीय पौराणिक कथाओं और सूफी पात्रों को अपनी चित्रकला का विषय बनाया।

एक कुशल बांसुरी वादक भी रहे

आपको बता दें, कि मंजीत बावा एक मशहूर चित्रकार होने के साथ-साथ एक कुशल बांसुरी वादक भी रहे। सूफी गायन और दर्शन में वे विशेष रुचि रखते थे। मंजीत बावा ने बचपन में महाभारत की पौराणिक कथाएं, वारिस शाह के काव्य और गुरू ग्रन्थ साहिब को सुना और उनसे प्रेरणा प्राप्त की। चित्रकला में उनका अपना अलग अंदाज था।

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मिले कई पुरस्कार

मंजीत बावा ने अपने चित्रों के ज़रिए भारतीय पौराणिक कथाओं को बिलकुल ही नए तरीके से पेश किया। कहां जाता है कि एक चित्रकार को प्रकृति से गहरा लगाव होता है। मंजीत बावा भी प्रकृति प्रेमी थे. उन्होंने अपने चित्रों में पशु- पक्षियों और प्रकृति को विशेष महत्व दिया। अपने सभी चित्रों में उन्होंने परंपरागत भारतीय रंगों लाल, बैंगनी, पीले रंगों का इस्तेमाल किया। उनकी बनाई कई पेंटिंग करोड़ों के दामों में खरीदी गई हैं। मंजीत बावा को उनके चित्रों के लिए कई पुरूस्कार भी मिले। 1963 में उन्हें सैलोज पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 1980 में ललित कला अकादमी से उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार मिला और सन् 2005-06 में उन्हें प्रतिष्ठित कालिदास सम्मान प्राप्त हुआ।

बता दें, किअपनी पेंटिंग में मंजीत बावा ने श्रीकृष्ण-राधा, माँ काली और भगवान शिव के चित्र बनाए यहाँ तक की हीर रांझा जैसे चरित्रों को भी जगह दी।

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