Manmohan Singh: मनमोहन सिंह ने सुषमा स्वराज के लिए बोली थी मिर्जा ग़ालिब की शायरी, सदन में लगे थे हंसी के ठहाके
Manmohan Singh Shayari: पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के तमाम किस्सों में एक खास किस्सा संसद में उनके द्वारा बोली गई शायरी भी है।
Manmohan Singh Shayari: पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का कल 26 दिसंबर देर रात निधन हो गया। वर्तमान में उनकी उम्र 92 साल थी। उनके निधन के बाद पूरे देश में सात दिनों का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया है। सारी राष्ट्रीय कार्यक्रम सात दिनों के लिए रद्द कर दिए गए है। पूरा देश आज मनमोहन सिंह के जाने से दुःखी है। कल रात से ही देश के तमाम बड़े नेताओं पोस्ट मनमोहन सिंह के लिए किये जा रहे हैं। न सिर्फ भारत बल्कि तमाम बड़े देशों ने भी मनमोहन सिंह के निधन पर शोक व्यक्त किया है।
आज हर कोई मनमोहन सिंह के जुड़े पुराने किस्सों को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि दे रहा है। इस समय एक किस्सा सोशल मीडिया पर काफी ज्यादा सुर्ख़ियों में है जब उन्होंने भरी सदन में सुषमा स्वराज के लिए मिर्जा ग़ालिब के शेर पढ़े थें। अक्सर सदन में चर्चा के दौरान मनमोहन सिंह अपना जवाब किसी न किसी शेर के माध्यम से देते थे जिससे पूरे सदन में जोर दार ठहाके बजने लगते थे। उन्ही में से एक किस्से का जिक्र यहां बताया जा रहा है।
मनोहन सिंह ने पढ़ा मिर्जा ग़ालिब का शेर
दरसअल ये बात 15वीं लोकसभा की है। जब मनमोहा सिंह देश के प्रधानमंत्री थे। और सदन में विपक्ष की तरफ से सुषमा स्वराज और मनमोहन सिंह के बीच वाद-विवाद हो रहा था। तब बीजेपी पर हमला बोलते हुए मनमोहन सिंह ने मिर्जा ग़ालिब का एक शेर पढ़ा था। जिसमें उन्होंने कहा, ‘हम को उनसे वफा की है उम्मीद, जो नहीं जानते वफा क्या है।' जिसका जवाब सुषमा स्वराज ने भी शायरी के जरिये ही दिया था। सुषमा स्वराज ने बशीर बद्र की रचना पढ़ते हुए जवाब दिया, ‘कुछ तो मजबूरियां रही होंगी, यूं ही कोई बेवफा नहीं होता।’
अपना जवाब देने के बाद सुषमा स्वराज ने फिर कहा कि अगर जवाब में दो शेर नहीं पढ़े तो ऋण बाकी रह जाएगा। फिर दूसरे शेर में सुषमा स्वराज ने कहा, 'तुम्हें वफा याद नहीं, हमें जफा याद नहीं, जिंदगी और मौत के दो ही तराने हैं, एक तुम्हें याद नहीं, एक हमें याद नहीं।' सुषमा स्वराज के ऐसा कहने के बाद पूरे सदन में खूब ठहाके लगे थे। और मनमोहन सिंह अपनी सीट पर बैठकर मुस्कुरा रहे थे।
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माना कि तेरे दीद के काबिल नहीं हूं मैं- मनमोहन सिंह
23 मार्च 2011 की एक और घटना काफी ज्यादा सुर्ख़ियों में रही है। जहाँ सुषमा स्वराज और मनमोहन सिंह के बीच शायरी के जरिये एक दूसरे को जवाब दिया गया था। इस दिन सदन में खड़े होकर सुषमा स्वराज ने मनमोहन सिंह से कहा था, ‘‘ना इधर-उधर की तू बात कर, ये बता कि काफिला क्यों लुटा, हमें रहज़नों से गिला नहीं, तेरी रहबरी का सवाल है।” जिसके जवाब में मनमोहन सिंह बड़े ही सादगी से खड़े होकर इकबाल के एक शेर के जरिये कहते हैं, ‘माना कि तेरे दीद के काबिल नहीं हूं मैं, तू मेरा शौक देख, मेरा इंतजार देख।”