मोहन भागवत से मिले मौलाना मदनी, जानें क्या हुई बात?

जानकारी के मुताबिक, दोनों नेताओं के बीच में शुक्रवार शाम को ये बैठक हुई। अरशद मदनी के करीबियों ने इस बैठक की पुष्टि की है।

Update: 2019-08-31 11:20 GMT

नई दिल्ली: जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी ने शुक्रवार (30 अगस्त) को राष्ट्रीय स्वयं सेवा संघ(आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की।

जानकारी के मुताबिक, दोनों नेताओं के बीच में शुक्रवार शाम को ये बैठक हुई। अरशद मदनी के करीबियों ने इस बैठक की पुष्टि की है।

एक सूत्र ने बताया, ''दोनों की मुलाकात की भूमिका लंबे से तैयार हो रही थी और इसके लिए भाजपा के पूर्व संगठन महासचिव राम लाल मुख्य रूप से प्रयासरत थे। आखिरकार दोनों संगठनों के प्रमुख शुक्रवार रात मिले।''

उन्होंने कहा, ''मौलाना मदनी ने आरएसएस प्रमुख से कहा कि हिंदू-मुस्लिम एकता और सांप्रदायिक सद्भाव के बिना हमारा देश बड़ी ताकत नहीं बन सकता।

उन्होंने भीड़ द्वारा हत्या, घृणा अपराधों की घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत पर भी जोर दिया। एनआरसी और कुछ अन्य मुद्दों पर भी बात हुई।''

जमीयत के एक पदाधिकारी ने यह भी कहा, ''इस मुलाकात का यह कतई मतलब नहीं है कि हम आरएसएस के नजरिये का समर्थन करते हैं, लेकिन देश की एकजुटता और तरक्की के लिए हमें बातचीत करने से कोई परहेज नहीं है।''

गौरतलब है कि लंबे अरसे बाद जमीयत प्रमुख और आरएसएस के सरसंघचालक के बीच मुलकात हुई है। इससे पहले 2004 में तत्कालीन संघ प्रमुख केएस सुदर्शन और उस वक्त के जमीयत प्रमुख मौलाना असद मदनी के बीच इंडिया हैबिटेट सेंटर में एक कार्यक्रम के दौरान मुलाकात हुई थी।

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आरक्षण पर भागवत के बयान पर संघ ने दी सफाई

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने आरक्षण पर सरसंघचालक मोहन भागवत की टिप्पणी से पैदा हुए विवाद को अनावश्यक करार देते हुए खारिज कर दिया।

संघ ने कहा कि वह महज इस आवश्यकता पर बल दे रहे थे कि समाज में सद्भावनापूर्वक परस्पर बातचीत के आधार पर सभी प्रश्नों के समाधान ढूंढ़े जाएं।

आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख अरूण कुमार ने एक ट्वीट में कहा, 'जहां तक संघ का आरक्षण के विषय पर मत है, वह कई बार स्पष्ट किया जा चुका है कि अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और आर्थिक आधार पर पिछड़ों के आरक्षण का (आरएसएस) पूर्ण समर्थन करता है।'

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कुमार ने ट्वीट में कहा कि दिल्ली में एक कार्यक्रम में दिए मोहन भागवत के भाषण के एक भाग पर अनावश्यक विवाद खड़ा किया जा रहा है।

गौरतलब है कि भागवत ने रविवार को कहा था कि जो आरक्षण के पक्ष में हैं और जो इसके खिलाफ हैं, उन लोगों के बीच इस पर सद्भावपूर्ण माहौल में बातचीत होनी चाहिए।

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