गहलोत से इसलिए नाराज हैं मायावती, नहीं भूल सकी हैं राजस्थान में मिला वह दर्द

गहलोत पर निशाना साधते हुए सूबे में राजनीतिक अस्थिरता के मद्देनजर राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है। बसपा मुखिया मायावती की गहलोत से नाराजगी नई नहीं है।

Update: 2020-07-18 13:43 GMT

अंशुमान तिवारी

लखनऊ: राजस्थान के सियासी संकट में अब उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती भी कूद पड़ी है। उन्होंने गहलोत पर निशाना साधते हुए सूबे में राजनीतिक अस्थिरता के मद्देनजर राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है। बसपा मुखिया मायावती की गहलोत से नाराजगी नई नहीं है। दरअसल गहलोत ने मायावती को इतना बड़ा झटका दिया था जिसका दर्द वे आज तक नहीं भूल सकी हैं। यही कारण है कि मौका मिलने पर उन्होंने गहलोत पर करारा हमला बोला है।

मायावती की नाराजगी का कारण

मायावती की सीएम गहलोत से नाराजगी का सबसे बड़ा कारण राजस्थान में बसपा के टिकट पर चुनाव जीतने वाले छह विधायकों को तोड़ना रहा है। 2018 में राजस्थान विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस को 200 सीटों में से 100 सीटों पर विजय हासिल हुई थी। उसके सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल का एक विधायक चुनाव जीतने में कामयाब रहा था। बसपा ने इस विधानसभा चुनाव में अपनी ताकत का एहसास कराते हुए छह सीटों पर विजय हासिल की थी।

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बसपा के टिकट पर चुनाव जीतने वालों में राजेंद्र गुढा, लाखन सिंह मीणा, जोगेंद्र सिंह अवाना, वाजिद अली, दीपचंद खेरिया और संदीप यादव शामिल थे। राजस्थान में छह सीटों पर मिली विजय से मायावती भी काफी खुश हुई थीं और उन्होंने बसपा की बढ़ती ताकत को लेकर लंबे चौड़े दावे किए थे मगर मायावती की यह खुशी बहुत ज्यादा दिनों तक नहीं टिक सकी क्योंकि गहलोत ने उन्हें जबर्दस्त झटका दे दिया।

गहलोत ने दिया था इतना बड़ा झटका

गहलोत ने अपनी सरकार पर मंडराते खतरे को दूर करने के लिए बसपा के टिकट पर चुनाव जीतने वाले सभी विधायकों को कांग्रेस में शामिल करा दिया। इससे मायावती काफी खफा हो गईं और उन्होंने उस समय भी कांग्रेस सरकार पर बड़ा हमला बोला था। उन्होंने कांग्रेस पर लोकतंत्र की हत्या करने का आरोप लगाया था। यही कारण है कि मायावती कोई भी मौका मिलने पर गहलोत पर हमला करने से नहीं चूकतीं।

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पिछले साल दिसंबर में कोटा के अस्पताल में बच्चों की लगातार मौत के मुद्दे पर भी वह काफी मुखर हुई थीं और कांग्रेस से गहलोत को सीएम पद से हटाने की मांग की थी। उस समय उन्होंने कहा था कि 100 माताओं की कोख उजड़ने के मामले में कांग्रेस को सिर्फ अपनी नाराजगी ही नहीं जतानी चाहिए। कांग्रेस को तत्काल वहां के मुख्यमंत्री को हटाकर किसी सही व्यक्ति को इस पद पर बैठाना चाहिए।

सूबे में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग

राजस्थान के मौजूदा सियासी संकट ने मायावती को एक बार फिर गहलोत को घेरने का मौका दे दिया है। उन्होंने गहलोत पर दलबदल कानून का खुला उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। अपने पुराने दर्द को याद करते हुए मायावती ने कहा कि बसपा के साथ लगातार दूसरी बार धोखेबाजी की गई और हमारे विधायकों को कांग्रेस में शामिल कराया। उन्होंने फोन टेप कराने को लेकर भी गहलोत पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि गहलोत ने फोन टेप कराकर गैरकानूनी और असंवैधानिक काम किया है।

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उन्होंने राज्यपाल से राजस्थान के सियासी संकट का संज्ञान लेने और राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करने का अनुरोध किया है ताकि राज्य में लोकतंत्र की और ज्यादा दुर्दशा न हो। मायावती के इस बयान से साफ है अपने छह विधायकों के पाला बदल कर कांग्रेस में शामिल होने के दर्द को वे आज तक नहीं भूल सकी हैं। इसी कारण मौका मिलने पर उन्होंने राजस्थान के सीएम गहलोत को एक बार फिर घेरा है।

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