विदेश मंत्री जयशंकर बोले: हम चीन का नाम लेने से नहीं डरते, राहुल को तीखा जवाब, कब्जा 1962 में हुआ तो आरोप मोदी पर क्यों?
S. Jaishankar: विदेश मंत्री ने बीबीसी डॉक्यूमेंट्री के प्रसारण की टाइमिंग पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ा सवाल यह है कि बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री इस समय क्यों रिलीज की गई?
S. Jaishankar: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आज कांग्रेस को तीखा जवाब देते हुए कहा कि हम चीन से तनिक भी नहीं डरते हैं। राहुल गांधी और कांग्रेस की ओर से उठाए जा रहे सवालों के जवाब में जयशंकर ने कहा कि भारत चीन से नहीं डरता है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन का नाम लेने से नहीं डरते हैं। विदेश मंत्री ने सवाल पूछते हुए कहा कि अगर हम डरते हैं तो चीन सीमा पर भारतीय सेना को किसने भेजा? चीनी बॉर्डर पर भारतीय सेना को चीन का मुकाबला करने के लिए राहुल गांधी ने नहीं बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भेजा है।
विदेश मंत्री ने बीबीसी डॉक्यूमेंट्री के प्रसारण की टाइमिंग पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ा सवाल यह है कि बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री इस समय क्यों रिलीज की गई। 1984 में भी देश में बहुत कुछ हुआ था मगर बीबीसी ने उस पर कभी कोई डॉक्यूमेंट्री नहीं बनाई। देश में चुनावी साल शुरू हुआ कि नहीं यह तो नहीं पता मगर लंदन और न्यूयॉर्क में चुनावी साल की शुरुआत जरूर हो चुकी है।
बॉर्डर पर सेना राहुल ने नहीं मोदी ने भेजी
विदेश मंत्री ने कहा कि एलएसी पर चीन का मुकाबला करने के लिए अब तक की सबसे बड़ी सेना तैनात की गई है। इस सेना को राहुल गांधी ने नहीं बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ही भेजा है। उन्होंने कहा कि अगर हम चीन से डरते होते तो चीन का मुकाबला करने के लिए सीमा पर इतनी भारी संख्या में सैनिकों की तैनाती नहीं की जाती।
एएनआई को दिए गए एक इंटरव्यू के दौरान विदेश मंत्री से पूछा गया कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी का आरोप है कि प्रधानमंत्री मोदी और आप चीन का नाम लेने से डरते हैं तो इसके जवाब में विदेश मंत्री ने कहा- C H I N A। हम चीन का नाम लेने से कभी नहीं डरते।
मैं स्पष्ट तौर पर चीन का नाम ले रहा हूं। न तो मैं और न प्रधानमंत्री मोदी चीन का नाम लेने से डरते हैं। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस और राहुल गांधी की ओर से अक्सर चीन के मुद्दे पर पीएम मोदी की घेरेबंदी की जाती रही है। राहुल गांधी का आरोप है कि प्रधानमंत्री मोदी चीन का नाम लेने से डरते हैं।
1962 में चीन ने किया था अवैध कब्जा
विदेश मंत्री ने कहा कि कांग्रेस और विपक्षी दलों की ओर से आरोप लगाया जाता रहा है कि पैंगोंग झील के पास चीन की ओर से ब्रिज बनाया जा रहा है। इस तरह के आरोप लगाने वालों को यह जानना चाहिए कि यह इलाका 1962 से ही चीन के अवैध कब्जे में बना हुआ है। यह अवैध कब्जा 1962 में किया गया और इस संबंध में आरोप मौजूदा प्रधानमंत्री मोदी पर लगाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि हमने भारतीय सीमाओं की सुरक्षा के लिए इतिहास का सबसे बड़ा डिप्लॉयमेंट चीनी बॉर्डर पर किया है। हमारी सेनाएं चीन का मुकाबला करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। ऐसे में चीन से डरने के संबंध में आरोप लगाने वालों को सच्चाई जाननी चाहिए।
चीन के संबंध में सच्चाई सबके सामने
विदेश मंत्री ने कहा कि हमारे खिलाफ चीन के प्रति उदार होने के संबंध में लगाए जा रहे आरोपों में भी कोई दम नहीं है। उन्होंने कहा कि बॉर्डर पर इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने के लिए सरकार की ओर से पांच गुना अधिक खर्च किया गया है।
ऐसे में समझा जा सकता है कि चीन के प्रति हमारी सरकार ने क्या रवैया अपना रखा है। सच्चाई सबके सामने है कि कौन इतिहास के साथ खेलने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा कि अगर चीन के मामले में राहुल गांधी के पास ज्यादा जानकारी और बेहतर बुद्धिमत्ता है तो वे उनकी बात सुनने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।