मोदी सरकार की बड़ी कार्रवाई, सभी 22 अलगाववादी और सैकड़ों नेताओं की छीनी सुरक्षा
पुलवामा आतंकी हमले के बाद केंद्र की मोदी सरकार ने एक और बड़ा फैसला लिया है। अब सरकार ने 18 और अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा छीन ली है। इसके अलावा जम्मू और कश्मीर के 155 से ज्यादा राजनीतिक व्यक्तियों की भी सुरक्षा में बदलाव किया गया है।
नई दिल्ली: पुलवामा आतंकी हमले के बाद केंद्र की मोदी सरकार ने एक और बड़ा फैसला लिया है। अब सरकार ने 18 और अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा छीन ली है। इसके अलावा जम्मू और कश्मीर के 155 से ज्यादा राजनीतिक व्यक्तियों की भी सुरक्षा में बदलाव किया गया है।
गृह मंत्रालय की ओर से सुरक्षा हटाए जाने या कम करने को लेकर एडवाइजरी जारी कर दी गई है। इससे पहले भी सरकार ने पुलवामा हमले के बाद सख्त कदम उठाते हुए चार अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा वापस ली थी। मोदी सरकार की इस कार्रवाई के बाद अब सभी 22 हुर्रियत नेताओं की सुरक्षा हटा दी गई है।
जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लागू है। पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे। इस घटना के बाद कश्मीर घाटी में अलगाववादी नेताओं पर केंद्र सरकार लगातार कड़ी कार्रवाई कर रही है। जिन प्रमुख हुर्रियत नेताओं की सुरक्षा वापस ली गई है उनमें एसएएस गिलानी, अगा सैयद मौसवी, मौलवी अब्बास अंसारी, यासीन मलिक, सलीम गिलानी, शाहिद उल इस्लाम, जफर अकबर भट, नईम अहमद खान, फारुख अहमद किचलू, मसरूर अब्बास अंसारी, अगा सैयद अब्दुल हुसैन, अब्दुल गनी शाह, मोहम्मद मुसादिक भट और मुख्तार अहमद वजा शामिल हैं।
इसके अलावा 155 राजनीतिक व्यक्तियों और कार्यकर्ताओं की भी सुरक्षा में बदलाव किया गया है। इन्हें उनके खतरे के आकलन और उनकी गतिविधियों के आधार पर सुरक्षा दी गई थी। इसमें शाह फैसल भी शामिल हैं, जिन्होंने IAS से इस्तीफा देकर नेशनल कॉन्फ्रेंस ज्वॉइन की थी। गृह मंत्रालय के मुताबिक इन हुर्रियत नेताओं और राजनीतिक व्यक्तियों की सुरक्षा में 1000 से अधिक पुलिसकर्मी और 100 से अधिक सरकारी गाड़ियां लगी हुई थीं, जो अब वापस ले ली गई हैं।
इससे पहले 17 फरवरी को भी राज्य सरकार ने अलगाववादी नेताओं मीरवाइज उमर फारूक, प्रफेसर अब्दुल गनी भट, बिलाल लोन, हाशिम कुरैशी और शबीर अहमद शाह की सुरक्षा वापस लेने का फैसला किया था।
जम्मू-कश्मीर सरकार ने चार अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा वापस ली थी। इसके बाद हुर्रियत कॉन्फ्रेंस की प्रतिक्रिया सामने आई थी। एक बयान में हुर्रियत की ओर से कहा गया कि उन्होंने कभी सुरक्षा नहीं मांगी थी। मीरवाइज उमर फारूक के नेतृत्व वाले हुर्रियत कॉन्फ्रेंस ने कहा कि सरकार ने खुद ही अलगाववादी नेताओं को सुरक्षा मुहैया कराने का फैसला किया था, जिसकी कभी मांग नहीं की गई।