रहस्यों से भरा चांद! यकीन मानिये चंद्रमा पर है धन्वंतरि का खजाना

आज हम बात करते हैं चंद्रमा की, क्या आप को मालूम है चांद की धरती में छिपा हो सकता है ढेर सारा खज़ाना! यह बात अभी तक रहस्य बनी हुई है। क्या इसी लिए सभी चांद पर जाने की तैयारी कर रहे हैं, क्या अभी भी वहां समुद्र मंथन के प्राप्त मूल्यवान धातु या खज़ाना मौजूद है?

Update:2023-03-31 00:54 IST

नई दिल्ली: समुद्र मंथन के बारे में आप सभी तो सुने ही होंगे। पौराणिक कथानुसार समुद्र मंथन के दौरान हलाहल विष, उच्चैसवा घोड़ा, ऐरावत हाथी, कौस्तुभ मणि, कामधेनु गाय, कल्पवृक्ष, देवी लक्ष्मी, अप्सरा रंभा, पारिजात पौधा, वारूणी देवी, शंख, चंद्रमा, धन्वंतरि देव और अमृत निकला था।

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आज हम बात करते हैं चंद्रमा की, क्या आप को मालूम है चांद की धरती में छिपा हो सकता है ढेर सारा खज़ाना! यह बात अभी तक रहस्य बनी हुई है।

क्या इसी लिए सभी चांद पर जाने की तैयारी कर रहे हैं, क्या अभी भी वहां समुद्र मंथन के प्राप्त मूल्यवान धातु या खज़ाना मौजूद है? हम सभी जानते हैं कि CHANDRAYAAN-2 के तहत भारत आज चांद पर उतरेगा।

दरअसल, धरती और चांद पर मूल्यवान धातु की मौजूदगी के संबंध में किए गए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि पृथ्वी के इकलौते उपग्रह चांद के गर्भ में मूल्यवान धातुओं का बहुत बड़ा भंडार छुपा हो सकता है।

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डलहौजी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर कहा...

कनाडा स्थित डलहौजी विश्वविद्यालय में प्रोफेसर जेम्स ब्रेनन के मुताबिक, हम चांद पर मौजूद ज्वालामुखी पत्थरों में पाए जाने वाले सल्फर का संबंध चांद के गर्भ में छुपे आयरन सल्फेट से जोड़ने में सफल रहे हैं।

इलके साथ ही ब्रेनन ने कहा कि धरती पर मौजूद धातु भंडार की विश्लेषण से पता चलता है कि प्लैटिनम और पलाडियम जैसी मूल्यवान धातुओं की मौजूदगी के लिए आयरन सल्फाइड बहुत महत्वपूर्ण है।

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खास बात यह है कि वैज्ञानिकों का लंबे समय से अनुमान है कि चांद का निर्माण धरती से निकले एक बड़े ग्रह के आकार के गोले से करीब 4.5 अरब साल पहले हुआ है। दोनों के इतिहास में समानता की वजह से ऐसा माना जाता है कि दोनों की बनावट भी मिलती-जुलती है।

नेचर जियोसाइंस...

बताया जा रहा है कि ‘‘नेचर जियोसाइंस'' में प्रकाशित अध्ययन में चांद को लेकर किए गए अध्ययन का ब्यौरा दिया गया है।

ब्रेनन ने कहा कि हमारे नतीजे बताते हैं कि चंद्रमा की चट्टानों में सल्फर की मौजूदगी, उसकी गहराई में आयरन सल्फाइड की उपस्थिति का अहम संकेत है। हमारे विचार से, जब लावा बना तब कई बहुमूल्य धातुएं पीछे दब गईं।

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ऐसे में देखना रोचक होगा कि भारत के इसरो की तरफ से 14 जुलाई 2019 को भेजा गया चन्द्रयान, इन सभी रहस्यों के बीच क्या नया लाता है, क्या झूठ है क्या सच है जल्दी ही तमाम बातों पर विराम लग जायेगा। जैसे जैसे चन्द्रयान से तस्वीरें इसरो को मिलती जायेगी, इन सभी रहस्यों से पर्दा उठता जायेगा।

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