नाहरगढ़ का खौफ: डरावने किले का राज, कैसे फंस गए दोनों भाई
Nahargarh Fort: नाहरगढ़ की पहाड़ियों में दो भाइयों के गायब हो जाने के बाद एक बार फिर नाहरगढ़ किले का भूतिया इतिहास चर्चा का विषय बन गया है।
Nahargarh Fort: आज से 45000 लाख वर्ष पहले प्रिकेंबियन युग में अरावली नाम की एक पर्वतमाला की उत्पत्ति हुई। यह संसार की सबसे प्राचीन पर्वत श्रृंखला है। यह राजस्थान को उत्तर से दक्षिण दो भागों में बांटती है। इसकी लंबाई पालनपुर, गुजरात से रायसीना पहाड़ी, दिल्ली तक लगभग 692 किलीमीटर है। हालांकि इस पहाड़ी का 79.49% विस्तार राजस्थान में है। इसी राजस्थान की राजधानी जयपुर में सवाई राजा जयसिंह द्वितीय ने सन 1734 में एक किला बनवाया। इसे जयपुर को घेरे हुए अरावली पर्वतमाला के ऊपर ही बनाया गया है। इस किले को आज नाहरगढ़ के किले के रूप में जाना जाता है।
रोचक है नाहरगढ़ का इतिहास
किले के नाम के पीछे बड़ी रोचक, भूतिया और डरावनी कहानी है। इस किले की चर्चा देश विदेश में होती है। एक बार फिर नाहरगढ़ की पहाड़ियों की चर्चा तेज हो गई है। कारण है एक सितंबर को दो भाइयों का संदिग्ध रूप से गायब हो जाना। जिनमें से एक की लाश मिली मगर छह दिन बीत जाने के बाद भी दूसरे का शव नहीं मिला। Newstrack की इस रिपोर्ट में हम आपको नाहरगढ़ किले के डरावने इतिहास के साथ हाल ही में हुई गायब होने की घटना के बारे में बताएंगे।
1734 में हुआ सुदर्शनगढ़ का निर्माण
राजस्थान की खूबसूरती में किलों का बड़ा योगदान है। नाहरगढ़ किला भी उनमें से एक है। किले से जयपुर शहर को देखा जा सकता है। राजस्थान में राजतंत्र के दौरान सुरक्षा के लिहाज से इसका निर्माण किया गया था। आमेर किला और जयगढ़ किला के साथ नाहरगढ़ किला शहर के लिए एक मजबूत रक्षा घेरा था। नाहरगढ़ से पहले इस किले का नाम सुदर्शनगढ़ था। नाम बदलने के पीछे भी कहानी है। 1734 में निर्माण के बाद साल 1868 में इसका विस्तार किया गया। माना जाता है कि इसके निर्माण के दौरान कई भूतिया गतिविधियां देखी गईं। इससे वहां काम करने वाले मजदूर डर जाते थे। कहा जाता है कि दिन में जो निर्माण किया जाता था वह रात में अपने आप नष्ट हो जाता था।
सुदर्शनगढ़ बना नाहरगढ़
ऐसा होने के पीछे कारण बताया जाता है कि इस जगह पर युवराज नाहर सिंह की मौत हुई थी। कहा जाता है कि युवराज नाहर सिंह की प्रेतात्मा चाहती थी कि किले का नाम उनके नाम पर रखा जाए। बाद में तमाम भूतिया गतिविधियों को शांत करने के लिए किले के भीतर नाहर सिंह का एक मंदिर बनवाया गया। साथ ही किले का नाम युवराज के नाम पर नाहरगढ़ किला रखा गया। नाहर का शाब्दिक अर्थ बाघ होता है। नाहरगढ़ यानी जहां बाघों का निवास हो। इसी के बाद से इसकी भूतिया गतिविधियों और खूबसूरती की चर्चा देश विदेश में होती है।
एक साथ दो भाई नाहरगढ़ में गायब
नाहरगढ़ एक बार फिर चर्चा में तब आया जब दो भाई नाहरगढ़ की पहाड़ियों में गायब हो गए। 1 सितंबर की सुबह 6 बजे शास्त्रीनगर, जयपुर के रहने वाले दो भाई राहुल और आशीष नाहरगढ़ की पहाड़ियों में ट्रैकिंग के लिए पहुंचे। सुबह से दोपहर तक ट्रेकिंग चलती है। इस बीच उनकी घर पर भी बात होती है। घर पर बताया कि दोनों का साथ छूट गया है। बिछड़ने की वजह से वह कुछ समझ नहीं पा रहे हैं। दोपहर 1:30 बजे 19 और 21 साल के दो बेटे गायब हो जाने की रिपोर्ट परिजनों ने शास्त्रीनगर पुलिस थाने को दी। मगर पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करने की जगह बताया कि मामला ब्रह्मपुरी थाने का है।
सर्च में उतरी पुलिस, NDRF और SDRF की टीम
दोपहर 3.30 बजे घरवाले ब्रह्मपुरी थाने पहुंचते हैं। मगर यहां भी पुलिस ने कार्रवाई नहीं की। मामले की सूचना डीसीपी को दी गई। डीसीपी ने पहले सिविल डिफेंस की एक टीम भेजी। आसमान से बरसता पानी और डूबते सूरज में ऑपरेशन आसान नहीं रहा। फोन पर दोनों भाइयों से कनेक्ट करने की कोशिश की गई। मगर कोई बात नहीं हो सकी। दो सितंबर की सुबह उनकी लोकेशन ट्रेस की गई। आखिरी लोकेशन के आधार पर सर्च अगले दिन यानी दो सितंबर को फिर शुरु हुआ। मामला गंभीर होता जा रहा था। अब सिविल डिफेंस के साथ SDRF और NDRF की टीम भी मौके पर पहुंचती है।
छोटे भाई का मिला शव
सुबह करीब दस बजे सर्च टीम को छोटा भाई यानी 19 साल का आशीष मिलता है। मगर जिंदा नहीं, मुर्दा। शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया जाता है। पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आती है। पता चलता है कि आशीष की मौत चोट लगने से हुई है। मगर चोट कैसी है यह पता नहीं चलता। शायद ऊंचाई से गिरने की वजह से। मगर यह महज एक कयास है। मृत युवक का फोन भी बरामद हुआ। कॉल रिकार्ड निकाले गए। पता चला कि दोनों भाई एक फाइनेंस कंपनी में काम करते थे। दोनों की कंपनी में काम करने वाली एक लड़की से बात भी हुई थी। केस का रुख मुड़ा गया। अब इसे हत्या, साजिश और आकस्मिक मौत तीनों से जोड़ कर देखा जा रहा है। मौत की गुत्थी उलझी हुई है।
छह दिन बाद भी बड़े भाई का कोई पता नहीं
दूसरे भाई यानी राहुल की खोज शुरु की जाती है। गंभीरता को देखते हुए 200 लोगों की टीम उतार दी गई। ड्रोन उड़ाए गए। सर्च ऑपरेशन अभी भी जारी है। सिविल डिफेंस, SDRF और NDRF के साथ सर्च में जुड़े सभी के हाथ खाली हैं। आज दोनों भाइयों के गायब होने के छह दिन बाद बड़े भाई का छोटा सा भी सुराग नहीं मिल सका है। मामला गंभीर इसलिए भी है क्योंकि बड़े भाई का शव ट्रैकिंग के रूट से करीब चार किलोमीटर दूर मिला था। ये वह एरिया है जहां अमूमन कोई नहीं जाता। इन घने जंगलों में खौफनाक पैंथर यानी तेंदुए भी मौजूद हैं।
फिर चर्चा में भूतिया इतिहास
अब गायब होने के पीछे नाहरगढ़ के भूतिया इतिहास को भी जोड़ा जा रहा है। एक भाई का पोस्टमार्टम होने और सच न सामने आने के बाद भूतिया चर्चा तूल पकड़ रही है। किले के निर्माण के दौरान दिन में हुआ काम रात में नष्ट हो जाता था। जिसका आज तक सही कराण नहीं पता चला। इस केस को भी लोग उसी एंगल से जोड़ कर देख रहे हैं। भूतिया इतिहास एक बार फिर जीवित हो उठा है। सच्चाई क्या है इसे अब तक पता नहीं किया जा सका है। फिलहाल सर्च जारी है।