Har Ghar Tiranga: जानिये किसने दिलाया घर-घर तिरंगा फहराने, टोपी लगाने का अधिकार
Har Ghar Tiranga: अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में है जिसकी शुरुआत सोशल मीडिया पर डीपी में तिरंगा लगाने के अभियान से हो चुकी है।
Har Ghar Tiranga: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को घर-घर तिरंगा फहराने का अधिकार मिलने के लगभग दो दशक बाद इस 15 अगस्त को घर-घर तिरंगा फहराने का आह्वान कर एक तिरंगा आंदोलन (Har Ghar Tiranga ) का रूप दे दिया है। ये आंदोलन किसी के खिलाफ नहीं बल्कि आजादी के अमृत महोत्सव (Aazadi ka Amrit Mahotsav) के उपलक्ष्य में है जिसकी शुरुआत सोशल मीडिया पर डीपी में तिरंगा लगाने के अभियान से हो चुकी है। लेकिन हमारा विषय यह नहीं हमारा विषय है घर-घर तिरंगा फहराने का अधिकार हमें कब मिला इसे किसने दिलाया और इसके लिए क्या कानूनी लड़ाई लड़ी गई।
26 जनवरी 2002 का एक अलग स्थान
हमारे प्यारे राष्ट्रध्वज के इतिहास में 26 जनवरी 2002 का एक अलग स्थान है। इससे पहले आम नागरिकों को किसी भी दिन अपने घर पर तिरंगा फहराने की इजाजत नहीं थी। इस ऐतिहासिक तारीख को इंडियन फ्लैग कोड में संशोधन किया गया और आम नागरिकों को कहीं भी कभी भी गर्व के साथ राष्ट्रीय झंडा फहराने का मौका मिला। इस अधिकार को मिलने के बाद नागरिक गर्व के साथ अपने घरों, कार्यालयों और फैक्ट्रियों में झंडा फहराने के लिए आजाद हैं।
हालांकि तिरंगा फहराने में आपको ये बात हमेशा ध्यान रखनी होगी कि किसी भी रूप में तिरंगे का अनादर न होने पाए। क्योंकि तिरंगे का किसी भी रूप में अनादर करने की स्थिति में प्रीवेंशन ऑफ इंसल्ट्स टू नैशनल ओनर ऐक्ट, 1971 के तहत आप सजा के हकदार हो जाएंगे।
इस कानून में 2003 में संशोधन किया गया है। इसके तहत पहली बार जुर्म करने पर 3 साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। दोबारा जुर्म करने पर कम से कम एक साल सजा का प्रावधान है। आपने अक्सर 15 अगस्त व 26 जनवरी के अवसर पर असावधानीवश तिरंगे को उलटा फहराने आदि की खबरों को पढ़ा होगा। ये सब तिरंगे के अपमान की श्रेणी में आता है।
एक बात और अब भारतीय नागरिक रात में भी तिरंगा फहरा सकते हैं। इसके लिए शर्त होगी कि झंडे का पोल वास्तव में लंबा हो और झंडा खुद भी चमके। बदरंग,फटा हुआ झंडा फहराने पर आप सजा के हकदार हो जाएंगे।
कौन है वो शख्स जिसने दिलाया अधिकार
अब जानते हैं उस शख्स के बारे में जिसने लगभग एक दशक लंबी कानूनी लड़ाई के बाद देश के नागरिकों को तिरंगा अपने घर प्रतिष्ठान में फहराने का अधिकार दिलाया। वह शख्स थे हिसार के उद्योगपति एवं पूर्व सांसद नवीन जिंदल। नवीन जिंदल (Naveen Jindal) चाहते थे कि देश के लोग जब मन करे तब तिरंगे को फहरा सकें।
इसकी खास वजह थी कि अमेरिका में पढ़ाई दौरान नवीन जिंदल ने अमेरिकियों के देश के प्रति उनके प्रेम और राष्ट्रध्वज के प्रति लगाव को देखा था। वह अपने झंडे को हर दिन सम्मानपूर्वक घर, दफ्तर कहीं भी फहराते थे। इसके लिए उन्हें किसी खास दिन का इंतजार नहीं करना होता था। उन्होंने अमेरिकियों के देश प्रेम पर शोध किया। जिसमें वह इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि अमेरिकियों की देशभक्ति में सच्चाई है और इसकी प्रेरणा उन्हें उनके लाल, सफेद और नीले रंग के राष्ट्रीय ध्वज से मिलती है। इसके बाद तो तिरंगे को अपनी दिनचर्या में शामिल कराना उनका जुनून बन गया।
नवीन जिंदल के जुनून ने दिलाया अधिकार
इसी जुनून के तहत नवीन जिंदल ने देश में बदलाव का साथी बनने का फैसला किया वहां से लौटने के बाद बिलासपुर के तत्कालीन संभागीय आयुक्त ने जिन्दल को उनकी रायगढ़ स्थित फैक्टरी में नियमित रूप से तिरंगा फहराने से साफ मना कर दिया। जिंदल ने कोर्ट का खटखटाया दरवाजा, नौ साल लड़ाई लड़ी। घर, कपड़ों या कहीं पर भी तिरंगा लगाने की मंजूरी के लिए नवीन जिंदल 1995 में दिल्ली हाईकोर्ट गए। आखिर 23 जनवरी 2004 को वह शुभ दिन आया जब सुप्रीम कोर्ट से विजय पताका लहराते हुए जिंदल पूरे देश में छा गए। इसके बाद जन-जन तक देशभक्ति की भावना पहुंचाने के लिए शुरू हुई नवीन जिन्दल की तिरंगा यात्रा, आज तक अनवरत जारी है।
आपको बता दें कि जिंदल की इस जीत से पहले कोई भी व्यक्ति तिरंगा टोपी नहीं पहन सकता था, अपने कपड़ों पर लैपल पिन या किसी अन्य रूप में तिरंगे का उपयोग नहीं कर सकता था। जिंदल के प्रयास से इसकी आजादी मिल गई।
नवीन जिंदल के ही प्रयासों से दिसंबर 2009 में गृह मंत्रालय ने रात में तिरंगा फहराने के उनके प्रस्ताव पर सशर्त सहमति दे दी। मंत्रालय ने कहा कि जहां समुचित रोशनी की व्यवस्था हो, वहां इमारत या विशाल खंभे पर तिरंगा रात में भी फहराया जा सकता है। इसके लिए जिन्दल ने 72 कीर्ति ध्वज स्तंभ पूरे देश में लगवाए हैं। इसके बाद 2010 में नवीन जिन्दल ने लोकसभा अध्यक्ष से इस बात की सहमति ली कि कोई भी सांसद संसद भवन में लैपल पिन के माध्यम से तिरंगा लगाकर अपनी देशभक्ति का प्रदर्शन कर सकता है।