Punjab: दो कट्टर सियासी दुश्मन एक ही जेल में, सिद्धू वहां पहुंचे जहां मजीठिया पहले से बंद
Punjab: पंजाब के सियासी हलकों में अब इस बात की खूब चर्चा हो रही है कि दो कट्टर विरोधी एक ही जेल में पहुंच गए हैं। अंतर सिर्फ इतना है कि मजीठिया का मामला अदालत में विचाराधीन है।
Navjot Sidhu And Bikram Majithia In Patiala Jail : पंजाब की सियासत में हमेशा विरोधियों को घेरने वाले नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) इस समय खुद बड़ी मुसीबत में घिर गए हैं। सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने 34 साल पुराने रोड रेज मामले (Road Rage Case) में पंजाब प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सिद्धू को एक साल जेल की सजा सुनाई है और शुक्रवार को सरेंडर के मामले में उन्हें शीर्ष अदालत से कोई राहत नहीं मिल सकी। पटियाला में सिद्धू के सरेंडर करने के बाद उन्हें पटियाला सेंट्रल जेल भेजा जा चुका है।
दिलचस्प बात ये है, कि सिद्धू के सबसे बड़े विरोधी और अकाली दल के नेता बिक्रमजीत सिंह मजीठिया (Akali Dal leader Bikramjit Singh Majithia) भी इन दिनों इसी पटियाला जेल में बंद हैं। मजीठिया को जेल भिजवाने में सिद्धू की बड़ी भूमिका मानी जाती है। चरणजीत सिंह चन्नी के मुख्यमंत्री बनने के बाद सिद्धू ने मजीठिया के खिलाफ कार्रवाई का दबाव बनाया था। इसी के बाद पंजाब पुलिस ने आनन-फानन में कार्रवाई करते हुए ड्रग्स केस (Drugs Case) में मजीठिया को जेल भेज दिया था।
सिद्धू के दबाव पर जेल भेजे गए मजीठिया
पटियाला कोर्ट में शुक्रवार को सिद्धू के सरेंडर करने के बाद कागजी कार्यवाही पूरी की गई। बाद में माता कौशल्या अस्पताल में सिद्धू की मेडिकल जांच की गई। इसके बाद पुलिस सिद्धू को लेकर पटियाला सेंट्रल जेल पहुंच गई। अब सिद्धू और उनके कट्टर विरोधी माने जाने वाले अकाली नेता बिक्रमजीत सिंह मजीठिया एक ही जेल में दिन रात गुजारेंगे। मजीठिया से सिद्धू की सियासी दुश्मनी पंजाब की सियासत में छिपी नहीं है। दोनों एक-दूसरे पर सियासी हमले करते रहे हैं। पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह और चरणजीत सिंह चन्नी की सरकार के समय सिद्धू ने मजीठिया के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था और उन्हें ड्रग्स केस में जेल भेजने के लिए सरकार पर भारी दबाव बनाया था। जानकारों का कहना है कि सिद्धू के मोर्चा खोलने के बाद ही चन्नी सरकार सक्रिय हुई थी और मजीठिया के ठिकानों पर छापेमारी करके उनकी गिरफ्तारी की गई थी।
एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरे
पंजाब के पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान सिद्धू के चुनौती देने पर मजीठिया अमृतसर ईस्ट विधानसभा सीट से उनके खिलाफ चुनावी अखाड़े में कूद पड़े थे। हालांकि, मजीठिया की परंपरागत विधानसभा सीट मजीठा रही है, मगर उन्होंने सिद्धू की चुनौती को स्वीकार करते हुए अपना चुनाव क्षेत्र तक बदल लिया था। मजीठिया का कहना था कि मैं सिद्धू की चुनौती को स्वीकार करते हुए ही अमृतसर ईस्ट सीट पर चुनाव मैदान में उतरा हूं और उन को हराकर ही दम लूंगा। मजीठिया के चुनाव मैदान में उतरने के बाद सिद्धू अपने चुनाव क्षेत्र में ही फंस गए थे और उन्होंने पंजाब की दूसरी सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों के लिए काफी कम प्रचार किया था। इसे लेकर कांग्रेस नेताओं ने सवाल भी खड़े किए थे। कांग्रेस नेताओं का कहना था कि जब पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष को अपनी सीट पर ही भरोसा नहीं है तो वे दूसरी सीटों पर कांग्रेस को कैसे जिताएंगे।
दोनों को झेलनी पड़ी पहली हार
अमृतसर ईस्ट सीट पर इन दो सियासी दिग्गजों के अलावा आप प्रत्याशी जीवनजोत कौर और भाजपा प्रत्याशी पूर्व आईएएस अफसर जगमोहन राजू भी किस्मत आजमाने के लिए चुनाव मैदान में उतरे थे। चुनावी नतीजे में आप प्रत्याशी जीवनजोत कौर ने सभी को हतप्रभ करते हुए इस चुनाव में जीत हासिल की थी। इस सीट पर सिद्धू और मजीठिया दोनों सियासी दिग्गजों को हार का सामना करना पड़ा था। 2004 में अमृतसर लोकसभा सीट पर पहली जीत हासिल करने के बाद सिद्धू को अपने सियासी जीवन में हमेशा जीत हासिल हुई थी मगर 2022 के चुनाव में उन्हें अपने सियासी जीवन की पहली हार का सामना करना पड़ा था। दूसरी और लंबे समय से सियासी मैदान में सक्रिय मजीठिया को भी आज तक सिर्फ जीते ही हासिल हुई थी मगर पहली बार वे भी हार झेलने पर मजबूर हुए थे।
अब एक ही जेल में पहुंचे धुर विरोधी
पिछले विधानसभा चुनाव में मजीठिया पहले दो सीटों पर चुनाव लड़ने वाले थे। उनका इरादा अमृतसर ईस्ट के साथ ही अपनी परंपरागत मजीठा सीट पर भी चुनाव लड़ने का था। बाद में सिद्धू को चुनौती देने पर उन्होंने मजीठा सीट से अपनी पत्नी गुनीव कौर को चुनाव मैदान में उतार दिया था और खुद सिर्फ अमृतसर ईस्ट से ही चुनाव मैदान में उतरे। अपनी परंपरागत सीट पर मजीठिया ने एक बार फिर अपनी ताकत दिखाते हुए पत्नी को जीत दिला दी थी मगर अमृतसरी ईस्ट पर उन्हें खुद हार का सामना करना पड़ा।
पंजाब के सियासी हलकों में अब इस बात की खूब चर्चा हो रही है कि दो कट्टर विरोधी एक ही जेल में पहुंच गए हैं। अंतर सिर्फ इतना है कि मजीठिया का मामला अदालत में विचाराधीन हैऔर उन्हें जमानत भी मिल सकती है जबकि सिद्धू को अब कैदी के रूप में एक साल की सजा काटनी होगी।