Parcel Scam: सावधान! पार्सल स्कैम में पुलिस बन कर की जा रही ठगी, एक कॉल में होता है खेल
Parcel Scam: भारत में साइबर घोटाले के मामलों में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है। ज्यादा परेशान करने वाली बात यह है कि घोटालेबाज लोगों को धोखा देने के लिए लगातार नए तरीके ईजाद कर रहे हैं।
Parcel Scam: नोएडा से लेकर लखनऊ और इंदौर से लेकर कोयंबटूर तक एक नया खतरनाक स्कैम लोगों को फंसा कर उनसे लाखों रुपए लूट रहा है। इस स्कैम में लोगों को पुलिस, गिरफ्तारी, मुकदमे की झूठी धमकियां दी जाती हैं।
दरअसल, भारत में साइबर घोटाले के मामलों में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है। ज्यादा परेशान करने वाली बात यह है कि घोटालेबाज लोगों को धोखा देने के लिए लगातार नए तरीके ईजाद कर रहे हैं। जिससे लोग इन साइबर धोखाधड़ी का शिकार हो जाते हैं। ऐसा ही एक घोटाला जो बीते एक डेढ़ साल में बढ़ता जा रहा है वह है कूरियर या पार्सल घोटाला।
क्या है ये स्कैम समझिए स्टेप बाई स्टेप
- स्कैम की शुरुआत किसी पीड़ित को एक लोकप्रिय अंतरराष्ट्रीय कूरियर फर्म की 'कस्टमर सर्विस' से होने का दावा करने वाले नंबर से कॉल आने से होती है।
- ये कॉल ऑटोमैटिक आईवीआरएस के रूप में होगी।
- आप जब ऑप्शन दबाएंगे तो कोई व्यक्ति अपने को कस्टमर सर्विस का कर्मचारी बताएगा।
- कर्मचारी आपका नाम जानता है। वह आपको नाम से संबोधित करेंगे।
- घोटालेबाज पीड़ितों को सूचित करते हैं कि उनके आधार नंबर से जुड़ा एक पैकेज पकड़ा गया है और उस पैकेज में अवैध वस्तुओं का पता चला है।
- अगर पीड़ित किसी भी पैकेज को भेजने से इनकार करता है या कहता है कि उसके पास कोई पैकेज आने वाला भी नहीं है, तो ठग दावा करते हैं कि आपके नाम से एक पार्सल मुम्बई में आया है या मुम्बई से भेजा गया है जिसे संदेह होने पर कस्टम/पुलिस के पास भेजा गया और जांच में पता चला है कि पार्सल में अवैध सामग्री है। अवैध सामग्री में ड्रग्स, हथियार या कुछ और बताया जाएगा।
- कॉलर आपको धमकाने के अंदाज़ में सख्ती से बात करता है। ये संदेह और भय पैदा करने के लिए किया जाता है।
- पीड़ित से उसका आधार नम्बर पूछा जाता है।
- दबाव डालने के लिए पीड़ित को सूचित किया जाता है कि उनकी कॉल साइबर अपराध पुलिस को ट्रांसफर कर दी जाएगी।
- शुरुआती कॉल के बाद पीड़ितों को मामले की जांच कर रहे "पुलिस अधिकारी" की ड्रेस में एक व्यक्ति से स्काइप कॉल प्राप्त होती है।
- इसके बाद वह "अधिकारी" पीड़ित के आधार और पैन कार्ड विवरण जैसी संवेदनशील जानकारी मांगता है। इसके बाद वे पीड़ित को घर में नजरबंद रखने के लिए एफआईआर और वारंट दिखाने लगते हैं।
- ये सब जालबट्टा ऑनलाइन ही होता है ताकि शिकार के दिलोदिमाग में इमरजेंसी स्थिति और कानूनी मुसीबत में पड़ने की भावना को बढ़ाया जा सके।
- डराने धमकाने के बाद कानूनी परिणामों से बचने के लिए जालसाज पीड़ित को पैसे ट्रांसफर करने का निर्देश देता है। लोग डर के मारे अपना एकाउंट नम्बर आदि विवरण साझा कर देते हैं और ठग एकाउंट से पैसे निकाल लेते हैं।
कैसे बचें?
ऐसी ठगी, स्कैम और ऐसे लोगों को हराने का एकमात्र तरीका है जागरूक होना।
- अगर किसी को ऐसी कॉल आती हैं, तो उन्हें कूरियर/पार्सल सेवाओं की आधिकारिक वेबसाइट से पुष्टि करनी चाहिए और साइबर क्राइम पोर्टल या स्थानीय पुलिस को सूचना देनी चाहिए।
- संदिग्ध कूरियर पार्सल की जांच के लिए सीबीआई, एनसीबी और अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों से होने का दिखावा करने वाले अज्ञात कॉल करने वालों को जवाब देते समय सतर्क, निडर और विवेकपूर्ण रहना चाहिए।
- निजी जानकारी, जैसे कि अपना आधार नंबर, बैंक एकाउंट जानकारी, पैन नंबर, या कोई अन्य संवेदनशील डेटा, विशेष रूप से फ़ोन पर या अपरिचित वेबसाइटों या लिंक के माध्यम से साझा न करें।
- घबरा कर जल्दबाजी न करें। याद रखें कि घोटालेबाज अक्सर पीड़ितों पर जल्दबाजी में निर्णय लेने के लिए दबाव डालने के लिए इमरजेंसी और घबराहट की भावना पैदा करते हैं।
- अगर आपको किसी कूरियर, पार्सल या पैकेज का इंतजार नहीं है और ऐसे कोई कॉल या मैसेज आता है तो इसे संदेह के साथ देखें। कोई भी कार्रवाई करने से पहले जानकारी की वैधता सत्यापित करें।
तमिलनाडु के एक ही शहर में 52 केस
पार्सल स्कैम कितना फैल चुका है इसका एक उदाहरण तमिलनाडु है जहां कोयंबटूर शहर में पिछले छह महीनों में धोखाधड़ी के 52 मामले सामने आए हैं। इन सभी मामलों में ठगों ने केंद्रीय जांच एजेंसियों के अधिकारी होने का दावा करते हुए लोगों को फोन किया और लाखों रुपये लूट लिए। कोयंबटूर पुलिस के मुताबिक ज्यादातर कॉल तमिलनाडु के बाहर से की गई थीं। हाल ही में, शहर के एक व्यवसायी को एक ऑनलाइन घोटालेबाज के कारण 75 लाख रुपये से अधिक का नुकसान हुआ।