निर्भया केस पर HC का फैसला: दोषियों को अलग-अलग नहीं एक साथ होगी फांसी

निर्भया बलात्कार और हत्या मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने आज सुनवाई करते हुए दोषियों को अलग-अलग फांसी दिए जाने की याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि दोषियों को अलग-अलग फांसी नहीं दी जा सकती है।

Update: 2020-02-05 03:37 GMT
निर्भया केस पर HC का फैसला: दोषियों को अलग-अलग नहीं एक साथ होगी फांसी

नई दिल्ली: निर्भया बलात्कार और हत्या मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने आज सुनवाई करते हुए दोषियों को अलग-अलग फांसी दिए जाने की याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि दोषियों को अलग-अलग फांसी नहीं दी जा सकती है। कोर्ट ने कहा है कि दोषियों के पास एक हफ्ते का समय है, सभी कानून कार्रवाई पूरी करने के लिए। बता दें कि गृह मंत्रालय ने ही ये याचिका दायर की थी, जिसको हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। इस बाबत केंद्र और तिहाड़ जेल प्रशासन ने हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल कर ट्रायल कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें निर्भया कांड के दोषियों की फांसी पर रोक लगाने का आदेश दिया गया था।

एक हफ्ते बाद हाई कोर्ट चारों दोषियों के डेथ वारंट पर सुनवाई करेगा। दोषियों को एक साथ फांसी दी जाएगा। हाई कोर्ट का कहना है कि दोषियों को अलग-अलग फांसी नहीं दी जा सकती है।

सभी दोषियों को अलग-अलग फांसी दी जा सकती है- केंद्र सरकार

बता दें कि केंद्र सरकार हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि सभी दोषियों को अलग-अलग फांसी दी जा सकती है। राष्ट्रपति द्वारा जिन दोषियों की दया याचिका खारिज हो चुकी है, उन्हें फांसी पर लटकाया जा सकता है। केंद्र सरकार की इसी याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार 5 फरवरी को अपना फैसला सुनाया है।

फांसी से बचने के लिए दोषी अपना रहे अलग-अलग पैतरे

बता दें कि दोषी फांसी से बचने के लिए अलग-अलग पैतरे अपना रहे हैं। वो अलग-अलग कर दया याचिका राष्ट्रपति के पास दायर कर रहे हैं। दोषी केवल फांसी से बचने के लिए ऐसा कर रहे हैं।

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फांसी में विलंब करने की चाल चल रहे हैं दोषी- तुषार मेहता

वहीं मामले की सुनवाई के दौरान 2 को केंद्र सरकार के वकील सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से ये भी कहा था कि निर्भया गैंगरेप के दोषी कानून के तहत मिली सजा से बचने के लिए और फांसी में विलंब करने की सुनियोजित चाल चल रहे हैं।

दोषियों के वकील ने जताई थी आपत्ति

दूसरी ओर दोषियों के वकील एपी सिंह और दोषी मुकेश की वकील रेबेका जॉन ने केंद्र सरकार की याचिका पर आपत्ति जताई थी। जॉन ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दोषी मुकेश की याचिका देरी के आधार पर नहीं बल्कि मेरिट के आधार पर खारिज की गई है। वहीं मंगलवार को निर्भया की मां आशा देवी ने भी हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस की बेंच के सामने मेंशनिंग कर ये मांग उठाई थी कि फैसला जल्द सुनाया जा सकता है।

दो बार टल चुकी है दोषियों की फांसी

चार दोषियों -विनय, पवन, अक्षय और मुकेश- को पहले 22 जनवरी को सुबह सात बजे फांसी दी जाने वाली थी और बाद में यह समय बदलकर एक फरवरी को सुबह छह बजे कर दिया गया। लेकिन दोनों बार दोषियों की फांसी टल चुकी है। चूंकि दोषियों ने अलग-अलग कर अपनी याचिका दायर की, इस वजह से फांसी को दोनों बार टाल दिया गया।

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2012 का वो वारदात, जिसने पूरे देश को झकझोर दिया

साल 2012 की बात है जब, दिल्ली में 16-17 दिसंबर की रात एक चलती बस में 23 साल की पैरामेडिकल छात्रा के साथ छह लोगों ने बेरहमी के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। यहीं नहीं इस हैवानियत की वजह से निर्भया की आंतें शरीर से बाहर निकल आईं। खून से लथपथ लड़की जिंदगी और मौत से जूझ रही थी।

बाद में उन शैतानों ने निर्भया और उसके साथी को दक्षिण दिल्ली के महिपालपुर के नजदीक वसंत विहार इलाके में चलती बस से फेंक दिया था। जिसके बाद उसे पीड़ित लड़की को नाजुक हालत में दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया।

29 दिसंबर को तोड़ा दिया था दम

निर्भया की हालत संभल नहीं रही थी। लिहाजा उसे सिंगापुर के माउन्ट एलिजाबेथ अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 29 दिसंबर को निर्भया ने रात के करीब सवा दो बजे वहां दम तोड़ दिया था। इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। घटना के बाद पीड़िता को काल्पनिक नाम ‘निर्भया’ दिया गया था।

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