Lok Sabha Speaker: ओम बिरला का फिर लोकसभा स्पीकर बनना तय, पुरंदेश्वरी के नाम पर चंद्रबाबू सहमत नहीं, पहली बार सहयोगियों के दबाव में भाजपा

Lok Sabha Speaker: स्पीकर का पद इस बार काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है और इसी कारण इस मुद्दे पर भाजपा काफी फूंक-फूंक कर कदम रख रही है।

Report :  Anshuman Tiwari
Update:2024-06-24 17:17 IST

Chandrababu Naidu and PM Modi 

Lok Sabha Speaker: 18वीं लोकसभा का पहला सत्र आज से शुरू हो गया है और यह 3 जुलाई तक चलेगा। इस सत्र के दौरान सबसे महत्वपूर्ण काम लोकसभा के स्पीकर का चुनाव है। 26 जून को होने वाले स्पीकर के चुनाव के लिए कई दावेदारों के नाम रेस में शामिल बताए जा रहे हैं। वैसे जानकार सूत्रों का कहना है कि ओम बिरला का एक बार फिर लोकसभा का स्पीकर चुना जाना तय है।स्पीकर की रेस में आंध्र प्रदेश भाजपा की अध्यक्ष डी पुरंदेश्वरी और प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि महताब का नाम भी चर्चाओं में रहा है, मगर ओम बिरला के नाम पर आखिरी सहमति बनती दिख रही है।पहले पुरंदेश्वरी का नाम रेस में सबसे आगे बताया जा रहा था मगर उनके नाम पर आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और टीडीपी मुखिया चंद्रबाबू नायडू सहमत नहीं हैं। इसी कारण पुरंदेश्वरी इस रेस में पिछड़ गई हैं और ओम बिरला आगे निकल गए हैं। 2014 के बाद पहली बार भाजपा सहयोगी दलों के दबाव में नजर आ रही है।

स्पीकर पद को लेकर भाजपा सतर्क

लोकसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद से ही स्पीकर पद को लेकर भाजपा ने मंथन शुरू कर दिया था। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के आवास पर नए स्पीकर को लेकर दो बार शीर्ष नेता मंथन कर चुके हैं। लोकसभा चुनाव में इस बार भाजपा 240 सीटों पर अटक गई थी और बहुमत के लिए उसे सहयोगी दलों के समर्थन की दरकार है। ऐसे में स्पीकर का पद इस बार काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है और इसी कारण इस मुद्दे पर भाजपा काफी फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। 26 जून को होने वाले स्पीकर के चुनाव के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से नए स्पीकर के नाम का प्रस्ताव रखा जाएगा। टीडीपी और जदयू जैसे सहयोगी दलों ने भाजपा को अपना स्पीकर बनाने की मंजूरी तो जरूर दे दी है मगर टीडीपी ने नए स्पीकर को लेकर अपनी राय से भी भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को अवगत कराया है।


भाजपा इसलिए चाहती थी पुरंदेश्वरी की ताजपोशी

सूत्रों के मुताबिक भाजपा पहले नए स्पीकर के रूप में डी पुरंदेश्वरी की ताजपोशी करना चाहती थी। इसके जरिए पार्टी आंध्र प्रदेश में नया पावर सेंटर बनाना चाहती थी। माना जा रहा था कि टीडीपी मुखिया चंद्रबाबू नायडू की नजदीकी रिश्तेदार होने के कारण नायडू और पार्टी के अन्य नेताओं की ओर से पुरंदेश्वरी के नाम का विरोध नहीं किया जाएगा।पुरंदेश्वरी का नाम आगे करने के पीछे भाजपा की एक और बड़ी सियासी चाल भी थी। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू कम्मा समुदाय से आते हैं जिसे आंध्र प्रदेश की राजनीति में काफी प्रभावशाली माना जाता रहा है। इस समुदाय को टीडीपी का परंपरागत वोटर माना जाता रहा है। इस तरह पुरंदेश्वरी को स्पीकर बनाकर भाजपा टीडीपी के ट्रेडिशनल वोट बैंक में सेंध लगाना चाहती थी।


नायडू के सहमत न होने से बिगड़ गया खेल

टीडीपी मुखिया और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को सियासत का माहिर खिलाड़ी माना जाता रहा है और उन्हें भाजपा की सियासी चाल का पहले ही आभास हो गया। जानकार सूत्रों के मुताबिक चंद्रबाबू नायडू ने पुरंदेश्वरी के नाम पर अपनी असहमति जताई है। पुरंदेश्वरी रिश्ते में नायडू की साली लगती हैं मगर इसके बावजूद वे उनके नाम पर तैयार नहीं हुए।यही कारण है कि पुरंदेश्वरी स्पीकर पद की रेस में पिछड़ गई हैं और ओम बिरला उनसे आगे निकल गए हैं। ऐसे में ओम बिरला का अब लोकसभा का फिर से स्पीकर बनना तय माना जा रहा है। सत्रहवीं लोकसभा में भी ओम बिरला ने ही स्पीकर की भूमिका निभाई थी और इस बार वे राजस्थान के कोटा से चुनाव जीतकर फिर लोकसभा पहुंचे हैं।


आखिर कौन हैं डी पुरंदेश्वरी

आंध्र प्रदेश भाजपा की अध्यक्ष डी पुरंदेश्वरी ने इस बार राजमुंदरी लोकसभा सीट से चुनाव जीता है। 1959 में पैदा होने वाली पुरंदेश्वरी आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और दक्षिण भारत में अपने जमाने के सबसे कद्दावर नेता एनटी रामाराव की दूसरे नंबर की बेटी हैं। उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई चेन्नई से की है और उन्हें काफी प्रतिभाशाली माना जाता रहा है।जानकारों का करना है कि वे पांच भाषाओं में पूरी तरह दक्ष हैं। वे हिंदी, अंग्रेजी, तमिल, तेलुगू और फ्रेंच भाषा की अच्छी जानकार हैं। इन पांच भाषाओं को बोलने, पढ़ने और लिखने में उन्हें महारत हासिल है। इसके साथ ही वे कुचिपुड़ी में भी दक्ष हैं। 1979 में उनका विवाह दग्गुबाती वेंकटेश्वर राव से हुआ था और उनके एक बेटा हितेश और बेटी निवेदिता है।डी पुरंदेश्वरी पहले कांग्रेस में थीं और मनमोहन सरकार के समय उन्होंने महत्वपूर्ण पदों पर काम किया है। पुरंदेश्वरी 2009 में केंद्र की मनमोहन सरकार में मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री भी रह चुकी हैं। 2012 में उन्हें यूपीए सरकार में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय में राज्य मंत्री का पद दिया गया था।


आंध्र प्रदेश के बंटवारे पर छोड़ी थी कांग्रेस

आंध्र प्रदेश को बांट कर दो राज्य बनाने के मसले पर वे कांग्रेस से नाराज हो गई थीं। उस समय उन्होंने बयान दिया था कि जिस तरह कांग्रेस ने आंध्र प्रदेश को बांटकर तेलंगाना को अलग राज्य बनाया है, उससे उन्हें काफी दुख पहुंचा है। इसी नाराजगी के बाद उन्होंने 7 मार्च 2014 को कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था और भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी।पुरंदेश्वरी के बारे में एक बात और उल्लेखनीय है कि जब चंद्रबाबू नायडू ने अपने ससुर एनटी रामाराव की सरकार का तख्तापलट किया था, उस समय पुरंदेश्वरी ने चंद्रबाबू नायडू का साथ दिया था। इस कारण माना जा रहा था कि चंद्रबाबू नायडू उनके नाम पर सहमत हो जाएंगे मगर नायडू ने अपनी असहमति जता दी है।

पहली बार सहयोगी दलों के दबाव में भाजपा

स्पीकर के चुनाव से साफ हो गया है कि 2014 में सरकार बनने के बाद भाजपा पहली बार सहयोगी दलों के दबाव में नजर आ रही है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भाजपा को पूर्ण बहुमत हासिल हुआ था। एनडीए में शामिल सहयोगी दलों के समर्थन से भाजपा काफी मजबूत स्थिति में नजर आई थी। यही कारण था कि पार्टी कई ऐसे विधेयकों को पारित करने में भी कामयाब रही जिसे लेकर विरोधी दलों ने तीखा विरोध जताया था।इस बार लोकसभा चुनाव के नतीजे ने सियासी हालात बदल दिए हैं। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल जैसे बड़े राज्यों में लगे सियासी झटके के कारण भाजपा सिर्फ 240 सीटों पर अटक गई है। बहुमत के आंकड़े से दूर रहने के बाद सहयोगी दलों की राय मानना भाजपा के लिए बड़ी सियासी मजबूरी बन गई है। लोकसभा के स्पीकर के चुनाव में यह बात साफ तौर पर नजर आ रही है।


विपक्ष को मिल सकता है डिप्टी स्पीकर का पद

इस बार डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष के किसी सांसद को मिल सकता है। डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को देने की परंपरा है। इस बार विपक्षी दलों का गठबंधन इंडिया लोकसभा में काफी मजबूत स्थिति में है। इस कारण माना जा रहा है कि डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष के किसी वरिष्ठ सांसद को दिया जा सकता है।


16वीं लोकसभा में एनडीए में शामिल रहे अन्नाद्रमुक के थंबीदुरई को यह पद दिया गया था। 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद किसी भी संसद को डिप्टी स्पीकर नहीं बनाया गया था। मगर इस बार लोकसभा के समीकरण को देखते हुए डिप्टी स्पीकर के पद पर विपक्ष के किसी सांसद की ताजपोशी हो सकती है।

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