One Nation One Election: एक देश एक चुनाव समिति की पहली बैठक खत्म, अधीर रंजन के अलावा सभी सदस्य हुए शामिल

One Nation One Election: लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीक रंजन चौधरी ने अमित शाह को खत लिखकर पैनल में शामिल होने से इनकार कर दिया था।

Written By :  Krishna Chaudhary
Update:2023-09-23 13:54 IST

One Nation One Election (Social Media)

One Nation One Election: ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ के लिए गठित उच्च स्तरीय कमिटी की पहली बैठक आज यानी शनिवार 23 सितंबर को खत्म हो चुकी है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बुलाई गई इस बैठक में पैनल के सभी मेंबर सिवाय कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी के शामिल हुए। लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीक रंजन चौधरी ने अमित शाह को खत लिखकर पैनल में शामिल होने से इनकार कर दिया था।

आज की बैठक दिल्ली के जोधपुर ऑफिसर्स हॉस्टल में बुलाई गई थी, जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद और केंद्रीय राज्य मंत्री अर्जुन मेघवाल समेत अन्य सदस्य शामिल हुए। बैठक का क्या नतीजा निकाला, फिलहाल इसकी कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई। माना जा रहा है कि बैठक में लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगर पालिकाओं और पंचायतों के लिए एक साथ चुनाव कैसे चुनाव कराए जाएं, इस पर चर्चा हुई होगी। समिति के सदस्य रोडमैड और हितधारकों के साथ कैसे परामर्श करें, इस पर भी चर्चा होने की संभावना है।

समिति में कौन-कौन हैं शामिल ?

केंद्र सरकार ने 2 सितंबर को लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगर पालिकाओं और पंचायतों के एक साथ चुनाव कराने के मुद्दे पर जल्द से जल्द जांच करने और सिफारिशें करने के लिए आठ सदस्यीय उच्च स्तरीय पैनल को अधिसूचित किया था। इस पैनल में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद, 15वें वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह, पूर्व लोकसभा महासचिव सुभाष कश्यप, जाने-माने वकील हरीश साल्वे, पूर्व सीवीसी संजय कोठारी और केंद्रीय कानून राज्य मंत्री अर्जुन मेघवाल शामिल हैं। कानूनी मामलों के सचिव नितेन चंद्रा इस पैनल के सचिव बनाए गए हैं।

एक देश एक चुनाव का क्या है मतलब ?

देश में फिलहाल दो ही राज्य ऐसे हैं, जहां एकसाथ लोकसभा और विधानसभा के चुनाव हो रहे हैं। वो हैं आंध्र प्रदेश और ओडिशा। इसके अलाबा बाकी सभी राज्यों में आम चुनाव से आगे या पीछे चुनाव होते रहे हैं। देश में हर साल किसी न किसी बड़े राज्य में चुनावी कसरत होती रहती है। लिहाजा केंद्र सरकार एक देश एक चुनाव के जरिए पूरे देश में लोकसभा और विधानसभा का चुनाव एकसाथ कराना चाहती है। यानी मतदाता लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के सदस्यों को चुनने के लिए एक ही दिन एक ही समय पर वोट डालेंगे।

ऐसा नहीं है कि ये पहली बार होगा। देश में आजादी के बाद सालों तक ऐसा ही होता आया है। 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ होते थे, लेकिन 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं समय से पहले ही भंग कर दी गईं। उसके बाद 1970 में लोकसभा भी भंग कर दी गई। इस कारण से देश में वन नेशन वन इलेक्शन की परंपरा टूट गई। अधिकांश प्रमुख विपक्षी दल केंद्र सरकार की इस पुरानी परंपरा को वापस जीवित करने की कवायद का पुरजोर विरोध कर रहे हैं। मोदी सरकार इसे वापस देश में लागू कर पाती है या नहीं ये आने वाला समय बताएगा। 

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