राजस्थान सरकार का आदेश: यूरिया चाहिए तो दिखाना होगा आधार

अलवर में आधिकारिक केंद्रों पर यूरिया खरीद के लिए जुटे किसान मायूस होकर खाली हाथ लौट गए जब उन्हें राज्य सरकार के आधार को अनिवार्य करने के आदेश के बारे में पता चला। खबरों की मानें तो कई किसानों के पास अब भी आधार नहीं है लिहाजा वह यूरिया पाने में नाकाम रहे।

Update:2018-12-26 09:52 IST
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जयपुर: राजस्थान में रबी की कटाई बस कुछ दिन दूर है और किसान यूरिया के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उनके इस संघर्ष की वजह है प्रदेश की नई सरकार द्वारा सभी मान्यता प्राप्त सहकारी और कृषि केंद्र को किसानों की आधार की जानकारी इकट्ठा करने का आदेश।

अलवर में आधिकारिक केंद्रों पर यूरिया खरीद के लिए जुटे किसान मायूस होकर खाली हाथ लौट गए जब उन्हें राज्य सरकार के आधार को अनिवार्य करने के आदेश के बारे में पता चला। खबरों की मानें तो कई किसानों के पास अब भी आधार नहीं है लिहाजा वह यूरिया पाने में नाकाम रहे। अलवर सहकारी कमेटी के अध्यक्ष रामदयाल चौधरी ने बताया कि यह निर्देश इसलिए दिया गया है ताकि जरूरतमंद किसानों को ही सरकारी यूरिया का लाभ मिले न की कालबाजारी करने वालों को। सरकार का यह निर्णय किसानों के हक में है।

सूत्रों के मुताबिक यूरिया खरीद से आधार को जोड़ने का आदेश नया नहीं है। 2017 की वसुंधरा सरकार ने यह फैसला लिया था। अधिकारियों की मानें तो यूरिया खरीद के केंद्रों पर पॉइंट ऑफ सेल मशीनें भी लगाई गई हैं। डिजिटल इंडिया को बढ़ावा देने के लिए 2017 में इसे ट्रायल के तौर पर पाली और अलवर में शुरू किया गया था।

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नए आदेश के अनुसार किसान पहले अपना आधार नंबर अंकित करते है और फिर बायोमेट्रिक पहचान के तौर पर अंगूठे का निशान देते है। अधिकारियों के अनुसार सहकारी केंद्रों पर पंजीकृत सभी किसानों के पास इन दोनों जिलों में आधार कार्ड मौजूद है।

राज्य में 1.6 लाख टन यूरिया की कमी है और यह नई कांग्रेस सरकार और केंद्र की मोदी सरकार के बीच जुबानी जंग का अहम मुद्दा बन चुका है। मुख्यमंत्री का कार्यभार संभालने के बाद अशोक गहलोत ने कृषि सचिव को यूरिया की कमी का मुद्दा सुलझाने के लिए दिल्ली भेजा था। कांग्रेस सरकार के मुताबिक केंद्र की नीतियों की वजह से राज्य में यूरिया का संकट है।

वहीं कोटा से भाजपा सांसद ओम बिड़ला ने कहा कि देश के गैर कांग्रेस राज्य भी केंद्र सरकार पर पक्षपात का आरोप नहीं लगा सकते।

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