राम शिरोमणि शुक्ल
रायपुर: छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए धान उनकी जान की तरह है और सरकार व राजनीतिक दलों के लिए एक बड़ा चुनावी मुद्दा भी। इस लिहाज से धान हमेशा बड़ा मुद्दा बना रहता है। हालांकि अभी राज्य में विधानसभा चुनाव में करीब एक साल का समय है, लेकिन धान नए सिरे से बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। यह अलग बात है कि हर बार किसान ही खामियाजा भुगतने को मजबूर होता है। हमेशा की तरह इस बार भी सरकार धान खरीदने के बहाने खुद को किसानों का हितैषी साबित करने में लगी हुई है। यह अलग बात है कि किसान खुद को बहुत संतुष्ट नहीं मान पाता मगर छत्तीसगढ़ का किसान कई अन्य राज्यों के किसानों की तरह बहुत मुखर नहीं होता और खुद को यथास्थिति में भी बनाए रख लेता है।
राज्य में धान की खरीद शुरू हो चुकी है, लेकिन किसानों को सबसे बड़ी दिक्कत नए-नए नियमों को लेकर हो रही है। खाद्य विभाग ने पहले आदेश जारी किया था कि किसान तीन से चार किस्तों में धान बेच सकते हैं। इसके बाद आदेश जारी कर दिया गया कि पांच एकड़ तक की कृषि भूमि वाले किसान एक ही बार में अपना धान बेच सकेंगे। इस तरह पांच से दस एकड़ वाले दो बार और 10 से 15 एकड़ वाले किसान तीन से चार बार ही धान बिक्री कर सकेंगे। यह शर्त भी जोड़ दी गई कि वे कोई किस्म ही एक बार में बेच सकेंगे। पुरानी व्यवस्था में धान खरीदी में कोई व्यवधान नहीं आता था। मांग की तुलना में समय पर बारदानों की आपूॢत नहीं होने और प्रभावी परिवहन न होने के कारण धान जाम होने से खरीदी में व्यवधान उत्पन्न होता है।
नए नियमों से किसानों को परेशानी
पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक धनेंद्र साहू का मानना है कि नए नियम किसानों को उलझाने वाले हैं। इससे किसानों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। साहू के मुताबिक धान खरीदने की नई नीति अव्यावहारिक है। यह किसानों को हतोत्साहित कर रही है। सरकार किसानों के हितों के विपरीत अधिकारियों के कहने के मुताबिक काम कर रही है। धान खरीदी की नीति छोटे और मध्यम किसानों के लिए आफत साबित होगी। कुछ इसी तरह की राय किसान नेता भूपेंद्र शर्मा की भी है। शर्मा इस बाबत सरकारी की नीति को अव्यावहारिक मानते हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री रमन सिंह और कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को पत्र लिखकर किसानों के लिए धान खरीदी को लेकर नई नीति बनाने की मांग की है।
नए नियमों से किसानों में नाराजगी
धान खरीदी को लेकर नए-नए नियम किसानों के लिए बड़ी परेशानियों के सबब बन गए हैं। इससे किसानों में नाराजगी भी है। सामान्यत: किसान धान की कटाई के बाद समितियों में बिक्री के लिए लाते हैं। किसानों को बैलगाड़ी अथवा ट्रैक्टर आदि से धान लाकर बेचना पड़ता है। अलग-अलग खेत में अलग-अलग किस्म के धान होने से उसकी भमजाई भी अलग-अलग की जाती है। ऐसे में केवल तीन बार ही धान बेचने के लिए समय देना व्यावहारिक नहीं लगता। किसान नेता और अपैक्स बैंक के अध्यक्ष अशोक बजाज के अनुसार नए नियमों को लेकर किसानों के बीच उत्पन्न भ्रम की स्थिति दूर कर ली गई है।
पुरानी नीति पर ही धान खरीद की जा रही है। किसान सभी किस्म के धान एक साथ बेच सकते हैं। इसके अलावा खाद्य सचिव ऋचा शर्मा ने भी स्पष्ट किया है कि किसानों से धान खरीद पूर्व घोषित नीति के अनुसार ही की जाएगी। चालू खरीफ विपणन वर्ष 2017-18 में किसानों से समर्थन मूल्य पर 70 लाख टन धान खरीदने का अनुमानित लक्ष्य तय किया गया है। धान खरीदने का काम तय कार्यक्रम के मुताबिक ही चलेगा।
समर्थन मूल्य में वृद्धि
इस वर्ष धान के समर्थन मूल्य में 80 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है। इसके फलस्वरूप कॉमन अथवा मोटा धान 1550 रुपये और ए-ग्रेड अथवा पतला धान 1590 रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीदा जाएगा। किसान निर्धारित उपार्जन केन्द्रों में मक्का 1425 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बेच सकेंगे। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि इस वर्ष राज्य सरकार ने किसानों को वर्ष 2016 के धान पर 300 रुपये प्रति क्विंटल की दर से 2100 करोड़ रुपये का बोनस दिया है। किसान इस वर्ष जो धान बेचेंगे, उन्हें उसका बोनस अगले साल दिया जाएगा। इसकी भी तैयारी चल रही है। प्रदेश के सभी 27 जिलों में समितियों के माध्यम से धान खरीद छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी विपणन संघ (मार्क$फेड) द्वारा की जाएगी।
31 जनवरी तक होगी धान की खरीद
समर्थन मूल्य नीति के तहत धान खरीद 31 जनवरी 2018 तक चलेगी। इसके लिए राज्य की एक हजार 333 प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों और वृहताकार बहुउद्देश्यीय सहकारी समितियों (लैम्प्स) के कार्य क्षेत्रों में 1992 उपार्जन केन्द्र बनाए गए हैं। मुख्यमंत्री ने किसानों से इस अभियान का लाभ उठाने और अपनी उपज का वाजिब मूल्य प्राप्त करने के लिए धान निकटवर्ती खरीद केन्द्रों में बेचने की अपील की है।
उन्होंने कहा कि किसानों को धान बेचने के लिए अपने गांव से ज्यादा दूर न जाना पड़े, इसके लिए राज्य सरकार ने औसतन प्रत्येक साढ़े पांच ग्राम पंचायतों के बीच एक धान खरीद केन्द्र की स्थापना की है। जिला कलेक्टरों और अन्य संबंधित अधिकारियों को उपार्जन केन्द्रों में किसानों की सुविधाओं का पूरा ध्यान रखने के निर्देश दिए गए हैं। खरीद और भुगतान की पारदर्शी व्यवस्था की गई है। जिस दिन किसान धान बेचेंगे, उनकी राशि उसी दिन उनके बैंक खातों में ऑनलाइन जमा कर दी जाएगी।
पूर्व घोषित नीति के अनुसार धान की खरीद: सीएम
इससे पहले मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने धान खरीदने के विशेष अभियान की सफलता के लिए अपनी शुभकामनाएं दीं और कहा कि सहकारी समितियों के सहयोग से किसानों के हित में चलने वाला यह छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा और लम्बा प्रदेशव्यापी अभियान है। धान बेचने के लिए सहकारी समितियों में पंद्रह लाख 79 हजार किसानों ने पंजीयन करवाया है। यह संख्या पिछले साल की तुलना में एक लाख 27 हजार ज्यादा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों से धान की खरीद राज्य शासन द्वारा पूर्व घोषित नीति के अनुसार की जाएगी।