विनोद कपूर
लखनऊ: देश के पहले पीएम रहे पंडित जवाहर लाल नेहरू की परपंरागत सीट रही फूलपुर लोकसभा सीट पर आगामी 11 मार्च को उपचुनाव होना है। देश में पहले हुए तीन लगातार आम चुनाव 1952, 1957 और 1962 में पंडित नेहरू इसी सीट से जीतकर लोकसभा पहुंचे और पीएम बने थे।
पंडित नेहरू के लिए1962 का चुनाव परेशानी और प्रतिष्ठा का सबब बन गया था। इसके कारण भी थे। क्योंकि उनके खिलाफ मैदान में सोशलिस्ट नेता राम मनोहर लोहिया मैदान में थे। लोहिया ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत कांग्रेस सदस्य के रूप में की थी। हालांकि, बाद में वो प्रजा सोशलिस्ट पार्टी और सोशलिस्ट पार्टी में गए।
...अच्छा लग रहा कि तुम मेरे खिलाफ मैदान में हो
लोहिया जब पंडित नेहरू के खिलाफ मैदान में उतरे तो फूलपुर में एक अलग समां बंध गया। नेहरू जी ने कहा.. अच्छा लग रहा है कि तुम मेरे खिलाफ मैदान में हो, वादा करता हूं कि मैं एक बार भी चुनाव में प्रचार करने नहीं आऊंगा..।
नेहरू ने तोड़ा लोहिया से किया वादा
राम मनोहर लोहिया जानते थे कि वो पंडित नेहरू के सामने चुनाव नहीं जीत सकते, लेकिन वो लोगों तक पहुंचने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे थे। उनकी लोकप्रियता लगतार बढ़ रही थी, जिससे नेहरू के पक्ष में प्रचार कर रहे कांग्रेस नेता परेशान हो रहे थे। उन्होंने पंडित नेहरू से इलाके में प्रचार के लिए आने का आग्रह किया। लेकिन वो तो लोहिया को दिए इस वचन से बंधे थे कि प्रचार नहीं करूंगा। हालत जब ये हो गई कि नेहरू हार भी सकते हैं तो उन्हें प्रचार के लिए आना पड़ा और लोहिया से किया वादा तोड़ दिया।
लोहिया- जो मैं चाहता था, किया
वोटों की जब गिनती हुई तो कम से कम 100 मतदान केंद्रों पर लोहिया को पंडित नेहरू से ज्यादा वोट मिले थे। पंडित नेहरू को एक लाख 18 हजार तो लोहिया को 54 हजार वोट मिले। चुनाव परिणाम के बाद लोहिया ने कहा, 'मैं पंडितजी को प्रचार में आने के लिए बाध्य करना चाहता था, जो मैंने कर दिया।'