Balkrishna News: पतंजलि के बालकृष्ण रिज़र्व फारेस्ट में बिना इजाजत ग्रेनाईट की मूर्ति लगाने चले
Balkrishna News: यह मामला उत्तरकाशी के हर्षिल में आरक्षित वन क्षेत्र का है। करीब एक क्विंटल वजनी ग्रेनाइट की मूर्ति को बिना अनुमति के हजारों फीट की ऊंचाई पर घास के मैदान में ले जाया गया।
Balkrishna News: बाबा रामदेव एक विवाद में आ गए हैं। इस बार मामला हरे भरे रिज़र्व फारेस्ट में मूर्ति स्थापित करने का है। आरोप है कि ग्रेनाईट से बनी धन्वन्तरी की मूर्ति को बिना इजाजत हजारों फुट ऊंचे पहाड़ पर ले जाया गया। मूर्ति ले कर और कोई नहीं बल्कि खुद आचार्य बालकृष्ण गए थे।
यह मामला उत्तरकाशी के हर्षिल में आरक्षित वन क्षेत्र का है। करीब एक क्विंटल वजनी ग्रेनाइट की मूर्ति को बिना अनुमति के हजारों फीट की ऊंचाई पर घास के मैदान में ले जाया गया। योग गुरु स्वामी रामदेव के शिष्य बालकृष्ण के हर्षिल क्षेत्र में भगवान धन्वंतरि की मूर्ति ले जाने के कदम से वन विभाग में हड़कंप मच गया है। बताया जा रहा है कि पर्वतीय क्षेत्र में आयुर्वेदिक औषधियों की खोज के लिए नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग (एनआईएम) और पतंजलि की टीम गई है, जिसमें खुद आचार्य बालकृष्ण भी शामिल हैं।
स्वामी रामदेव के प्रवक्ता एसके तिजारावाला ने द न्यू इंडियन एक्सप्रेस से कहा - हम हिमालय और पर्यावरण के लिए काम कर रहे हैं। आचार्य बालकृष्ण भी जड़ी-बूटियों की तलाश में वहां गए हैं और भविष्य में जो भी उचित होगा उसके अनुसार निर्णय लिया जाएगा। मामला सामने आते ही उत्तरकाशी वन विभाग के प्रभागीय अधिकारी डीपी बलूनी ने गंगोत्री (हर्षिल) रेंज अधिकारी को घास के मैदानों में बिना अनुमति के ले जाई गई मूर्ति की तत्काल पड़ताल करने के निर्देश दिए थे। गंगोत्री (हर्षिल) रेंज अधिकारी जगमोहन गंगानी ने कहा, मूर्ति को सील करने और थराली लाने के लिए आठ वन कर्मियों को झिंडा मीडोज क्षेत्र में भेजा गया था।
#हिमालय के उत्तुंग शिखर पर लगभग 12000 फीट की ऊंचाई पर यज्ञ के रोमांचकारी आनंद के साथ, सब दैवीय शक्तियों को प्रणाम करते हुए, सबकी शुभकामनाओं के साथ अब हम #अनारोहित #शिखर के आरोहण के लिए इसके आगे प्रस्थान करेंगे और यहां तक साथ आई पूरी टीम वापस बेस कैंप के लिए प्रस्थान करेगी… pic.twitter.com/M88vfrhHQU
— Acharya Balkrishna (@Ach_Balkrishna) September 4, 2023
बेहद गंभीर मामला
वन सूत्रों के मुताबिक, प्रभागीय वन अधिकारी डीपी बलूनी ने मामले को बेहद गंभीर माना है और आचार्य बालकृष्ण से कार्यक्रम को तुरंत रोकने करने को कहा है। बता दें कि गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान पूर्णतया प्रतिबंधित क्षेत्र है, यहां किसी भी प्रकार का निर्माण अथवा मूर्ति स्थापना नहीं की जा सकती। बताया जाता है कि किसी को इस बात का अंदाजा नहीं था कि जड़ी-बूटियों के संरक्षण के लिए हिमालय क्षेत्र में पतंजलि योगपीठ की टीम करीब एक क्विंटल कीमत की धन्वंतरि की विशाल प्रतिमा ले जाना चाहती है। वह भी ऐसे क्षेत्र में जहां आम लोगों को भी प्रवेश की इजाजत मुश्किल से होती है।