सवाल तो बनता है! 111 डाॅलर प्रति बैरल पर 65 रू, तो 48 डाॅलर पर 72 रू में पेट्रोल क्यों ?
राजकुमार उपाध्याय
लखनऊ। केंद्र में जब यूपीए सरकार थी, तब कच्चे तेल की कीमत 2010 में लगभग 90 डालर प्रति बैरल थी। उस समय पेट्रोल की कीमत 47 से 51 रुपये के बीच थी। सन 2011 में कच्चे तेल की कीमत 111 डालर प्रति बैरल तक पहुंच गई। फिर भी पेट्रोल की कीमत 58.37 से 65.64 रुपये प्रति लीटर थी।
आज जब अंतर्राष्ट्रीय बाजार में 48.07 डालर प्रति बैरल कच्चे तेल की कीमत है तो मुम्बई में पेट्रोल की कीमत 79.46 प्रति लीटर, दिल्ली में 70.38, चेन्नई में 72.95 और यूपी में 72.48 रूपये प्रति लीटर है। जबकि ऐसी स्थिति में पेट्रोल की कीमत लगभग 30 रुपये प्रति लीटर होनी चाहिए। राज्य सभा सांसद प्रमोदी तिवारी ने एक बयान जारी कर मोदी सरकार पर यह हमला बोला है।
उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार जनता की जेब पर डाका डाल रही है, आज पेट्रोल की कीमत पिछले तीन सालों में सर्वाधिक है, जबकि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत काफी कम हो गयी है। पर सत्तारूढ मोदी सरकार तेल कम्पनियों को फायदा पहुंचाने के लिए एक लीटर पर लगभग 43 से 50 रुपये प्रति लीटर दाम अधिक बढ़ाकर बेच रही है, देश के एक प्रसिद्ध उद्योगपति को फायदा पहुंचाने के लिये ऐसा किया जा रहा है। यह सिलसिला जब से केन्द्र में एनडीए की सरकार आयी है तब से किया जा रहा है।
तिवारी ने कहा है कि आज तक किसी भी देश की सरकार ने जनता के साथ ऐसा विश्वासघात नहीं किया होगा। जिस तरह का छल और धोखा केंद्र की भारतीय जनता पार्टी की सरकार जनता के साथ कर रही है। बांग्लादेश, नेपाल या पाकिस्तान में भी पेट्रोल की कीमत हमारे देश से काफी कम है।
यूपीए सरकार ने लगभग 111 डालर प्रति बैरल से अधिक कीमत होने पर लगभग 65 रुपये में पेट्रोल बेचा है। तो फिर 48.07 डालर प्रति बैरल कच्चे तेल की कीमत होने पर 30-35 रुपये प्रति लीटर वर्तमान सरकार पेट्रोल क्यों नहीं बेंच रही है?
उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार अंतराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत के अनुसार पेट्रोल की कीमत तय करने का निर्देश तेल कम्पनियों को दे, ताकि जनता को उचित दाम पर पेट्रोल और डीजल उपलब्ध हो सके। इस बारे में जनता को जागरूक होना चाहिए।
योगी सरकार पर भी हमला
तिवारी ने कहा कि प्रदेश सरकार ने जनता से पिछली सरकार से अधिक बिजली देने का वादा किया था। सरकार ने घोषणा की थी कि ग्रामीण क्षेत्र को 18 घण्टे, तहसील मुख्यालय को 20 घण्टे और जिला मुख्यालय को 24 घण्टे बिजली आपूर्ति की जायेगी पर घोषणा से काफी कम मात्रा में बिजली की आपूर्ति की जा रही है। ग्रामीण क्षेत्र को 5-7 घण्टे से अधिक बिजली नहीं मिल पा रही है और जो मिल रही है वह भी ‘लो वोल्टेज’।