GST: मल्टीपल स्लैब की बजाय जीएसटी का एक रेट हो, पीएम की आर्थिक सलाहकार समिति के अध्यक्ष का बयान

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार समिति के अध्यक्ष विवेक देबरॉय ने जीएसटी के रेट्स पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने केवल एक जीएसटी रेट रखने का सुझाव दिया है

Written By :  Krishna Chaudhary
Update:2022-11-07 17:02 IST

जीएसटी (सोशल मीडिया)

GST: जुलाई 2017 में जब से देश में वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी लागू (GST Implemented) हुआ है, व्यापारियों का एक बड़ा तबका इससे नाराज है। व्यापारियों की नाराजगी को भांपते हुए विपक्ष भी लगातार इस पर मोदी सरकार (Modi Government) को घेर रहा है। कारोबारी जगत के लोग जीएसटी के अंदर आने वाले मल्टीपल टैक्स स्लैब से नाखुश हैं। वहीं, व्यापार विशेषज्ञों का भी कहना है कि अलग – अलग टैक्स स्लैब जीएसटी की मूल भावना ( एक देश एक टैक्स) के खिलाफ है।

पीएम आर्थिक सलाहकार समिति के अध्यक्ष ने जीएसटी के रेट्स पर बड़ा बयान

इन सबके बीच प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार समिति (PM Economic Advisory Committee) के अध्यक्ष विवेक देबरॉय (Chairman Vivek Debroy) ने जीएसटी के रेट्स पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने केवल एक जीएसटी रेट रखने का सुझाव दिया है। इतना ही नहीं उन्होंने प्रत्यक्ष कर में दिए जाने वाले टैक्स छूट को समाप्त करने की वकालत की है।

देश में केवल एक जीएसटी की दर होनी चाहिए: अध्यक्ष विवेक देबरॉय

आर्थिक सलाहकार समिति के अध्यक्ष विवेक देबरॉय ने कहा कि देश में केवल एक जीएसटी की दर होनी चाहिए। आगे उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि ये उनकी निजी राय है। इस बयान का सरकार की नीति से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि आज हमें समझने की जरूरत है कि उत्पाद कोई भी हो, जीएसटी की दर एक होनी चाहिए। हालांकि, मुझे पता है कि ये कभी नहीं होने वाला है। इसे प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार समिति का सुझाव बिल्कुल न माना जाए, ये पूरी तरह से उनका निजी विचार है।

वर्तमान में जीएसटी के चार स्लैब

बता दें कि वर्तमान में जीएसटी के चार स्लैब हैं – 5 फीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी और 28 फीसदी। कुछ वस्तुएं जिनपर 28 फीसदी जीएसटी लगता है, उसपर सेस भी वसूला जाता है, जैसे तंबाकू और लग्जरी कार। वहीं, शराब और ईंधन जीएसटी के दायरे से बाहर हैं। समय – समय पर जीएसटी के स्लैब को लेकर विवाद होता रहा है। संभवतः पहली बार सरकार के अंदर से जीएसटी में इतने बड़ा बदलाव लाने की आवाज उठी है।

प्रत्यक्ष कर में मिलने वाले छूट खत्म हों

विवेक देबरॉय ने आगे कहा कि डायरेक्ट टैक्स में मिलने वाली छूट को समाप्त कर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि हर साल सरकार बजट के दौरान टैक्स में छूट या रियायत की घोषणा करती है, जिससे उसके राजस्व पर असर पड़ता है। राजस्व घाटा जीडीपी के 5.5 प्रतिशत के करीब पहुंच चुका है। देबरॉय ने आगाह करते हुए कहा कि हमें अधिक टैक्स भुगतान करने के लिए तैयार रहना चाहिए या फिर सार्वजनिक सुविधाओं अथवा सेवाओं में कटौती का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य और केंद्र सरकारों को करों से जितना राजस्व प्राप्त होता है, उससे कहीं अधिक फंड जरूरत सार्वजनिक ढ़ांचे पर खर्च के लिए चाहिए। 

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