PM मोदी ने भारतीयों की स्वदेश वापसी को दिया अंतिम रूप, प्लान पर अमल जल्द
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीयों की स्वदेश वापसी के बुनियादी नियम तय कर दिए हैं। सबसे पहले श्रमिक वर्ग के लोगों को विशेष विमानों के जरिए स्वदेश लाने की योजना है
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली। विदेशों में फंसे हजारों भारतीयों को वापस स्वदेश लाने के लिए एक बड़ी योजना पर तेजी से काम चल रहा है। विदेश मंत्रालय के साथ ही नागरिक विमानन मंत्रालय भी इस काम में जुटा हुआ है। सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीयों की स्वदेश वापसी के बुनियादी नियम तय कर दिए हैं। सबसे पहले श्रमिक वर्ग के लोगों को विशेष विमानों के जरिए स्वदेश लाने की योजना है। पढ़ने के लिए विदेश गए छात्र-छात्राओं को दूसरे नंबर पर वरीयता दी जाएगी और फिर उन सभी लोगों को स्वदेश वापस लाने की योजना को अमली जामा पहनाया जाएगा जो नौकरी करने या घूमने के लिए विदेश गए थे।
राज्यों को दी जाएगी सूचना
भारतीयों की स्वदेश वापसी की योजना पर काम कर रहे एक अधिकारी का कहना है कि यह काफी जटिल काम है। इसलिए इस मामले में आने वाली सारी दिक्कतों को दूर करने की कोशिश की जा रही है। विदेशों में स्थित भारतीय दूतावासों को ऐसे लोगों की सूची तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है जो भारत वापस आने के इच्छुक हैं। इसके बाद स्वदेश वापसी के इच्छुक लोगों की प्राथमिकता तैयार की जाएगी और संबंधित राज्यों को इस बाबत सूचना भेजी जाएगी।
विदेश से आने पर हर किसी की स्क्रीनिंग
इसके साथ ही कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिए विदेश से आने वाले हर भारतीय की स्क्रीनिंग भी की जाएगी। स्क्रीनिंग के जरिए इस बात का फैसला किया जाएगा कि किसी को क्वारंटाइन सेंटर भेजना है या सीधे अस्पताल में। अधिकारियों ने कहा कि इस पूरी प्रक्रिया को अंजाम देने के लिए विदेश मंत्रालय में एक कंट्रोल रूम बनाने की योजना है।
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गृह राज्य पर निर्भर होगी वापसी
वैसे अभी सरकार की ओर से यह तय नहीं किया जाए गया है कि प्रवासी भारतीयों की वापसी कब से शुरू होगी। सूत्रों का कहना है कि प्रवासी भारतीयों की वापसी की टाइमिंग बहुत कुछ उनके गृह राज्य पर निर्भर करेगी। यदि किसी प्रवासी भारतीय का गृह राज्य क्वारंटाइन सेंटर की जिम्मेदारी को लेने के लिए तैयार नहीं होगा तो ऐसे में उसकी वापसी भी संभव नहीं हो पाएगी।
क्वारंटाइन सेंटर तैयार रखने का निर्देश
कैबिनेट सचिव राजीव गाबा ने अभी हाल में सभी राज्यों के मुख्य सचिवों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए चर्चा की थी। इस चर्चा के दौरान सभी राज्यों से क्वारंटाइन सेंटर और हॉस्पिटल में बेड तैयार रखने को कहा गया था। माना जा रहा है कि केंद्र सरकार का यह निर्देश प्रवासी भारतीयों की स्वदेश वापसी से जुड़ा हुआ है। इस मामले में सबसे ठोस पहल केरल ने की है। केरल की ओर से केंद्र को जानकारी दी गई है कि वह अपने यहां आने वाले कम से कम दो लाख प्रवासी भारतीयों के लिए व्यवस्था करने जा रहा है।
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बड़े मददगार साबित हुए हैं प्रवासी भारतीय
दरअसल प्रवासी भारतीय शुरू से देश को आर्थिक संकट से बाहर निकालने में बड़ी ताकत साबित होते रहे हैं। पीएम मोदी समय-समय पर प्रवासी भारतीयों द्वारा की जा रही मदद का उल्लेख करते रहे हैं। 1998 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई द्वारा पोखरण में परमाणु परीक्षण किए जाने के बाद अमेरिका सहित तमाम पश्चिमी देशों ने भारत पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए थे। संकट की इस घड़ी में प्रवासी भारतीय देश की आर्थिक मदद का बड़ा संबल साबित हुए थे।
विश्व बैंक भी कर चुका है तारीफ
पिछले साल विश्व बैंक ने भी कहा था कि भारत प्रवासियों द्वारा भेजे जाने वाले धन का सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता है। पिछले साल प्रवासी भारतीयों ने करीब 82 अरब डॉलर की रकम भारत भेजी थी और इसमें से आधी रकम पश्चिम एशिया के प्रवासी मजदूरों की ओर से भेजी गई थी।
कोरोना संकट ने छीन लिया रोजगार
कोरोना संकट ने पूरी दुनिया में रहने वाले भारतीयों को काफी हद तक प्रभावित किया है। खासकर पश्चिम एशिया के देशों में भारतीय मजदूरों को काफी संख्या में अपने रोजगार से हाथ धोना पड़ा है। तमाम परियोजनाओं के रुक जाने की वजह से इन मजदूरों को बेरोजगारी के संकट का सामना करना पड़ रहा है।
70 फ़ीसदी प्रवासी खाड़ी के छह देशों में
केंद्रीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी खाड़ी देशों से बातचीत कर भारतीय प्रवासियों का ध्यान रखने की अपील की है। एक अनुमान के मुताबिक विदेशों में करीब 1.26 करोड़ भारतीय हैं और उनमें से भी 70 फ़ीसदी खाड़ी के 6 देशों में हैं। कोरोना संकट की वजह से इन सभी को भारी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है।
विदेशों में फंसे छात्र भी बेकरार
विदेशों में पढ़ रहे भारतीय छात्र-छात्राओं ने भी सरकार से संपर्क साधकर स्वदेश वापसी में मदद करने की अपील की है। इसलिए सरकार छात्रों की इस मांग पर गौर करते हुए उन्हें भी स्वदेश वापस लाने की योजना में जुटी हुई है। अधिकांश भारतीय छात्र अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा,रूस सिंगापुर और फिलीपींस जैसे देशों में फंसे हुए हैं। ज्यादातर के संस्थानों में पढ़ाई का काम ठप हो गया है और ऑनलाइन क्लासेज ही चल रही हैं। लॉकडाउन के कारण इन छात्रों को तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अब सरकार इन छात्रों को भी संकट से उबारने की कोशिश में लग गई है।
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