Presidential Election 2022: राष्ट्रपति चुनाव के बहाने ममता कर रहीं 2024 की तैयारी, विपक्ष का बनना चाहती हैं चेहरा

Presidential Election 2022: ममता बनर्जी ने राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की एकजुटता का यह कदम काफी सोच-समझकर उठाया है। लोकसभा चुनाव पर टिकी हुई हैं ममता बनर्जी की निगाहें।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update: 2022-06-15 08:05 GMT

Mamata Banerjee : Photo - Social Media

Presidential Election 2022: राष्ट्रपति चुनाव ( Presidential Election 2022) को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों खेमों में तैयारियों का दौर शुरू हो चुका है। राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष का चेहरा तय करने के मामले में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) सभी नेताओं पर लीड लेती हुई नजर आ रही हैं। कांग्रेस या किसी अन्य विपक्षी दल की ओर से इस मामले में पहल करने से पहले ही ममता ने देश के 22 प्रमुख विपक्षी नेताओं को चिट्ठी लिखकर दिल्ली में 15 जून को बैठक (meeting)  बुला ली।

ममता की ओर से की गई इस पहल के सियासी निहितार्थ तलाशे जा रहे हैं। दरअसल ममता बनर्जी ने राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की एकजुटता का यह कदम काफी सोच-समझकर उठाया है। सच्चाई तो यह है कि ममता बनर्जी की निगाहें मौजूदा राष्ट्रपति चुनाव से ज्यादा 2024 (Lok Sabha Elections 2024) में होने वाले लोकसभा चुनाव पर टिकी हुई हैं। ममता इस मामले में लीड लेकर 2024 के बड़ी सियासी जंग में विपक्ष का चेहरा बनने की कोशिश में जुटी हुई है। विपक्ष की बैठक बुलाने के मामले में भी उन्होंने कांग्रेस सहित सभी विपक्षी नेताओं को पीछे छोड़ दिया है।

बैठक बुलाने के मामले में सबसे पहले पहल

चुनाव आयोग की ओर से राष्ट्रपति चुनाव का कार्यक्रम घोषित किए जाने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने फोन पर ममता बनर्जी और एनसीपी मुखिया शरद पवार से बातचीत की थी। कोरोना के संक्रमित होने के कारण उन्होंने इस मामले में आगे बातचीत और समन्वय की जिम्मेदारी पार्टी के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को सौंप दी थी। कांग्रेस इस दिशा में कोई और कदम उठा पाती, इससे पहले ही ममता बनर्जी ने चालाकी दिखाते हुए आठ गैर भाजपाई मुख्यमंत्रियों समेत 22 विपक्षी नेताओं को चिट्ठी लिखकर 15 जून को दिल्ली बैठक में जुटने की अपील की।

ममता इस सिलसिले में 14 तारीख को ही दिल्ली पहुंच गईं और दिल्ली पहुंचते ही उन्होंने एनसीपी मुखिया शरद पवार से मुलाकात करके लंबी चर्चा की। ममता ने यह सब काम इतनी चालाकी से किया कि कांग्रेस के पास भी बैठक में हिस्सा लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा। ऐसे में राष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी की एकजुटता दिखाने के मामले में ममता दूसरे विपक्षी नेताओं पर भारी पड़ती दिख रही हैं।

पूरे देश को दिखाई अपनी ताकत

पश्चिम बंगाल में 2021 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा की तमाम कोशिशों के बावजूद ममता ने जीत हासिल की थी। इस चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा समेत पार्टी के दूसरे सभी प्रमुख चेहरों ने पूरी ताकत लगाई थी मगर इसके बावजूद भाजपा सिर्फ 77 सीटें जीतने में कामयाब हो सकी। दूसरी ओर ममता 213 सीटों पर जीत हासिल करके यह सियासी संदेश देने में कामयाब रहीं कि वे भाजपा का मुकाबला करने में पूरी तरह सक्षम है। इस जीत को हासिल करने के बाद पूरे देश में ममता का सियासी कद बढ़ा है।

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के बाद ममता पूर्वोत्तर और अन्य राज्यों में भी अपनी पार्टी को मजबूत बनाने की मुहिम में जुटी हुई है। हाल के दिनों में उन्होंने कांग्रेस और अन्य दलों के कई प्रमुख चेहरों को भी पार्टी में शामिल किया है। इन सभी कदमों के पीछे ममता का मकसद 2024 के लिए सियासी पिच तैयार करना है।

मोदी विरोध का सबसे बड़ा चेहरा बनीं ममता

राष्ट्रीय स्तर पर भी ममता भाजपा के खिलाफ हमेशा मोर्चा खोले रखती हैं। उन्हें मोदी विरोध का देश में सबसे बड़ा चेहरा माना जाने लगा है। विपक्षी दलों से जुड़े नेताओं के खिलाफ ईडी, इनकम टैक्स और सीबीआई समेत केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई के खिलाफ हमेशा उन्होंने आवाज बुलंद की है। वे मोदी सरकार पर केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लंबे समय से लगा रही हैं।

इसके साथ ही बीच-बीच में विपक्षी दलों के बड़े नेताओं के साथ मुलाकात करके भी वे विपक्ष के बीच एकजुटता का संदेश देती रही है। दिल्ली, मुंबई और देश के अन्य राज्यों का दौरा करके वे हमेशा विपक्ष के बड़े चेहरों के साथ एकजुटता दिखाती रही हैं।

यूपी पहुंचकर दिया था अखिलेश को समर्थन

उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भी वे सपा मुखिया अखिलेश यादव को समर्थन देने के लिए लखनऊ पहुंची थीं। उन्होंने लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके पीएम मोदी और भाजपा पर बड़ा हमला बोला था।

इसके अलावा उन्होंने वाराणसी में अखिलेश यादव और रालोद नेता जयंत चौधरी के साथ एक सभा को भी संबोधित किया था। ममता के इन सभी कदमों के पीछे 2024 की सियासी पिच पर खुद को मजबूत चेहरे के रूप में स्थापित करने की सोच ही काम कर रही है।

कांग्रेस की कमजोरी से हो रहा फायदा

सियासी जानकारों का मानना है कि ममता कांग्रेस की कमजोरी का फायदा उठाने में जुटी हुई है। पांच राज्यों में हाल में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को करारा झटका लगा है। कांग्रेस पंजाब में अपनी सत्ता बचाने में विफल रही जबकि चार अन्य राज्यों में भी उसे करारी हार का सामना करना पड़ा। संसद में सरकार के कदमों का विरोध करने के मामले में भी ममता की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के सदस्य कांग्रेस से आगे रहा करते हैं।

अब राष्ट्रपति चुनाव में भी विपक्ष की बैठक बुलाने के मामले में ममता ने कांग्रेस को पछाड़ दिया है। कांग्रेस इस मुद्दे पर चर्चा शुरू करने की कोशिश में ही लगी थी, तभी ममता ने विपक्ष की बैठक बुलाकर इस मामले में भी कांग्रेस से लीड ले ली है। इस बैठक के जरिए ममता एक बार फिर खुद को 2024 की सियासी जंग में विपक्ष का चेहरा बनाने की कोशिश करती हुई दिख रही है।

इंडिया वांट्स ममता दी कैंपेन

ममता की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने एक महीना पूर्व कोलकाता में नया कैंपेन लांच किया था इंडिया वांट्स ममता दी। 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने नारा दिया था कि पश्चिम बंगाल को अपनी ही बेटी चाहिए। अब तृणमूल कांग्रेस की ओर से काफी सोच-समझकर इंडिया वांट्स ममता दी कैंपेन शुरू किया गया है।

2024 की सियासी जंग से दो साल पहले शुरू किए गए इस अभियान का मकसद भी ममता को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्ष के चेहरे के रूप में स्थापित करना है। टीएमसी की ओर से इसे लेकर डिजिटल अभियान छेड़ा गया है और जल्द ही पार्टी देश के अन्य राज्यों के लोगों को भी इस अभियान से जोड़ने की मुहिम शुरू करेगी।

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