Presidential Veto Power: क्या होता है राष्ट्रपति का वीटो पॉवर, अब तक कितनों ने कौन से अवसर पर किया है इस्तेमाल
Presidential Veto power: भारतीय राष्ट्रपति के पास कुल तीन वीटो शक्तियां मौजूद हैं, जिसमें पूर्ण वीटो, निरोधात्मक वीटो और पॉकेट वीटो शामिल है। क्या हैं यह तीनों वीटो शक्तियां आइए जानते है।
Presidential Veto Power: भारत के राष्ट्रपति के पास हमेशा से एक वीटो पॉवर मौजूद रहती जिसका वह किसी भी अपरिहार्य स्थिति अथवा वैध कारण के साथ उपयोग कर सकते हैं। इस वीटो पॉवर की मदद से राष्ट्रपति यदि कोई ऐसा विधेयक जो सदन से पारित हो चुका है लेकिन उन्हें अवैध प्रतीत होता है तो वह वीटो पॉवर का उपयोग कर उस विधेयक को अधिनियम बनने से रोक सकते हैं।
अनुच्छेद 111 में है राष्ट्रपति की शक्तियों का उल्लेख
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 111 में कहा गया है कि राष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित विधेयक पर तीन प्रकार से निर्णय ले सकते हैं, जिसमें विधेयक पर सहमति की घोषणा करना, सहमति को रोकना तथा विधेयक को पुनर्विचार के लिए संसद को वापस लौटाना शामिल है। यदि राष्ट्रपति विधेयक को वापस कर देता है, और संसद इसे एक बार फिर से बिना किसी संशोधन के या बिना किसी संशोधन के पारित कर देती है तो राष्ट्रपति उसकी सहमति पर रोक नहीं लगा सकता है।
हालांकि, विपरीत इसके राष्ट्रपति के निर्णय और कार्यवाही के लिए कोई अंतिम समय सीमा निर्धारित नहीं कि गई है। इसी प्रकार से यदि किसी विधेयक पर राष्ट्रपति अपनी कार्यवाही को अनिश्चित काल के लिए स्थगित करके उसे संसद में वापस न भेजकर प्रभावी रूप से वीटो पॉवर का इस्तेमाल कर सकता है।
भारतीय राष्ट्रपति के पास कुल तीन वीटो शक्तियां मौजूद हैं, जिसमें पूर्ण वीटो (Absolute Veto), निरोधात्मक वीटो (Suspensive Veto) और पॉकेट वीटो (Pocket Veto) शामिल है।
क्या हैं यह तीनों वीटो शक्तियां
- पूर्ण वीटो- राष्ट्रपति अपनी इच्छानुसार किसी विधेयक पर अपनी सहमति रोक सकता है, जिसे पूर्ण वीटो कहा जाता है।
- निरोधात्मक वीटो- जब किसी विधेयक को अगले विचार यानी पुनर्विचार तक रोक दिया जाए तो उसे निरोधात्मक वीटो कहते हैं।
- पॉकेट वीटो- यह एक ऐसी वीटो शक्ति है जिसमें राष्ट्रपति के पास अंतिम रूप से हस्ताक्षर के लिए आए विधेयक पर कोई कार्यवाही नहीं करता है।
भारत के निम्न राष्ट्रपति ने किया है वीटो शक्ति का प्रयोग
1982 से 1987 तक भारत के राष्ट्रपति रहे ज्ञानी जैल सिंह ने अपने कार्यकाल के दौरान भारतीय डाकघर (संशोधन) विधेयक को कानून बनने से रोकने के लिए पॉकेट वीटो शक्ति का प्रयोग किया था।
इसके अलावा भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने सन 1954, राष्ट्रपति रामास्वामी वेंकटरमन ने 1991 और राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने 2006 में निरोधात्मक वीटो शक्ति का प्रयोग किया है।