पुणे पोर्श काण्ड: ब्लड सैंपल बदलने के लिए डॉक्टर और बिल्डर के बीच 14 बार फोन हुई पर बातचीत

Pune Porsche Accident: इस मामले में ससून जनरल अस्पताल के दो डॉक्टरों और एक कर्मचारी को लड़के के ब्लड सैंपल बदलने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।

Written By :  Neel Mani Lal
Update: 2024-05-29 06:36 GMT

पुणे पोर्श काण्ड  (photo: social media ) 

Pune Porsche Accident: पुणे के पोर्श कार कांड में नए नए खुलासे सामने आ रहे हैं। अब पता चला है कि दो युवाओं को कुचल कर मार डालने वाले कार ड्राईवर लड़के के ब्लड सैंपल बदलने में जबर्दस्त खेल हुआ। लड़के के ब्लड सैंपल को सरकारी ससून अस्पताल में जमा कराया गया था। सैंपल लिए जाने से पहले आरोपी लड़के के पिता ने अस्पताल के फोरेंसिक विभाग के प्रमुख डॉ अजय टावरे से 14 बार फोन पर बात की थी। इसी के बाद डॉ टावरे ने दो और लोगों के साथ मिल कर सैंपल ही बदल दिया था।

इस मामले में ससून जनरल अस्पताल के दो डॉक्टरों और एक कर्मचारी को लड़के के ब्लड सैंपल बदलने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने डॉ. टावरे और दो अन्य की रिमांड मांगते हुए स्थानीय अदालत को बताया कि उन्हें पता चला है कि आरोपी ने नाबालिग के रक्त का नमूना बदलने के लिए रिश्वत ली थी।

कूड़े में फेंक दिया असली सैंपल

पुलिस जांच के अनुसार लड़के के खून के नमूने को कूड़ेदान में फेंक दिया गया था और उसकी जगह किसी अन्य व्यक्ति के रक्त के नमूने को शराब की मौजूदगी का पता लगाने के लिए जांच के लिए भेजा गया। जाहिर सी बात है कि ये प्लानिंग इस लिए की गयी ताकि खून में शराब की मौजूदगी पता नहीं चल सके।

गिरफ्तार करने के बाद पुलिस ने डॉ. टावरे के साथ-साथ कैजुअल्टी मेडिकल ऑफिसर डॉ. श्रीहरि हलनोर और अस्पताल के मुर्दाघर में काम करने वाले अतुल घाटकांबले से जुड़े परिसरों की तलाशी ली। इस क्रम में डॉ. हलनोर के पास से ढाई लाख रुपये और घाटकांबले के पास से 50,000 रुपये बरामद किए गए। पुलिस का मानना है कि हलनोर और घाटकांबले से बरामद की गई रकम उन्हें मिली रिश्वत का हिस्सा है।


जांच का फोकस

पुलिस की जांच का मुख्य फोकस अब डॉ. टावरे के वित्तीय लेन-देन पर है। ये पता करना है कि उसे कितना मिला या कितना देने का वादा किया गया था और किसने दिया। एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू उस ब्लड सैंपल का है जिसे उन्होंने लड़के के सैंपल से बदल दिया था। पुलिस की जांच से पता चलता है कि सैंपल बदलने और जांच को फेल करने के लिए डॉ. टावरे ने दिमाग लगाया था।


सौदेबाजी और प्लानिंग

लड़के का ब्लास सैंपल 19 मई को सुबह 11 बजे ससून अस्पताल में लिया गया था। कॉल डिटेल रिकॉर्ड के विश्लेषण से पता चलता है कि उससे पहले दो घंटों में डॉ. टावरे और लड़के के पिता के बीच 14 बार कॉल का आदान-प्रदान हुआ था। ये कॉल व्हाट्सएप, फेसटाइम और मोबाइल कनेक्शन पर भी किए गए थे। पुलिस जांच के हिस्से के रूप में तकनीकी विश्लेषण में इन कॉलों का डिटेल निकाला गया है। पुलिस का कहना है कि यह भी जांच हो रही है कि लड़के का पिता डॉ टावरे से पहली बार कैसे जुड़ा और क्या कोई और व्यक्ति था जिसने उनके बीच मध्यस्थता की।

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सैंपल बदलने का पता तब चला जब पुलिस ने औंध के जिला अस्पताल में लड़के से दूसरा ब्लड सैंपल एकत्र किया, क्योंकि खुफिया जानकारी मिली थी कि ससून अस्पताल के सैंपल के साथ छेड़छाड़ की कोशिश की जा सकती है। दोनों सैंपल 20 मई को सरकारी फोरेंसिक केंद्र में भेजे गए थे। इसके एक दिन बाद लड़के के पिता को गिरफ्तार कर लिया गया और उसका ब्लड सैंपल भी डीएनए विश्लेषण के लिए भेजा गया। डीएनए विश्लेषण की रिपोर्ट से पता चला कि लड़के के पिता के ब्लड सैंपल का ससून अस्पताल में लिए गए सैंपल से कोई संबंध नहीं था, जबकि औंध अस्पताल से लिए गए सैंपल से उसका मिलान हो गया।

हालांकि लड़के के दूसरे नमूने में शराब की पुष्टि नहीं हुई, लेकिन पुणे पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार ने इसका कारण दुर्घटना और नमूना संग्रह के बीच 20 घंटे का समय अंतराल बताया है। सैंपल कलेक्शन में इतना समय क्यों लगा इसका पुलिस के पास कोई जवाब नहीं है। लेकिन जिस तरह पुलिस ठाणे में लड़के को पिज़ा आदि खिलाने की बात सामने आई है और दो पुलिसवालों को सस्पेंड किया गया है उससे साफ़ है कि जानबूझ कर सैंपल देने में विलम्ब किया गया।

19 मई को तड़के चार बजे से पहले हुई दुर्घटना में आईटी इंजीनियर अनीश अवधिया और अश्विनी कोष्टा की मौत के बाद लड़के के खिलाफ सुबह 8 बजे यरवदा पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई। फिर उसे ससून अस्पताल ले जाया गया, जहां सुबह 11 बजे उसका ब्लड सैंपल लिया गया। दूसरा नमूना शाम 6 बजे एकत्र किया गया।


टाइमलाइन समझिये

पुणे कार कांड में पुलिस की शुरुआत कार्रवाई बेहद संदिग्ध रही है। कदम कदम पर जानबूझ कर की गयी लापरवाही साफ़ दिखाई देती है। जो काम तुरंत होना चाहिए था उसमें कई कई घंटे लगा दिए गए।

- कार से दो युवाओं को रौंदा जाता है तड़के साढ़े तीन से चार बजे के बीच।

- कार चला रहे लड़के को तत्काल लोग पकड़ लेते हैं और उसे पुलिस के हवाले कर दिया जाता है।

- एफआईआर दर्ज होती है सुबह आठ बजे।

- ससून अस्पताल में ब्लड सैंपल लिया जाता है 11 बजे।

- औंध के अस्पताल में दूसरा सैंपल लिया जाता है शाम 5 बजे।

ससून अस्पताल के तीन कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पुलिस राज्य सरकार से दो अलग-अलग मंजूरी प्राप्त करने की प्रक्रिया में है। ये मंजूरी दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 197 के तहत लोक सेवकों पर मुकदमा चलाने के लिए और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 19 के तहत रिश्वतखोरी के लिए मुकदमा चलाने के लिए ली जा रही है।

फिलहाल, कोर्ट ने तीनों आरोपियों को 30 मई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया है। लड़के के पिता को भी पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है और उसे भी ब्लड सैंपल बदलने के मामले में आरोपी बनाया गया है। लड़के का दादा भी गिरफ्तार किया जा चुका है।

Tags:    

Similar News