फैमिली पेंशन पर पत्नी का ही हक, अगर वह पति की हत्या भी कर देती है: हाईकोर्ट

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार के उस फैसले को खारिज करते हुए संबंधित विभाग को सारे बकाया के साथ याचिकाकर्ता को दो महीने के अंदर पेंशन भुगतान करने का आर्डर दिया है।

Update: 2021-01-31 11:31 GMT
20 फरवरी को भी मुजफ्फरपुर जिले के कटरा प्रखंड के दरगाह टोला से शराब पीने के कारण मौत होने की खबर आई थी। यहां जहरीली शराब पीने से 5 लोगों की जान चली गई थी।

चंडीगढ़: पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने फैमिली पेंशन को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। बलजीत कौर की याचिका पर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा है कि यदि पत्नी अपने पति का मर्डर भी कर देती है तो भी वो फैमिली पेंशन पाने की हकदार है।

25 जनवरी को बलजीत कौर बनाम हरियाणा राज्य केस में हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा-कोई भी सुनहरा अंडा देने वाली मुर्गी को नहीं काटता है। पत्नी को फैमिली पेंशन से वंचित नहीं किया जा सकता, अगर उसने पति की हत्या की है तो भी।

कोर्ट ने अपना फैसला पढ़ते समय साफ-साफ कहा कि फैमिली पेंशन, कल्याण योजना है जो सरकारी कर्मचारी की मौत की स्थिति में उसके परिवार को आर्थिक मदद मुहैया कराती है। पत्नी अगर आपराधिक केस में दोषी है तो भी फैमिली पेंशन पर हक बनता है। वह इसकी हकदार है।

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फैमिली पेंशन पर पत्नी का ही हक, अगर वह पति की हत्या भी कर देती है: हाईकोर्ट (फोटो: सोशल मीडिया)

सीसीएस में भी है इसका जिक्र

बता दें कि पत्नी को सीसीएस (पेंशन) रूल्स, 1972 के तहत पति की मौत के बाद फैमिली पेंशन की हकदार माना जाता है। सरकारी कर्मचारी की मौत के बाद उसकी पत्नी दूसरी शादी कर लेती है तो भी वो फैमिली पेंशन पाने की पात्र है।

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फैमिली पेंशन पर पत्नी का ही हक, अगर वह पति की हत्या भी कर देती है: हाईकोर्ट (फोटो: सोशल मीडिया)

क्या है ये पूरा मामला

बलजीत कौर अंबाला की रहने वाली हैं। उन्होंने पति की मौत के बाद पेंशन पाने के लिए कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका के माध्यम से उन्होंने कोर्ट को बताया था कि उनके पति तरसेम सिंह हरियाणा सरकार के कर्मचारी थे।

2008 में उनकी मौत हुई थी और 2009 में पति की हत्या के केस में उन्हें बुक किया गया और 2011 में दोषी ठहराया गया। बलजीत कौर को 2011 तक फैमिली पेंशन मिलती रही थी लेकिन दोषी ठहराए जाने के बाद हरियाणा सरकार ने उनकी पेंशन रोक दी थी।

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार के उस फैसले को खारिज करते हुए संबंधित विभाग को सारे बकाया के साथ याचिकाकर्ता को दो महीने के अंदर पेंशन भुगतान करने का आर्डर दिया है।

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