Qutub Minar Row: साकेत कोर्ट- 'जब 800 सालों से बिना पूजा के हैं देवता, तो आगे भी रहने दें', केस पर 9 जून को फैसला
Qutub Minar Controversy : कुतुब मीनार परिसर मस्जिद के इमाम मौलाना शेर मोहम्मद ने बड़ा दावा किया है कि एएसआई (ASI) ने मस्जिद परिसर में 13 मई से नमाज पढ़ने पर प्रतिबंध लगाया हुआ है।
Qutub Minar Row : कुतुब मीनार (Qutub Minar) विवाद में आज दिल्ली की साकेत कोर्ट में सुनवाई जारी है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने सुनवाई के दौरान अपनी दलीलों में कहा, कि कुतुब मीनार में धार्मिक गतिविधि नहीं हो सकती। ASI का कहना है, क्योंकि वह स्मारक है। वहीं हिंदू पक्ष की ओर से हरिशंकर जैन ने कहा, कि 'उनके पास पुख्ता सबूत हैं कि 27 मंदिर को तोड़कर यहां 'कुव्वत उल इस्लाम' मस्जिद बनाई गई थी। इसलिए वहां उन्हें पूजा की इजाजत दी जाए।' इस मामले में फैसला 9 जून को आएगा।
सुनवाई के दौरान साकेत कोर्ट ने ये भी कहा, कि बीते 800 सालों से अगर देवता बिना पूजा के वहां रहे हैं, तो उन्हें ऐसे ही रहने दिया जा सकता है। दूसरी तरफ, कोर्ट में एएसआई की तरफ से पेश वकील ने कहा, कि 'स्मारक का चरित्र 1958 एक्ट तथा उससे पहले 1904 एक्ट के तहत तय हुआ था।' ASI की तरफ से सिविल कोर्ट के फैसले का हवाला दिया गया। कहा गया, कि 'कोर्ट ने माना था कि इस केस में पूजा मूलभूत अधिकार का हिस्सा नहीं है।'
हिन्दू पक्ष ने ये कहा
सुनवाई के दौरान जब जज ने हिंदू पक्ष से पूछा, कि 'क्या आप चाहते हैं कि स्मारक को पूजा-पाठ की जगह बना दिया जाए? तब हिंदू पक्ष ने कहा, 'वे लोग सीमित स्तर की पूजा की मांग करते हैं।'
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के प्रसिद्ध कुतुब मीनार में पूजा की मांग को लेकर दायर हिंदू पक्ष की याचिका का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने विरोध किया है। एएसआई ने दिल्ली के साकेत कोर्ट में दाखिल अपने जवाब में कहा, कि 'कुतुब मीनार की पहचान बदली नहीं जा सकती।' इतना ही नहीं, ASI ने मंदिर का विरोध किया।
गौरतलब है कि,साकेत कोर्ट कुतुब मीनार परिसर के अंदर हिंदू और जैन देवी-देवताओं की बहाली तथा पूजा के अधिकार की मांग वाली याचिका दायर की गई। याचिका में दावा किया गया है, कि कुतुब मीनार परिसर में हिंदू देवी देवताओं की कई मूर्तियां मौजूद हैं। याचिका पर एएसआई ने अपना जवाब कोर्ट में दाखिल किया है। जिसमें ASI ने कहा, कि कुतुब मीनार को वर्ष 1914 से संरक्षित स्मारक का दर्जा मिला हुआ है। साथ ही कहा, कुतुब मीनार की पहचान बदली नहीं जा सकती और न ही स्मारक में पूजा की अनुमति दी जा सकती है।
कुतुब मीनार परिषद के स्थित मस्जिद के इमाम मौलाना शेर मोहम्मद (Maulana Sher Mohammad) की ओर से दावा किया गया है कि एएसआई (ASI) ने मस्जिद परिसर में नमाज पढ़ने से अब रोक लगा दिया है। शेर मोहम्मद ने बताया कि ऐसा पहली बार हुआ जब कुतुब मीनार परिषद स्थित मस्जिद में नमाज पढ़ने पर रोक लगाया गया हो। दिल्ली वक्फ बोर्ड द्वारा मुझे इस मस्जिद का इमाम नियुक्त किया गया था मैं 47 सालों से मस्जिद का इमाम हूं। मगर इन 47 सालों में ऐसा पहली बार है जब मस्जिद परिसर में नमाज पढ़ने पर प्रतिबंध लगाया गया हो।
क्या कहा इमाम मौलाना शेर मोहम्मद ने?
कुतुब मीनार परिसर स्थित मस्जिद के इमाम मौलाना शेर मोहम्मद द्वारा बताया गया कि कुतुब मीनार घूमने आने वाले बहुत से बाहरी पर्यटक नियमित तौर पर मस्जिद में नमाज पढ़ने आया करते हैं। मगर एएसआई द्वारा 13 मई से नमाज पढ़ने पर प्रतिबंध लगा दिया गया जिसके कारण अब यहां कोई नमाज नहीं पढ़ता अब तो हम भी कुतुब मीनार परिसर स्थित मस्जिद में नमाज पढ़ने नहीं जाया करते।
इमाम शेर मोहम्मद ने आगे कहा कि हमने इस मामले को लेकर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से लिखित में अनुमति मांगी है कि हमें कुतुब मीनार परिसर स्थित मस्जिद में नमाज पढ़ने दिया जाए। साथ ही अगर एएसआई द्वारा इसकी अनुमति नहीं दी जाती है तो हम जल्द ही इस मामले को लेकर केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री से भी मिलेंगे तथा उनसे यह मांग करेंगे कि हमें कुतुब मीनार परिसर स्थित मस्जिद में दोबारा से नमाज पढ़ने की अनुमति प्रदान की जाए।
कुतुब मीनार पर विवाद
कुतुब मीनार परिसर मस्जिद को लेकर हिंदू पक्ष द्वारा यह लगातार दावा किया जाता रहा है कि यह पहले एक मंदिर था जिसे बाद में तोड़कर मस्जिद बना दिया गया। का दावा है कि यह पुराने वक्त में हिंदुओं और जैनों का मंदिर था उस वक्त यहां 27 मंदिरे हुआ करती थी जिसे बाद में मुस्लिम शासकों ने तोड़कर मस्जिद बना दिया। हिंदू पक्ष की ओर से यह लगातार मांग की जा रही कि उन्हें कुतुब मीनार परिसर स्थित मस्जिद में पूजा करने की अनुमति दी जाए उनका कहना है कि यह मस्जिद नहीं बल्कि मंदिर है। गौरतलब है कि आज कुतुब मीनार परिसर में मौजूद मस्जिद मैं पूजा करने की अनुमति तथा हिंदू देवी देवताओं की पुनर्स्थापना की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई होनी है। हिंदू पक्ष का दावा है कि जैन तथा हिंदू मंदिरों को तोड़कर या मस्जिद बनाई गई है, अतः हमें यहां पूजा करने की अनुमति दी जाए। इस याचिका को लेकर आज दिल्ली के साकेत कोर्ट में सुनवाई होगी।