Rahul Gandhi: दिल्ली के बाद अब 'बंगाल चलो' की तैयारी, कांग्रेस ने राज्य में पकड़ मजबूत करने का बनाया प्लान
Rahul Gandhi: दिल्ली विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस ने दूसरे राज्यों पर जीत के लिए प्लान बनाना शुरू कर दिए हैं।;
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Rahul Gandhi: दिल्ली चुनाव के बाद अब कांग्रेस की नजर पश्चिम बंगाल पर है। पार्टी ने राज्य में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए बड़ा अभियान छेड़ने की योजना बनाई है। सूत्रों के मुताबिक, वरिष्ठ नेता राहुल गांधी के लिए पश्चिम बंगाल में ‘पदयात्रा’ का कार्यक्रम तय किया गया है, जबकि राज्य इकाई को चुनावी तैयारियों में जुटने के निर्देश दिए गए हैं।
राहुल गांधी की रणनीति
राहुल गांधी ने जब 2004 में सक्रिय राजनीति में कदम रखा था, तब वे युवा मामलों के प्रभारी बनाए गए थे। उनका मानना था कि कांग्रेस को अकेले चुनाव लड़ना चाहिए, जबकि उनकी मां सोनिया गांधी गठबंधन राजनीति की पक्षधर थीं और उन्होंने यूपीए (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) का नेतृत्व किया। हालांकि, लगातार चुनावी हार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हराने की रणनीति के तहत राहुल गांधी ने गठबंधन राजनीति को अपनाया। लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद उन्हें एहसास हुआ कि जहां अन्य इंडिया गठबंधन दल मजबूत हो रहे हैं, वहीं कांग्रेस कमजोर पड़ रही है। हरियाणा और महाराष्ट्र में हार के बाद उन्होंने अपनी रणनीति बदलने का फैसला किया और अरविंद केजरीवाल की AAP को टक्कर देने की हरी झंडी दी।
अब कांग्रेस का अगला निशाना TMC?
दिल्ली चुनाव में AAP की हार के बाद कांग्रेस अब अपने सहयोगियों से भी टकराव के मूड में है। समाजवादी पार्टी और नेशनल कॉन्फ्रेंस जैसी सहयोगी पार्टियों ने कांग्रेस पर ही हार का ठीकरा फोड़ा, लेकिन कांग्रेस अपने रुख पर अडिग रही। अब पार्टी की नजर TMC पर है, जिसने कांग्रेस को लगातार नजरअंदाज किया है। टीएमसी ने स्पष्ट कर दिया है कि वह इंडिया गठबंधन में अपनी प्रमुख भूमिका चाहती है और ममता बनर्जी को इस गठबंधन का चेहरा बनाने की इच्छुक है। इस बीच, कांग्रेस ने बंगाल में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए ‘पदयात्रा’ की योजना बनाई है।
क्या बंगाल में कांग्रेस की होगी वापसी?
बंगाल में कांग्रेस की स्थिति काफी कमजोर हो चुकी है, लेकिन पार्टी इसे दोबारा मजबूत करने की कोशिश में है। राज्य इकाई को सक्रिय करने के निर्देश दिए गए हैं और राहुल गांधी की यात्रा के जरिए कार्यकर्ताओं में जोश भरने की रणनीति बनाई जा रही है। अब देखना होगा कि क्या कांग्रेस अकेले चलने के अपने पुराने फॉर्मूले को अपनाकर बंगाल में वापसी कर पाएगी, या फिर गठबंधन की राजनीति में ही उसका भविष्य सुरक्षित रहेगा।