Rajasthan New CM: राजस्थान में मोदी मैजिक के बाद अब CM पद पर निगाहें, वसुंधरा के अलावा कई अन्य दावेदार भी उभरे

Rajasthan New CM: ऐसे में अब राज्य के अगले मुख्यमंत्री पद को लेकर सियासी चर्चाएं तेज हो गई हैं। मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में कई चेहरे शामिल हैं।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update:2023-12-03 14:47 IST

Rajasthan election result 2023  (photo: social media )

Rajasthan New CM: राजस्थान में पिछले तीन दशकों से हर पांच साल पर सत्ता बदलने का ट्रेंड रहा है और इस बार भी यह सिलसिला बना रहेगा। विधानसभा चुनाव के शुरुआती रुझानों से स्पष्ट हो गया है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की जादूगरी पर मोदी मैजिक भारी पड़ा है और राजस्थान में भाजपा बहुमत के साथ सरकार बनाने की ओर अग्रसर है।

ऐसे में अब राज्य के अगले मुख्यमंत्री पद को लेकर सियासी चर्चाएं तेज हो गई हैं। मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में कई चेहरे शामिल हैं। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने मतदान के बाद से ही सियासी सक्रियता बढ़ा रखी है। ऐसे में माना जा रहा है कि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को मुख्यमंत्री पद का फैसला करने में काफी माथापच्ची करनी होगी।

वसुंधरा राजे

राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए 25 नवंबर को वोटिंग समाप्त होने के बाद से ही राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपनी सियासी सक्रियता बढ़ा दी थी। उन्होंने राजधानी जयपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों से मुलाकात करके अहम मंत्रणा की। इसके बाद वसुंधरा राजभवन पहुंचीं जहां उन्होंने राज्यपाल कलराज मिश्र के साथ चर्चा की। वसुंधरा राजे की सक्रियता के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं।

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राजस्थान के विधानसभा चुनाव में इस बार भाजपा ने वसुंधरा को सीएम चेहरा नहीं घोषित किया था। इसके बावजूद उनकी दावेदारी को काफी मजबूत माना जा रहा है। वसुंधरा राजे राजस्थान में भाजपा के सबसे ज्यादा लोकप्रिय नेताओं में एक है और इसलिए उनकी दावेदारी को नकारना भाजपा हाईकमान के लिए भी मुश्किल माना जा रहा है।


सांसद बालकनाथ

राजस्थान में भाजपा ने इस बार तिजारा विधानसभा सीट पर संसद बालकनाथ को चुनाव लड़ने के लिए उतारा है। सांसद बालकनाथ का नाम भी सीएम पद की रेस में पूरी मजबूती से चल रहा है। ओबीसी वर्ग से आने वाले सांसद बालकनाथ मस्तनाथ मठ के आठवें महंत हैं। हाल के दिनों में भाजपा के दूसरे योगी के रूप में उन्होंने खूब सुर्खियां बटोरी हैं।


चुनाव से पूर्व एबीपी की ओर से किए गए सर्वे में 13 फ़ीसदी लोगों ने राजस्थान के अगले मुख्यमंत्री के रूप में सांसद बालकनाथ को अपनी पहली पसंद बताया था। आज तक-एक्सेस माय इंडिया की ओर से किए गए एग्जिट पोल में 9 फ़ीसदी लोगों ने वसुंधरा राजे तो 10 फ़ीसदी लोगों ने संसद बालकनाथ को भावी सीएम के रूप में पसंद किया था। ऐसे में सांसद बालकनाथ की दावेदारी को भी काफी मजबूत माना जा रहा है। सांसद बालकनाथ का कहना है कि सीएम पद को लेकर आखिरी फैसला पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की ओर से किया जाएगा।

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गजेंद्र सिंह शेखावत

केंद्र सरकार में जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को भी सीएम पद का मजबूत दावेदार माना जा रहा है। मूल रूप से जैसलमेर के रहने वाले शेखावत ने पिछला लोकसभा चुनाव जोधपुर लोकसभा सीट से जीता था। राजस्थान में शेखावत की मजबूत पकड़ मानी जाती रही है और उनकी गिनती प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री में शाह के करीबियों में की जाती है। विधानसभा चुनाव के पहले से ही वे राजस्थान की सियासी गतिविधियों में काफी सक्रिय रहे हैं। टिकट बंटवारे में भी शेखावत की खूब चली है।


हालांकि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की ओर से शेखावत को विधानसभा चुनाव के अखाड़े में नहीं उतारा गया था मगर अब भाजपा को बहुमत मिलने की स्थिति में शेखावत सीएम पद के मजबूत दावेदार बनकर उभरे हैं। हालांकि शेखावत खुद को सीएम पद की रेस से बाहर बताते रहे हैं मगर इसके साथ ही उनका यह भी कहना है कि पार्टी का निर्णय सर्वोपरि होगा। पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से नजदीकी का उन्हें बड़ा सियासी फायदा मिल सकता है।

दीया कुमारी

राजस्थान में इस बार भाजपा ने जिन सांसदों को विधानसभा चुनाव के अखाड़े में उतारा है उनमें सांसद दीया कुमारी का नाम भी शामिल है। जयपुर के राजघराने से ताल्लुक रखने वाली दीया कुमारी ने इस बार विद्याधर नगर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा है। उल्लेखनीय बात यह है कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के करीबी नरपत सिंह राजवी का टिकट काटकर पार्टी नेतृत्व ने उन पर भरोसा जताया है।


टिकट दिए जाने के बाद से ही उन्हें वसुंधरा राजे के विकल्प के तौर पर देखा जाने लगा था। हालांकि चुनाव से पूर्व किए गए सर्वे में सिर्फ तीन फीसदी लोगों ने सीएम के रूप में उन्हें अपनी पसंद बताया था मगर भाजपा का शीर्ष नेतृत्व उन्हें भी बड़ी जिम्मेदारी देकर चौंका सकता है।

अर्जुन राम मेघवाल

केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को राजस्थान में भाजपा का दलित चेहरा माना जाता है। इस बार के विधानसभा चुनाव में में मेघवाल ने भी काफी सक्रियता दिखाई है। मोदी सरकार में वे कानून मंत्री की भूमिका निभा रहे हैं। वैसे इस बार के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें अखाड़े में नहीं उतारा है मगर भाजपा के चुनाव प्रचार में वे काफी सक्रिय दिखे हैं। उन्हें राजस्थान के दलित वोटों को भाजपा के समर्थन में एकजुट करने की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई थी। ऐसे में सीएम चेहरे के रूप में भाजपा का शीर्ष नेतृत्व उनकी दावेदारी पर भी विचार कर सकता है।


सीपी जोशी

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सीपी जोशी ने मौजूदा विधानसभा चुनाव के दौरान काफी मेहनत की है। ऐसे में कुछ भाजपा नेता सीएम पद के दावेदार के रूप में सीपी जोशी का नाम भी ले रहे हैं। वे चित्तौड़गढ़ से दो बार सांसद का चुनाव जीत चुके हैं और उन्हें भाजपा का ब्राह्मण चेहरा माना जाता रहा है। गहलोत सरकार के खिलाफ माहौल बनाने में उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई है और यही कारण है कि उनकी दावेदारी भी मजबूत मानी जा रही है।


ओम बिरला

लोकसभा के स्पीकर ओम बिरला को भी राजस्थान में सीएम पद का दावेदार माना जा रहा है। लोकसभा अध्यक्ष के रूप में उनका कार्यकाल अगले साल मई में पूरा होने वाला है। ऐसे में माना जा रहा है कि पार्टी उन्हें बड़ी जिम्मेदारी सौंप सकती हैं। चुनावी टिकट बंटवारे के दौरान उनकी सक्रियता को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि वे राजस्थान की राजनीति में मौके की तलाश कर रहे हैं। वैसे उनकी एक कमजोरी भी है कि उनकी पूरे राजस्थान पर पकड़ नहीं मानी जाती।


राजेंद्र राठौड़

राजस्थान विधानसभा में विपक्ष के नेता पद की जिम्मेदारी निभाने वाले राजेंद्र राठौड़ को भी मजबूत चेहरा माना जा रहा है। सात बार विधायक का चुनाव जीतने वाले राठौड़ की दावेदारी भी दमदार मानी जा रही है। 1990 के बाद उन्होंने कोई चुनाव नहीं हारा है। राजपूत समुदाय से ताल्लुक रखने वाले राठौड़ को राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत का शिष्य माना जाता है।

वसुंधरा राजे की कैबिनेट में वे प्रमुख भूमिका निभा चुके हैं मगर अब उन्हें वसुंधरा का विरोधी माना जाता है। गहलोत सरकार के कार्यकाल के दौरान विपक्ष के नेता के रूप में उन्होंने तीखे हमले किए थे। ऐसे में उनकी दावेदारी को भी कई नेता काफी मजबूत मान रहे हैं।


राजस्थान में भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया को भी सीएम पद का दावेदार माना जा रहा था मगर वे आमेर से विधानसभा चुनाव हार गए हैं। चुनाव में मिली इस हार के साथ ही वे सीएम पद की दौड़ से बाहर हो गए हैं।

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