Rajiv Gandhi: यूं ही आधुनिक भारत के निर्माता नहीं कहे जाते हैं राजीव गांधी, इन उपलब्धियों के लिए आज भी आते हैं याद

Rajiv Gandhi Death Anniversary: 21 मई 1991 को भारत के सातवें प्रधानमंत्री रहे राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी। आज 21 मई को उनकी पुण्यतिथि है। इस अवसर पर जानते हैं उनके प्रमुख कार्यों के बारे में।

Update: 2023-05-21 12:30 GMT
फाइल फोटो- पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी (साभार-सोशल मीडिया)

Rajiv Gandhi Death Anniversary: 21 मई 1991 को भारत के सातवें प्रधानमंत्री रहे राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी। आज 21 मई को उनकी पुण्यतिथि है। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 से 1991 के बीच राजीव गांधी देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री रहे। इन पांच वर्षों में ही उन्होंने कई ऐसे काम किये जिसके लिए देशवासी उन्हें आज भी याद करते हैं। 40 वर्ष में प्रधानमंत्री बनने वाले राजीव गांधी को 21 वीं सदी के आधुनिक भारत का निर्माता भी कहा जाता है। आइये जानते हैं उनके प्रमुख कामों के बारे में।

दूरसंचार क्रांति का जनक

आज जिस डिजिटल इंडिया की चर्चा जोर-शोर से है, उसकी परिकल्पना राजीव गांधी पहले ही कर चुके थे। वह राजीव गांधी ही थे जो देश में दूरसंचार क्रांति लेकर आये। इसीलिए उन्हें डिजिटल इंडिया का शिल्पकार और सूचना तकनीक व दूरसंचार क्रांति का जनक कहा जाता है। अगस्त 1984 में राजीव गांधी के कार्यकाल के दौरान शहर से लेकर गांवों तक दूरसंचार का जाल बिछना शुरू हो गया था। जगह-जगह खुले पीसीओ के माध्यम से गांवों की जनता देश-दुनिया में रह रहे अपने परिजनों से जुड़ सकी। 1986 में एमटीएनएल की स्थापना से दूरसंचार क्षेत्र में तेजी से प्रगति हुई।

आमजन की पहुंच में लाये कम्प्यूटर

भारत में कम्प्यूटर का प्रसार करने का श्रेय राजीव गांधी को ही जाता है। देश में भले ही 1970 में डिपार्टमेंट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स की शुरुआत हो गई थी, लेकिन इसे आमजन की पहुंच में लाने का श्रेय राजीव गांधी को ही जाता है। कंप्यूटर सभी के लिए सुलभ हो, इसके लिए उन्होंने ही कम्प्यूटर उपकरणों पर आयात शुल्क घटाने की पहल की थी। राजीव गांधी ने अपने वैज्ञानिक मित्र सैम पित्रोदा के साथ मिलकर देश में कंप्यूटर क्रांति लाने की दिशा में काफी काम किया। आपको बता दें कि 1940 में दुनिया को पहला कम्प्यूटर मिला जबकि भारत में पहली बार 1956 में कम्प्यूटर ( HEC-2M) खरीदा गया। उस वक्त इसकी कीमत 10 लाख रुपए थी। राहुल गांधी मानना था कि विज्ञान और तकनीक की मदद के बिना उद्योगों का विकास संभव नहीं है।

पंचायती राज का अहम फैसला

राजीव गांधी कहते थे कि गांवों की उन्नति देश की उन्नति है। इसीलिए गांवों को सशक्त बनाने के लिए उन्होंने कई कदम उठाये। इनमें सबसे अहम उनका फैसला पंचायती राज व्यवस्था को सशक्त करना था। पूरे देश में ग्राम सरकार की अवधारणा को राजीव गांधी ने ही लागू किया। इसके लिए उन्होंने बाकायदा संविधान में संसोधन करके ग्राम पंचायतों को सशक्त किया था। 1985 में उन्होंने पंचायती राज अधिनियम के जरिए पंचायतों को वित्तीय और राजनीतिक अधिकार दिये। राजीव गांधी कहते थे कि जब ग्राम पंचायतों को संसद और विधानसभा जैसा दर्जा मिलेगा तो लोकतंत्र में गांवों की भागीदारी बढ़ जाएगी।

राजीव गांधी की ही देन हैं नवोदय विद्यालय

राजीव गांधी की सरकार 1986 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लेकर आई थी। इसके तहत पूरे देश में जवाहर नवोदय विद्यालय खोले जाने लगे, ताकि ग्रामीण बच्चे भी बेहतर पढ़ाई कर सकें। आज देश के हर राज्य में कई जवाहर नवोदय विद्यालय हैं, जहां से पढ़कर निकले बच्चे अपने गांव का ही नहीं बल्कि देश-प्रदेश का नाम रोशन कर रहे हैं। जवाहर नवोदय विद्यालय आवासीय विद्यालय होते हैं। यह पढ़ने वाले छात्रों को कक्षा 06 से 12वीं तक मुफ्त शिक्षा मिलती है। रहना और खाना भी फ्री होता है। प्रवेश परीक्षा के जरिये मेधावियों को इन स्कूलों में पढ़ने का मौका मिलता है।

18 साल की उम्र में वोट का अधिकार, ईवीएम को बढ़ावा

आजादी के बाद देश में वोटर की उम्र 21 वर्ष थी। वह राजीव गांधी ही थे जिन्होंने 1989 में 61वें संविधान संशोधन के जरिए मतदाता की उम्र 21 वर्ष की थी। उनके इस फैसले से 5 करोड़ नए युवा वोटर्स बने थे। हालांकि, तब उनके इस फैसले की बहुत आलोचना हुई थी लेकिन आज उनका फैसला सही साबित हुआ है। चुनाव में ईवीएम मशीन के इस्तेमाल का कॉन्सेप्ट भी उनका ही था। राजीव गांधी का मानना था कि ऐसा करने से चुनाव प्रक्रिया में सुधार होगा। साथ ही बैलट पेपर से होने वाली धांधली को भी रोका जा सकेगा।

पड़ोसी देश से बेहतर संबंध

1962 में भारत और चीन के बीच युद्ध हुआ था। इसके बाद भारत और चीन के बीच तनातनी रहती थी। ऐसे माहौल के बीच 1988 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने चीन की यात्रा कर दोनों देशों के बीच संबंध सामान्य करने की कोशिश की। सीमा विवाद को लेकर उनके ही कार्यकाल में एक जॉइंट वर्किंग कमेटी बनाई गई थी, जिससे दोनों के बीच शांति बनी रहे। राजीव गांधी के इस कदम को लोग आज भी साहसिक और शांति की स्थापना करने वाला कदम करार देते हैं।

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