Rajnath Singh Birthday: अटल और आडवाणी के बाद अब पीएम मोदी के भी भरोसेमंद, शानदार रहा है राजनाथ सिंह का सियासी सफर
Rajnath Singh Birthday: राजनाथ सिंह रक्षा मंत्रालय के अलावा गृह मंत्रालय और मुख्यमंत्री के रूप में उत्तर प्रदेश की कमान भी संभाल चुके हैं।
Rajnath Singh Birthday: शिक्षक के रूप में अपने करियर की शुरुआत करने वाले केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आज देश की सियासत में बड़े नेताओं में गिने जाते हैं। 10 जुलाई 1951 को चंदौली जिले की चकिया तहसील में पैदा होने वाले राजनाथ सिंह का सियासी सफर काफी शानदार रहा है। एक राजनेता के रूप में उन्होंने कई शानदार उपलब्धियां हासिल की हैं। राजनाथ सिंह रक्षा मंत्रालय के अलावा गृह मंत्रालय और मुख्यमंत्री के रूप में उत्तर प्रदेश की कमान भी संभाल चुके हैं। उन्होंने दो बार भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष के रूप में भी काम किया।
राजनाथ सिंह भारतीय जनता पार्टी के दो शीर्ष नेताओं अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी दोनों के भरोसेमंद रहे हैं। अपने शानदार काम से उन्होंने इन दोनों नेताओं का दिल जीता था। मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ भी राजनाथ सिंह की अच्छी बॉन्डिंग रही है। भाजपा अध्यक्ष के रूप में राजनाथ सिंह ने ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पीएम पद का चेहरा घोषित किया था। यही कारण है कि प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के दौरान भी राजनाथ सिंह प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं।
13 साल की उम्र में संघ के स्वयंसेवक बने राजनाथ
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का जन्म 10 जुलाई, 1951 को उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले की चकिया तहसील में बभोरा गांव में हुआ था। मात्र 13 साल की उम्र में ही वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ जुड़ गए थे। उन्होंने गोरखपुर विश्वविद्यालय से भौतिकी में मास्टर डिग्री हासिल की थी।
इसके बाद उन्होंने मिर्जापुर के के.बी.स्नातकोत्तर महाविद्यालय में भौतिक शास्त्र के लेक्चरर के रूप में कार्य किया मगर बाद के दिनों में वे पूरी तरह राजनीति के मैदान में सक्रिय हो गए। राजनाथ सिंह की शादी 1971 में सावित्री सिंह से हुई और उनके दो बेटे और एक बेटी हैं। उनके बेटे पंकज सिंह भी राजनीति के मैदान में सक्रिय हैं और मौजूदा समय में नोएडा से भाजपा के विधायक हैं।
शिक्षा मंत्री के रूप में उल्लेखनीय काम
राजनाथ सिंह 1974 में राजनीति के मैदान में उतरे और अगले ही साल उन्हें मिर्जापुर जिले में जनसंघ के जिला अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई। 1977 में वे यूपी विधानसभा का चुनाव जीतने में कामयाब रहे। 1991 में उन्हें उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह की सरकार में शिक्षा मंत्री पद की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई।
शिक्षा मंत्री के रूप में उन्होंने यूपी बोर्ड की परीक्षाओं में नकल रोकने के लिए सख्त कदम उठाए। नकल विरोधी अधिनियम को लागू करने में राजनाथ सिंह ने बड़ी भूमिका निभाई थी। इतिहास की पाठ्य पुस्तकों में संशोधन और वैदिक गणित की पढ़ाई शुरू करने में भी उनकी उल्लेखनीय भूमिका रही।
1994 में राजनाथ सिंह राज्यसभा के सदस्य चुने गए और बाद में उन्हें उत्तर प्रदेश में भाजपा अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई। अक्टूबर 2000 में वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। 2001 में राजनाथ सिंह हैदरगढ़ विधानसभा से उपचुनाव जीतकर विधायक बने और 2002 में फिर से हैदरगढ़ से विधायक चुने गये।
अटल और आडवाणी दोनों का जीता विश्वास
अपने शानदार काम से राजनाथ सिंह भाजपा के दो शीर्ष नेताओं अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी का विश्वास जीतने में भी कामयाब रहे। इसी कारण इन दोनों नेताओं ने सियासी नजरिए से काफी अहम माने जाने वाले उत्तर प्रदेश की कमान राजनाथ को सौंपने का फैसला किया था। दोनों नेताओं के भरोसे पर खरे उतरने के कारण राजनाथ सिंह को केंद्रीय राजनीति में भी खूब तरजीह मिली।
22 नवंबर 1999 को उन्हें केंद्रीय मंत्री बनाया गया था। 24 मई 2002 को उन्हें कृषि मंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी गई। बाद में जनवरी 2004 में उन्हें खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय का अतिरिक्त कार्यभार भी सौंपा गया। अटल और आडवाणी के भरोसे पर खरे उतरने के कारण ही राजनाथ सिंह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने में भी कामयाब हुए थे।
उन्होंने दो बार भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में काम किया। पहली बार उन्होंने 2005 से 2009 तक पार्टी की कमान संभाली। इसके बाद उन्होंने 2013 से 2014 तक एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी भी संभाली।
लखनऊ संसदीय सीट से जीत की हैट्रिक
राजनाथ सिंह 2009 में गाजियाबाद से लोकसभा का चुनाव जीतने में कामयाब रहे। 2014 के लोकसभा चुनाव में वे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की विरासत मानी जाने वाली लखनऊ संसदीय सीट से चुनाव मैदान में उतरे और जीत हासिल की।
2019 के लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने इस सीट से अपनी जीत का सिलसिला जारी रखा। 2024 में उन्होंने लगातार तीसरी बार इस सीट से जीत हासिल करते हुए हैट्रिक लगाई। लखनऊ से सांसद बनने के बाद राजनाथ सिंह लगातार अपने संसदीय क्षेत्र के विकास कार्यों में गहरी दिलचस्पी लेते रहे हैं।
पीएम मोदी के भी भरोसेमंद हैं राजनाथ
भाजपा के दो शीर्ष नेताओं अटल और आडवाणी के बाद राजनाथ सिंह को मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी काफी भरोसेमंद माना जाता है। भाजपा अध्यक्ष के रूप में राजनाथ सिंह ने ही नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का चेहरा घोषित किया था।
2014 का लोकसभा चुनाव जीतने के बाद जब नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी राजनाथ सिंह को ही सौंपी थी।
जब नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री के रूप में 2019 में अपना दूसरा कार्यकाल शुरू किया तो उन्होंने रक्षा मंत्रालय की कमान राजनाथ सिंह के कंधों पर डाली। राजनाथ सिंह ने गृह मंत्री और रक्षा मंत्री के रूप में अपने दायित्व का बखूबी निर्वाह किया।
यही कारण था कि नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री के रूप में अपनी तीसरी पारी के दौरान भी राजनाथ सिंह को रक्षा मंत्रालय का महत्वपूर्ण दायित्व सौंपा है। संसद से लेकर संगठन के महत्वपूर्ण कार्यों तक राजनाथ सिंह आज भी भाजपा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
रामप्रकाश गुप्त ने बताया था राजनाथ का भविष्य
राजनाथ सिंह के बारे में एक दिलचस्प तथ्य यह भी है कि इमरजेंसी के दौरान अन्य नेताओं के साथ उन्हें भी गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया गया था। जेल में राजनाथ सिंह की मुलाकात रामप्रकाश गुप्त से हुई थी। उस समय राजनाथ सिंह की उम्र महज 25 साल थी और रामप्रकाश गुप्त ने राजनाथ सिंह से हाथ दिखाने को कहा।
राजनाथ सिंह के हाथ की लकीरों को ध्यान से देखने के बाद राम प्रकाश गुप्त का कहना था कि एक दिन वे यूपी बहुत बड़े नेता बनेंगे। वहां मौजूद अन्य लोगों ने पूछा कि कितने बड़े नेता? इस पर राम प्रकाश गुप्ता का जवाब था कि यूपी के सीएम से भी बड़े नेता।
बाद में रामप्रकाश की जगह ही बने सीएम
राम प्रकाश गुप्त की यह भविष्यवाणी 24 साल बाद 24 अक्टूबर 2000 को सच साबित हुई जब राजनाथ सिंह ने मुख्यमंत्री के रूप में उत्तर प्रदेश की कमान संभाली। मजे की बात यह रही कि रामप्रकाश गुप्त को हटाकर ही राजनाथ सिंह को मुख्यमंत्री के रूप में यूपी की कमान सौंपी गई थी।
मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद भी राजनाथ सिंह लगातार बड़े पदों पर बने रहे। उन्हें भाजपा के दिग्गज नेताओं में गिना जाता है और पार्टी को मजबूत बनाने में उनकी बड़ी भूमिका मानी जाती है। अपने विनम्र स्वभाव के कारण राजनाथ सिंह दूसरे दलों के साथ भी सामंजस्य से बैठाने में माहिर माने जाते रहे हैं।
2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा अपने दम पर बहुमत पाने में कामयाब नहीं हुई है। इस कारण सहयोगी दालों की भूमिका भी काफी महत्वपूर्ण हो गई है। ऐसे में मोदी के तीसरे कार्यकाल के दौरान राजनाथ सिंह की भूमिका काफी महत्वपूर्ण बनी रहेगी।