Mission 2024: विपक्ष का मुकाबला ‘राम‘ से!, ‘मोदी की गारंटी‘, ‘कमंडल में मंडल‘ से बीजेपी को जीत की उम्मीद

Mission 2024: हाल ही में हुए एक सर्वे में यह सामने आया है कि पहली बार वोट करने जा रहे नए वोटरों में राम मंदिर मुद्दे का आकर्षण बना हुआ है और पहली बार वोट करने वाले युवाओं की एक बड़ी संख्या भाजपा को वोट कर सकती है। 2019 के लोकसभा चुनाव में पहली बार वोट करने वाले युवाओं की संख्या लगभग आठ करोड़ थी, इस बार यह आंकड़ा बढ़कर 15 करोड़ के लगभग हो सकती है।

Written By :  Ashish Kumar Pandey
Update:2024-01-01 14:02 IST

PM Modi (photo: social media )

Mission 2024: 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन कार्यक्रम को भव्य बनाने के लिए तैयारियां जोरों पर हैं। इसको लेकर आरएसएस, भाजपा और विहिप ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। हर राज्य के हर जिले से लेकर मंडल और बूथ स्तर तक कार्यक्रम आयोजित कर अधिक से अधिक लोगों तक पहुंच बनाने की हर संभव कोशिश की जा रही है। इसको देखते हुए यह स्पष्ट हो गया है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा राम मंदिर निर्माण को अपना प्रमुख चुनावी एजेंडा जरूर बनाएगी। इसका मतलब साफ है कि 2024 की लड़ाई में विपक्ष का मुकाबला अब ‘राम‘ के मुद्दे से ही होगा। अब यहां सवाल यह उठता है कि क्या विपक्ष इसका मुकाबला कर पाएगा?

ऐसा माना जा रहा था कि अब राम मंदिर का मुद्दा पुराना पड़ चुका है और अब भारतीय जनता पार्टी इसका कोई राजनीतिक लाभ नहीं ले सकेगी। इसके पीछे एक यह भी तर्क था कि हिंदुत्व और राम मंदिर मुद्दे के कारण जिन मतदाताओं को प्रभावित होना था, वे पहले ही प्रभावित हो चुके हैं और अब वे भाजपा को ही वोट कर रहे हैं। ऐसे में इस बात की संभावना थी कि राम मंदिर के नाम पर भाजपा से नए मतदाता नहीं जुड़ेंगे और यह मुद्दा भारतीय जनता पार्टी के लिए अब बहुत लाभ का सौदा नहीं रहने वाला है।

पहली बार वोट करने वाले 15 करोड़ युवाओं पर असर

हाल ही में हुए एक सर्वे में यह बात सामने आई है कि पहली बार वोट करने जा रहे नए मतदाताओं में राम मंदिर मुद्दे का आकर्षण बना हुआ है और पहली बार वोट करने वाले युवाओं की एक बड़ी संख्या भाजपा को वोट कर सकती है। 2019 के लोकसभा चुनाव में पहली बार वोट करने वाले युवाओं की संख्या लगभग आठ करोड़ थी और इस बार यह आंकड़ा आश्चर्यजनक रूप से बढ़कर 15 करोड़ के लगभग हो सकती है।

इन पर इन मुद्दों का है व्यपाक प्रभाव-

हर लोकसभा क्षेत्र में फैले इस विशाल युवा मतदाता समूह पर पीएम मोदी, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राम मंदिर, हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के मुद्दे का व्यापक प्रभाव है और यही कारण है कि इनका एक बड़ा समूह भाजपा को वोट कर सकता है। यदि 2024 के लोकसभा चुनाव में ऐसा होता है तो मोदी और भाजपा को केंद्र में हैट्रिक लगाने में कोई मुश्किल नहीं आने वाली है।

अब कमंडल के साथ मंडल भी

लोकसभा चुनाव में जातिगत जनगणना और ओबीसी आरक्षण विपक्ष का सबसे बड़ा चुनावी हथियार हो सकता है, लेकिन विपक्ष के इस हथियान की काट भाजपा ने पहले ही निकाल लिया है। भाजपा ने इस मुद्दे को बेअसर करने के लिए पहले ही योजना तैयार कर ली है। भाजपा हर राज्य की सरकार, पार्टी संगठन में हर वर्ग के लोगों की भागीदारी सुनिश्चित कर रही है। हाल ही में बनी राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की सरकारों में ओबीसी, दलित, आदिवासी और ब्राह्मण सबको उचित भागीदारी देकर उन्हें साथ लेने की कोशिश की गई है।

अयोध्या एयरपोर्ट का नाम महर्षि वाल्मीकि के नाम पर रखना

अयोध्या के श्री राम इंटरनेशनल हवाई अड्डे का नाम बदलकर भगवान वाल्मीकि के नाम पर रख दिया गया। यह कोई अचानक में या एकाएक लिया गया निर्णय नहीं है। भाजपा ने इस पर काफी सोच विचार किया होगा। भाजपा इसके सहारे दलित-महादलित और आदिवासी समूह को अपने साथ मजबूती से जोड़ना चाहती है। जिस तरह से चुनावी राज्यों में इन समूहों के मतदाताओं का भाजपा को बड़ा समर्थन मिला है, इससे माना जा सकता है कि उसे इसका लाभ 2024 के लोकसभा चुनाव में भी मिल सकता है।

लेकिन ये मुश्किलें भी-

2023 में मणिपुर के मुद्दे ने केंद्र सरकार को काफी परेशान किया। उसकी तमाम कोशिशों के बाद भी मणिपुर के हालात जल्द सामान्य नहीं हुए। इससे विपक्ष को निशाना साधने का भी भरपूर मौका मिला था। वहीं केंद्र सरकार ने 370 के विवादित प्रावधानों को समाप्त कर दावा किया था कि इससे कश्मीर में आतंकवाद को समाप्त करने में बड़ी मदद मिली है। लेकिन साल का अंत आते-आते कश्मीर में आतंकवादियों ने एक बार फिर सिर उठाना शुरू कर दिया है। इन्हें मजबूती से कुचलना ही सरकार को राहत दे सकता है।

2023 के अंत में सब कुछ ठीक करने की कोशिश

2022 के अंत में भाजपा को हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था तो वहीं 2023 के मध्य में कर्नाटक में उसे मुंह की खानी पड़ी। लेकिन 2023 का अंत आते-आते भाजपा ने छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में विधानसभा चुनाव जीतकर 2024 को लेकर अपनी दावेदारी मजबूत कर दी।

अभी यहां काम है बाकी

भाजपा ने पार्टी संगठन से लेकर सरकार तक में बड़े चेहरों को किनारे लगा दिया और युवाओं पर दांव लगाया है। इससे शिवराज सिंह, वसुंधरा राजे सिंधिया और बीएस येदियुरप्पा जैसे नेताओं की भूमिका अब कमजोर हुई है। अब यदि इन नेताओं ने पूरा साथ नहीं दिया तो 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को कुछ नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। इसके साथ ही महंगाई और बेरोजगारी के मोर्चे पर अभी भी सरकार की मुश्किलें कम नहीं हुई हैं। यदि इंडिया गठबंधन इन मुद्दों को मजबूती से उठाता है तो लोकसभा चुनाव में एनडीए की राहें आसान नहीं होंगी।

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