Rajasthan Politics: पायलट को किसी भी कमेटी की नहीं मिली कमान, राजस्थान में कांग्रेस हाईकमान ने दिया बड़ा संकेत

Rajasthan Politics:भाजपा की बढ़ती चुनौतियों को देखते हुए कांग्रेस भी मजबूत मोर्चाबंदी करने में जुट गई है। इसी कड़ी में चुनाव से संबंधित आठ कमेटियों का गठन किया गया है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update:2023-09-07 12:48 IST

सचिन पायलट  (फोटो: सोशल मीडिया ) 

Rajasthan Politics:राजस्थान में विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा और कांग्रेस के बीच जबर्दस्त घमासान छिड़ा हुआ है। चुनावी बाजी जीतने के लिए दोनों दल आक्रामक रणनीति बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। भाजपा की बढ़ती चुनौतियों को देखते हुए कांग्रेस भी मजबूत मोर्चाबंदी करने में जुट गई है। इसी कड़ी में चुनाव से संबंधित आठ कमेटियों का गठन किया गया है। इन कमेटी में सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि राज्य के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट को किसी भी कमेटी का अध्यक्ष नहीं बनाया गया है।

सचिन को कैंपेन कमिटी का अध्यक्ष बनाए जाने की अटकलें थीं मगर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कैबिनेट सहयोगी गोविंद राम मेघवाल को यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है। मजे की बात यह है कि पायलट से जूनियर नेताओं को विभिन्न कमेटियों में अहम जिम्मेदारी दी गई है। पायलट के धुर विरोधी माने जाने वाले कई नेता भी इन कमेटियों में शामिल हैं।

अब कांग्रेस की इस रणनीति को लेकर राजस्थान में तरह-तरह की चर्चाओं का बाजार गरम हो गया है। सियासी जानकारों का मानना है कि पार्टी आलाकमान ने गहलोत को तरजीह देते हुए पायलट को चुनाव की मुख्य जिम्मेदारी से दूर कर दिया है। इसे पायलट का सियासी कद घटाने का संकेत माना जा रहा है।

कोऑर्डिनेशन कमेटी के अध्यक्ष होंगे गहलोत

राजस्थान में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और इस चुनाव में भाजपा की चुनौतियों का सामना करने के लिए कांग्रेस ने कमर कस ली है। इसके लिए पार्टी आलाकमान की ओर से आठ कमेटियों का गठन किया गया है मगर किसी भी कमेटी में अध्यक्ष के रूप में पायलट को कमान नहीं सौंपी गई है। हालांकि मेंबर के रूप में कमेटी में उन्हें जगह दी गई है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को कोऑर्डिनेशन कमिटी का अध्यक्ष बनाया गया है जबकि प्रदेश कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा को कोर कमेटी का संयोजक बनाया गया है।

कैंपेन कमेटी के अध्यक्ष बने मेघवाल

राजस्थान सरकार में मंत्री गोविंद मेघवाल को कैंपेन कमेटी के अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई है जबकि एक और दलित मंत्री ममता भूपेश को प्रचार कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया है। विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी मैनिफेस्टो कमेटी के अध्यक्ष होंगे जबकि मुरारी लाल मीणा को पब्लिसिटी और पब्लिकेशन कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया है। स्ट्रैटेजिक कमेटी की कमान हरीश चौधरी को सौंपी गई है। सचिन पायलट को पिछले दिनों कांग्रेस कार्यसमिति का सदस्य बनाया गया था और इस नाते वे विभिन्न कमेटियों में शामिल हैं।

पार्टी हाईकमान ने कराई थी सुलह

कांग्रेस आलाकमान की ओर से विभिन्न कमेटियों का गठन किए जाने के बाद सचिन पायलट को लेकर एक बार फिर चर्चाओं का बाजार गरम हो गया है। माना जा रहा है कि पार्टी हाईकमान की ओर से सचिन पायलट को एक बार फिर साइडलाइन किया गया है। सचिन पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच 2020 से ही विवाद दिखता रहा है। हालांकि पिछले दिनों पार्टी हाईकमान ने दोनों नेताओं के बीच सुलह कराई थी। इसके बाद सचिन पायलट गहलोत सरकार के खिलाफ तीखी बयानबाजी से परहेज करते हुए दिख रहे हैं।

गुर्जर बहुल सीटों पर बढ़ सकती है मुसीबत

अब सचिन पायलट की एक बार फिर अनदेखी की गई है। हालांकि अभी इस मुद्दे पर सचिन पायलट की प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। पायलट को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बाद राजस्थान कांग्रेस का सबसे लोकप्रिय चेहरा माना जाता रहा है।

सियासी जानकारों का मानना है कि पायलट की अनदेखी से कांग्रेस को सियासी नुकसान उठाना पड़ सकता है। राजस्थान के गुर्जर मतदाताओं पर पायलट की मजबूत पकड़ मानी जाती है। राज्य की करीब एक दर्जन विधानसभा सीटों पर गुर्जर मतदाता ही हार-जीत का फैसला करते हैं। ऐसी सीटों पर कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ सकती हैं और भाजपा की ओर से इसे भुनाने की कोशिश की जा सकती है।

अब पहले जैसी भूमिका में नहीं हैं सचिन

राजस्थान में 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान सचिन पायलट ने अहम भूमिका निभाई थी। प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में टिकट बंटवारे में भी उनकी खूब चली थी मगर अब राजस्थान कांग्रेस में सचिन पायलट 2018 जैसी भूमिका में नहीं दिख रहे हैं। पार्टी आलाकमान की ओर से यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि सचिन पायलट पार्टी के लिए मजबूरी नहीं है। उन्हें किसी भी कमेटी में अध्यक्ष के रूप में कमान न सौंपने पर कांग्रेस की हल्कों में भी हैरानी जताई जा रही है।

सचिन पायलट और उनके समर्थकों ने पिछले साढ़े चार वर्षों के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का सिरदर्द बढ़ाए रखा मगर अब मुख्यमंत्री गहलोत खुलकर बैटिंग करते हुए दिख रहे हैं। कांग्रेस हाईकमान की ओर से उठाए गए इस कदम पर सचिन पायलट और उनके समर्थकों की प्रतिक्रिया का इंतजार किया जा रहा है।

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