Lok Sabha Election 2024: यूपी में सपा-कांग्रेस का गठबंधन न होने से किसे कितना नुक़सान, बीजेपी की राह हुई और आसान

Lok Sabha Election 2024: उत्तर प्रदेश में सपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन टूटने का बड़ा सियासी असर पड़ने की संभावना है। बसपा मुखिया मायावती ने पहले ही अपने दम पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर रखा है और भाजपा पहले ही सुभासपा और राष्ट्रीय लोकदल को तोड़कर विपक्षी खेमे में सेंधमारी कर चुकी है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update: 2024-02-20 12:26 GMT

यूपी में सपा-कांग्रेस का गठबंधन न होने से किसे कितना नुक़सान, बीजेपी की राह हुई और आसान: Photo- Social Media

Lok Sabha Election 2024: उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन न हो पाने से विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया को करारा झटका लगा है। दोनों दलों के बीच सीट शेयरिंग को लेकर चल रही बातचीत अंजाम तक नहीं पहुंच सकी और अब दोनों दलों की ओर से प्रदेश की सभी सीटों पर अपने-अपने दम पर चुनाव लड़ने की तैयारी है। सीट शेयरिंग का मुद्दा फाइनल न हो पाने के कारण ही सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की न्याय यात्रा में भी हिस्सा नहीं लिया।

उत्तर प्रदेश में सपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन टूटने का बड़ा सियासी असर पड़ने की संभावना है। बसपा मुखिया मायावती ने पहले ही अपने दम पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर रखा है और अब सपा और कांग्रेस के बीच भी सहमति नहीं बन सकी है। भाजपा पहले ही सुभासपा और राष्ट्रीय लोकदल को तोड़कर विपक्षी खेमे में सेंधमारी कर चुकी है। इस कारण अब भाजपा के लिए जीत की राह और आसान हो गई है। माना जा रहा है कि अब भाजपा 2014 के लोकसभा चुनाव के नतीजे को दोहराने या उससे आगे निकलने में भी कामयाब हो सकती है।

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भाजपा के लिए हैट्रिक लगाना हुआ आसान

सियासी हल्कों में एक बात काफी पहले से ही कही जाती रही है कि दिल्ली की सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है। दरअसल उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटें हैं और इस प्रदेश में बड़ी जीत हासिल करने वाले दल की दिल्ली में दावेदारी अपने आप मजबूत हो जाती है। उत्तर प्रदेश की सियासी जंग में भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए को पहले ही मजबूत माना जा रहा था।

कई एजेंसियों के सर्वे में भाजपा सपा, कांग्रेस और बसपा के मुकाबले पहले ही मजबूत स्थिति में दिख रही थी और अब सपा-कांग्रेस का गठबंधन टूटने के बाद भाजपा और मजबूत बनकर उभरेगी। इस कारण दिल्ली की गद्दी पर भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए के लिए हैट्रिक लगाना और आसान हो गया है।

2014 में दिखा था बिखराव का असर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करिश्माई नेतृत्व हासिल होने के बाद उत्तर प्रदेश में भाजपा ने 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल की थी। अगर साल 2014 लोकसभा चुनाव की बात करें तो यूपी में भारतीय जनता पार्टी को प्रचंड बहुमत के साथ 71 सीटें मिलीं थीं और पार्टी के खाते में 42.3 फीसदी वोट गए। भाजपा के सहयोगी दल अपना दल को दो सीटों पर जीत हासिल हुई थी।

अगर विपक्षी दलों की बात करें तो सपा 22.2 फ़ीसदी मतों के साथ पांच सीटें जीतने में कामयाब हुई थी जबकि 19.6 फ़ीसदी वोट हासिल करने के बावजूद बसपा का प्रदेश में खाता तक नहीं खुला था। कांग्रेस ने 7.5 फ़ीसदी मतों के साथ दो सीटों पर जीत हासिल की थी। 2014 के लोकसभा चुनाव में सभी दलों ने अपने-अपने दम पर चुनाव लड़ा था और इस चुनाव में भाजपा ने विपक्षी दलों को बुरी तरह पटखनी दी थी।

2019 में भी एनडीए को बड़ी कामयाबी

उत्तर प्रदेश में 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान सपा,बसपा और रालोद ने गठबंधन करके चुनाव लड़ा था मगर इसके बावजूद भाजपा बड़ी जीत हासिल करने में कामयाब हुई थी। इस चुनाव में एनडीए में बीजेपी और अपना दल (एस) एक साथ मिलकर लड़े थे और एनडीए का 51.19 प्रतिशत वोट शेयर रहा था। इसमें बीजेपी के खाते में 49.98 प्रतिशत और अपना दल (एस) को 1.21 प्रतिशत वोट शेयर मिला था।

वहीं महगठबंधन (बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल) को 39.23 प्रतिशत वोट शेयर मिला था जिसमें बसपा को 19.43 प्रतिशत, सपा को 18.11 प्रतिशत और रालोद को 1.69 प्रतिशत वोट मिला था। इसके अलावा कांग्रेस को इस चुनाव में 6.36 वोट शेयर मिला था।

यदि सीटों की बात की जाए तो भाजपा को 62 और अपना दल (एस) को दो सीटों पर जीत हासिल हुई थी। बसपा को गठबंधन का बड़ा फायदा मिला था और पार्टी 10 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब हुई थी। सपा को पांच और कांग्रेस को सिर्फ एक सीट पर जीत हासिल हुई थी। कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में सिर्फ सोनिया गांधी ने रायबरेली सीट जीती थी।

2024 में भी 2014 जैसे हालात

अब उत्तर प्रदेश में सपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन टूटने का बड़ा सियासी असर दिख सकता है। 2014 के लोकसभा चुनाव में सभी दलों ने अपने-अपने दम पर चुनाव लड़ा था और इस चुनाव में भाजपा ने सभी दलों को बुरी तरह पटखनी दी थी। अब वैसे ही सियासी हालात 2024 में भी बनते हुए दिख रहे हैं। चुनावी रणनीति के मामले में भाजपा ने पहले ही विपक्षी दलों को बुरी तरह पछाड़ रखा है और अब गठबंधन टूटने के बाद विपक्षी दलों की उम्मीद को और तगड़ा झटका लगा है।

मुस्लिम मतों के बिखराव का दिखेगा बड़ा असर

विपक्षी दलों के बीच तालमेल न हो पाने का मुस्लिम बहुल सीटों पर भी बड़ा असर दिखेगा। बसपा के अलग चुनाव लड़ने के फैसले से मुस्लिम मतों में पहले ही बंटवारे की आशंका जताई जा रही थी मगर अब बसपा, सपा और कांग्रेस के बीच मुस्लिम मत हासिल करने की जबर्दस्त होड़ दिखेगी।

तीनों दलों की ओर से मुस्लिम मत हासिल करने के लिए कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी जाएगी। ऐसे में मुस्लिम मतों के बंटवारे से भाजपा को बड़ा सियासी फायदा होने की उम्मीद जताई जा रही है। प्रदेश की मुस्लिम बहुल सीटों पर भी बीजेपी जीत हासिल करने में कामयाब हो सकती है।

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उत्तर प्रदेश पूरा करेगा पीएम मोदी का सपना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के अन्य नेताओं की ओर से पहले ही 370 प्लस और एनडीए के 400 पार जाने की बात कही जा रही है और अब उत्तर प्रदेश प्रधानमंत्री के इस दावे को मजबूत बनाने में बड़ी भूमिका निभाएगा। सियासी जानकारों का मानना है कि भाजपा विरोधी मतों के बंटवारे से विपक्षी दलों की उम्मीदों को बड़ा झटका लग सकता है जबकि भाजपा बड़ा सियासी फायदा उठाने की स्थिति में दिख रही है।

भाजपा के राष्ट्रीय और प्रदेश स्तरीय नेताओं की ओर से यूपी की सभी 80 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करने का दावा किया जा रहा है और अब विपक्षी दलों में बिखराव का बड़ा असर पड़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

हाल में भाजपा ने सुभासपा और राष्ट्रीय लोकदल को एनडीए में शामिल करके पूर्वी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बड़ी सियासी बढ़त हासिल की थी और अब विपक्षी दलों का गठबंधन बिखरने के बाद पार्टी और मजबूत स्थिति में दिख रही है। माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करिश्माई नेतृत्व में भाजपा उत्तर प्रदेश में 2014 लोकसभा चुनाव के नतीजे को दोहराने या उससे आगे बढ़ाने में भी कामयाब हो सकती है।

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