Santiniketan: शांति निकेतन को Unesco ने विश्व विरासत सूची में किया शामिल, जानिए रबींद्रनाथ टैगोर के इस घर के बारे में
Santiniketan Unesco World Heritage List: भारत लंबे समय से इस दिशा में प्रयास कर रहा था। पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में स्थित इस सांस्कृतिक स्थल को यूनेस्को टैग दिलाने के लिए लंबे समय से प्रयास कर रहा था।
Santiniketan Unesco World Heritage List: नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) का घर 'शांतिनिकेतन' यूनेस्को (Shantiniketan UNESCO) की विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया है। केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी (G Kishan Reddy) ने कहा, 'शांतिनिकेतन वह स्थान जहां नोबेल पुरस्कार विजेता कवि रवींद्रनाथ टैगोर ने एक सदी पहले विश्व भारती का निर्माण किया था। इसे एक अंतरराष्ट्रीय सलाहकार निकाय द्वारा यूनेस्को की विश्व विरासत सूची (World Heritage List) में शामिल करने की सिफारिश की गई थी।'
आपको बता दें, भारत लंबे समय से इस दिशा में प्रयास कर रहा था। पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में स्थित इस सांस्कृतिक स्थल को यूनेस्को टैग (UNESCO tag) दिलाने के लिए लंबे समय से प्रयास कर रहा था।
Unesco ने लिखा- भारत को बधाई
नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर का घर शांतिनिकेतन यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल कर लिया गया है। कवि रवींद्रनाथ टैगोर ने एक सदी पहले विश्व भारती की स्थापना की थी। यूनेस्को ने रविवार (17 सितंबर) को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में यह घोषणा की। यूनेस्को ने लिखा, 'यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शांतिनिकेतन शामिल। भारत को बधाई।'
ICOMOS ने की थी सिफारिश
गौरतलब है कुछ महीने पहले, अंतरराष्ट्रीय परामर्श संस्था 'इंटरनेशनल काउंसिल ऑन मॉन्यूमेंट्स एंड साइट्स'(ICOMOS) द्वारा इस ऐतिहासिक स्थल को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल करने की सिफारिश की गई थी। केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी (Union Culture Minister G Kishan Reddy) ने कहा, 'शांतिनिकेतन को एक अंतरराष्ट्रीय सलाहकार निकाय द्वारा यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल करने की सिफारिश की गई।'
जानें शांति निकेतन के बारे में
बता दें, शांति निकेतन की स्थापना एक आश्रम के तौर पर गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के पिता महर्षि देवेंद्रनाथ टैगोर (Maharshi Devendranath Tagore) ने वर्ष 1863 में की थी। यह 7 एकड़ जमीन पर बना है। बाद में रवींद्रनाथ टैगोर ने इस विश्वविद्यालय को स्थापित किया। उन्होंने इसे विज्ञान के साथ-साथ कला और संस्कृति की पढ़ाई का उत्कृष्ट केंद्र बनाया। साल 1901 में महज 5 छात्रों के साथ गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने इसकी शुरुआत की थी। वर्ष 1921 में इसे राष्ट्रीय विश्वविद्यालय (National University) का दर्जा मिला। आज यहां 6 हजार से भी अधिक विद्यार्थी अध्ययन करते हैं।