हाईकोर्ट से शरजील इमाम को लगा तगड़ा झटका, इस मामले में याचिका ख़ारिज

जेएनयू के छात्र शरजील इमाम को दिल्ली हाईकोर्ट से तगड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने शरजील की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उसके खिलाफ दर्ज यूएपीए मामले में जांच पूरी करने का समय बढ़ाए जाने के फैसले को चैलेंज किया गया था।

Update: 2020-07-10 11:37 GMT

नई दिल्ली: जेएनयू के छात्र शरजील इमाम को दिल्ली हाईकोर्ट से तगड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने शरजील की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उसके खिलाफ दर्ज यूएपीए मामले में जांच पूरी करने का समय बढ़ाए जाने के फैसले को चैलेंज किया गया था।

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बता दें कि हाईकोर्ट ने दिल्ली ने सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान भड़काऊ भाषण देने के केस में जेएनयू के छात्र शरजील इमाम की याचिका को 25 जून को सुनवाई पूरी कर ली थी ।

अदालत ने गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (यूएपीए) के तहत मामले में जांच पूरी करने के लिए 90 दिन की वैधानिक अवधि के अलावा तीन और महीने का समय दिया था।

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वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पांच घंटे से ज्यादा समय तक सुनवाई करने वाले न्यायमूर्ति वी कामेश्वर राव ने पुलिस और इमाम के वकील को 28 जून तक लिखित में दलीलें दाखिल करने को कहा था। इसके बाद आदेश पारित किया गया ।

इमाम ने जांच पूरी करने के लिए पुलिस को और समय देने के निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी थी। दिल्ली पुलिस ने इमाम की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि निचली अदालत के 25 अप्रैल के आदेश में कोई खामी नहीं है।

बताते चले कि पिछले साल दिसंबर में जामिया मिल्लिया इस्लामिया के पास संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ हिंसात्मक प्रदर्शन से जुड़े केस में इमाम को 28 जनवरी को बिहार के जहानाबाद जिले से अरेस्ट किया गया था।

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आवेदन करने वालों को अपने धर्म को साबित करना होगा

बताते चले कि सीएए के तहत भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने वालों को अपने धर्म को साबित करना होगा। इसमें कोई सरकारी दस्तावेज, बच्चों का स्कूल एनरोलमेंट, आधार इत्यादि दिखाया जा सकता है। साथ ही उन्हें सभी दस्तावेजों को दिखाने की प्रक्रिया पूरी करनी होगी जिससे साबित हो कि वे 2014 दिसंबर से पहले भारत आए थे।

अधिकारियों ने बताया कि सरकार इनसे मूल देश में इन लोगों से धार्मिक उत्पीड़न का सबूत मांगेगी, ऐसी कोई संभावना नहीं है। नियम बना दिए गए हैं लेकिन देश की नागरिकता हासिल करने के लिए लोगों को अपने धर्म को कोई प्रमाण देना होगा।

इससे जुड़े अधिकारियों ने ये जानकारी दी है। बता दें कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यक (हिंदू, सिख, जैन बुद्ध, ईसाई और पारसी) जो वहां धार्मिक भेदभाव झेल रहे हैं उन्हें संशोधित कानून (सीएए) के तहत भारत की नागरिकता दी जाएगी। इस कानून से मुस्लिम समुदाय को बाहर रखा गया है और ये उन लोगों पर लागू होगा जो साल 2014 के दिसंबर से पहले भारत आए हैं।

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