BJP New President: न ब्राह्मण न दलित, इस दिग्गज ओबीसी नेता का बीजेपी का अध्यक्ष बनना तय! जानिए क्यों और क्या है समीकरण
BJP New President: उनके पास सरकार और संगठन का काफी लंबा अनुभव है और वे ओबीसी का बड़ा चेहरा भी हैं। आरएसएस से भी उनके काफी अच्छे रिश्ते हैं। पार्टी में बड़े और प्रभावशाली नेताओं से भी उनके काफी अच्छे संबंध हैं।
BJP New President: बीजेपी में नए अध्यक्ष की तलाश शुरू हो गई। माना जा रहा है कि जल्द ही पार्टी नए अध्यक्ष का चुनाव कर लेगी। अध्यक्ष पद पर किसे बैठाया जाए इसको लेकर पिछले दिनों रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के घर बैठक हुई। जिसमें बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता और आरएसएस के सीनियर पदाधिकारी शामिल हुए। बता दें कि इस साल फरवरी में लोकसभा चुनाव से पहले जेपी नड्डा का कार्यकाल 30 जून 2024 तक के लिए बढ़ा दिया गया था। अब उनका बढ़ा हुआ कार्यकाल भी खत्म हो चुका है, लेकिन बीजेपी को अभी तक नया अध्यक्ष नहीं मिला है।
वैसे तो बीजेपी के नए अध्यक्ष पद के नाम की दौड़ में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फणडवीस, केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव आदि के नाम शामिल बताए जा रहे हैं। लेकिन इसमें सबसे प्रबल संभावना शिवराज सिंह चौहान की बताई जा रही है। कई ऐसे कारण और समीकरण हैं जिससे उनका नाम अध्यक्ष पद की रेस में सबसे आगे माना जा रहा है।
शिवराज का पलड़ा क्यों है सबसे भारी
बीजेपी अध्यक्ष के लिए कृषि मंत्री और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का पड़ला सबसे भारी बताया जा रहा है। क्योंकि उनके पास सरकार और संगठन का काफी लंबा अनुभव है और वे ओबीसी का बड़ा चेहरा भी हैं। आरएसएस से भी उनके काफी अच्छे रिश्ते हैं। पार्टी में बड़े और प्रभावशाली नेताओं से भी उनके काफी अच्छे संबंध हैं।
साफ और स्वच्छ छवि
शिवराज सिंह चौहान बीजेपी के बड़े नेताओं में सुमार हैं। उनकी स्वच्छ और साफ सुथरी छवि है। अगर उनके नाम को अध्यक्ष पद के लिए आगे बढ़ाया जाए तो शायद ही किसी को आपत्ति होगी। वे 18 साल तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं। जनता में उनकी काफी लोकप्रियता है। उनकी लोकप्रियता ही थी कि 2024 का लोकसभा चुनाव वे मध्य प्रदेश की विदिशा सीट से काफी अधिक वोटों से जीत कर छठीं बार लोकसभा पहुंचे हैं।
कितने हैं ओबीसी?
इसका फिलहाल कोई सटीक अनुमान नहीं हैं क्योंकि 1931 के बाद से ओबीसी जातियों की गिनती बंद हो गई है। 2011 में सामाजिक-आर्थिक जनगणना में ओबीसी जातियों के आंकड़े जुटाए जरूर गए थे, लेकिन उसे सार्वजनिक नहीं किया गया। ओबीसी की आबादी को लेकर कई सारे सरकारी आंकड़े हैं। 1990 में केंद्र की तब की वीपी सिंह की सरकार ने दूसरा पिछड़ा वर्ग आयोग की सिफारिश को लागू किया था। इसे मंडल आयोग के नाम से जाना जाता है। मंडल आयोग ने ओबीसी की 52 फीसदी आबादी होने का अनुमान लगाया था। हालांकि, मंडल आयोग ने ओबीसी आबादी का जो अनुमान लगाया था उसका आधार 1931 की जनगणना ही थी। वहीं, पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे के मुताबिक, 2021-22 में ओबीसी की आबादी 46 फीसदी के आसपास होने का अनुमान था। वही, एससी 20 फीसदी और एसटी की आबादी लगभग 10 फीसदी है।
किसी भी पार्टी के लिए हैं सबसे अहम
देश में लगभग 46 प्रतिशत ओबीसी हैं। जो किसी भी पार्टी के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि बीजेपी शिवराज सिंह पर दांव लगा सकती है। वे एक बड़े नेता के साथ ओबीसी का बड़ा चेहरा हैं। ऐसा कर बीजेपी कांग्रेस, सपा सहित अन्य दलों पर दबाव भी बनाने में कामयाब हो सकती है।
बीजेपी को लगा झटका
2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सबसे अधिक झटका उत्तर प्रदेश में लगा। जहां वह दूसरे नंबर की पार्टी बन गई है। वहां इंडिया गठबंधन ने 43 सीटें जीत ली हैं। इंडिया गठबंधन की यह जीत कितनी बड़ी थी, उसे इस तरह से समझ सकते हैं कि बीजेपी अकेले के दम पर बहुमत हासिल नहीं कर पाई, जबकि 2014 और 2019 में अपने दम पर बहुमत हासिल किया था। राजनीति के जानकारों का मानना है कि सपा और कांग्रेस के गठबंधन ने बीजेपी के अति पिछड़ा वर्ग और दलित मतदाताओं में पैठ बनाई। इस वजह से ये मतदाता बीजेपी से छिटक गए। बीजेपी इन मतदाताओं को फिर से अपने पाले में लाना चाहती है। ऐसे में उसका जोर किसी ओबीसी को अध्यक्ष पद पर बिठाने पर हो सकता है। उनके इसलिए शिवराज सिंह चौहान और भूपेंद्र यादव अध्यक्ष पद के प्रबल दावेदार हो सकते हैं। इसका दूसरा पक्ष यह है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई वरिष्ठ मंत्री ओबीसी से समाज से हैं, ऐसे क्या बीजेपी का नया अध्यक्ष ओबीसी वर्ग से ही होगा या कोई सवर्ण। इस मामले में फडणवीस का पड़ला भारी है। उनके पक्ष में उनका आरएसएस का करीबी होना और ब्राह्मण चेहरा होना है।
इसी साल इन राज्यों में होना है विधानसभा चुनाव
वहीं इस साल हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड के साथ-साथ ही जम्मू-कश्मीर विधानसभा के भी चुनाव हो सकते हैं। बीजेपी के लिए ये चारों राज्य काफी महत्वपूर्ण हैं। महाराष्ट्र और हरियाणा में तो उसकी सरकार ही है। ऐसे में बीजेपी की कोशिश इन चुनावों से पहले ही नया अध्यक्ष लाने की है। केरल के पलक्कड़ में आरएसएस की समन्वय बैठक 31 अगस्त और दो सितंबर के बीच होनी है। ऐसे में चर्चा है कि इससे पहले बीजेपी को नया अध्यक्ष मिल सकता है। अब देखना यह होगा कि बीजेपी ओबीसी चेहरे पर दावं लगाएगी या ब्राह्मण याद दलित। यह तो समय ही बताएगा।