WHO ने इस बार भारत के खिलाफ की ऐसी गलती, सात जन्मों तक नहीं मिलेगी माफी
मैप में देश के दो नए केंद्र शासित प्रदेशों को ग्रे कलर से दिखाया गया है, जबकि भारत अलग नीले रंग वाले हिस्से में नजर आ रहा है। वहीं, अक्साई चिन का विवादित हिस्सा ग्रे रंग में है, जिस पर नीले रंग की धारियां हैं।
नई दिल्ली: दुनिया भर में बसे भारतीयों का विश्व स्वास्थ्य संगठन(डब्ल्यूएचओ) के खिलाफ गुस्सा फूट पड़ा है।
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को भारत से अलग दिखाने पर लोग सोशल मीडिया पर डब्ल्यूएचओ के खिलाफ अपना आक्रोश व्यक्त कर रहे हैं।
कोरोना महामारी के प्रकोप को दर्शाने वाले एक नक्शे में यह गलती की गई है। लोग आशंका जाहिर कर रहे हैं कि डब्ल्यूएचओ ने जानबूझकर चीन के इशारे पर इस तरह का काम किया है। इसके पीछे सिर्फ और सिर्फ चीन का ही हाथ हो सकता है।
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पहले भी विवादों में रहा है चीन
ऐसा पहली बार नहीं है जब डब्ल्यूएचओ की साख पर बट्टा लगा हो या फिर उसके खिलाफ विरोध के स्वर सुनाई पड़े हो। बल्कि इसके पहले भी कई मौकों पर डब्ल्यूएचओ की विश्वसनीयता पर सवालिया निशान लग चुके हैं।
अभी ज्यादा दिनों की बात नहीं है।
कोरोना काल में ही इसका ताजा उदाहरण देखा गया था। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने डब्ल्यूएचओ पर आरोप लगाया था कि उसे चीन के वुहान स्थित लैब से कोरोना वायरस के फैलने की जानकारी बहुत पहले ही मिल गई थी लेकिन डब्ल्यूएचओ ने दुनिया भर के देशों से ये बात छिपा रखी थी।
जिसके बाद नाराज होकर ट्रंप ने डब्ल्यूएचओ को दिए जाने वाले फंड पर ही रोक लगा दी थी। हालांकि उस वक्त डब्ल्यूएचओ ने अमेरिका के आरोपों को सिरे से ख़ारिज कर दिया था।
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कैसे पकड़ी गई डब्ल्यूएचओ की गलती
दरअसल विश्व स्वास्थ्य संगठन की इस करतूत के बारे में तब पता चला जब लंदन में रहने वाले एक भारतीय की नजर सोशल मीडिया पर शेयर किए गए भारत के गलत नक्शे पर पड़ी।
उसके बाद उसने ट्वीट करके डब्ल्यूएचओ की गलती के बारें में सोशल मीडिया पर लोगों को जानकारी दी। उसके बाद से दुनिया भर के लोगों की नजर भारत के गलत नक्शे पर पड़ी।
ऐसी आशंका है कि डब्ल्यूएचओ की इस गलती के पीछे चीन का हाथ हो सकता है। क्योंकि चीन और डब्ल्यूएचओ के रिश्ते कोरोना काल में सामने आ चुके हैं।
सोशल मीडिया पर हो रही आलोचना
डब्ल्यूएचओ द्वारा प्रकाशित भारत के गलत नक्शे को लेकर सोशल मीडिया पर उसकी जमकर आलोचना हो रही रही है। मामला सामने आने के बाद विदेशों में रहने वाले भारतीयों ने भी इस पर अपना विरोध दर्ज कराया है।
लोगों का यहां तक कहना है कि चीन के इशारे पर ही डब्ल्यूएचओ ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को भारत से अलग दिखाया है। दरअसल, लंदन में रहने वाले आईटी कंसल्टेंट पंकज की नजर इस मैप पर सबसे पहले पड़ी थी।
उनके मुताबिक, किसी वाटसएप ग्रुप पर इसे शेयर किया गया था। डब्ल्यूएचओ ने अपने एक नक्शे में जम्मू-कश्मीर के साथ लद्दाख को भारत से अलग दर्शाया है।
यह कलर कोडेड मैप डब्ल्यूएचओ की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध है। भारतीय हिस्सा इसमें नीले रंग से दिखाया गया है, जबकि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को ग्रे कलर से चिह्नित किया गया है। वैश्विक संस्था के इस मैप को लेकर ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय प्रवासियों में खासा नाराजगी देखने को मिली है।
यहां उपलब्ध है विवादित मैप
मैप में देश के दो नए केंद्र शासित प्रदेशों को ग्रे कलर से दिखाया गया है, जबकि भारत अलग नीले रंग वाले हिस्से में नजर आ रहा है। वहीं, अक्साई चिन का विवादित हिस्सा ग्रे रंग में है, जिस पर नीले रंग की धारियां हैं। यह नक्शा के डब्ल्यूएचओ के ‘Covid-19 Scenario Dashboard’ में उपलब्ध है, जो कि देश के हिसाब से बताता है कि कहां कोरोना महामारी के कितने पुष्ट मामले हैं और कितनी मौतें हुई हैं।
डब्ल्यूएचओ ने सफाई में कही ये बात
मैप पर हो रहे विवाद डब्ल्यूएचओ ने सफाई दी है। उसकी तरफ से कहा गया है कि वह संयुक्त राष्ट्र के दिशा-निर्देशों का पालन करता है और उसी हिसाब से नक्शों को प्रकाशित करता है।
हालांकि, ये बात अलग है कि स्वास्थ्य संगठन की यह दलील भारतीयों के गले नहीं उतर रही है। उन्हें लगता है कि डब्ल्यूएचओ ने चीन के इशारे पर जानबूझकर गलती की है। सबसे पहले इस मामले को उठाने वाले आईटी कंसल्टेंट पंकज को भी कुछ ऐसा ही लगता है।
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