Shraddha Murder Case: प्यार-धोखा-फरेब और हत्या की ऐसी कहानी, जिसे सुन दहल जाएंगे आप..35 टुकड़ों की ये है खूनी दास्तान!
Shraddha Murder Case: श्रद्धा और आफ़ताब मुंबई छोड़कर दिल्ली में रहने लगे थे। श्रद्धा अपने आशिक से शादी की जिद कर रही थी। मगर, वो उसे बहला देता था..फिर जो हुआ
Shraddha Murder Case: प्यार-धोखा-फरेब और हत्या की ऐसी कहानी, जिसे सुन दहल जाएंगे आप...आफताब और 35 टुकड़ों की खूनी दास्तान!राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (Delhi) में हुए एक हत्याकांड ने देश को झकझोर कर रख दिया। आपके दिमाग को सन्न कर देने वाली इस हत्याकांड का खुलासा 6 महीने बाद हुआ। और जब सच्चाई सामने आई तो आम लोगों की छोड़िए पुलिस भी अचंभित रह गई। क्योंकि, हत्यारे ने जिस सफाई से इस वारदात को अंजाम दिया था, वह अच्छे-अच्छों का सिर चकरा देने के लिए काफी है। हम बात कर रहे हैं चर्चित श्रद्धा मर्डर केस की। श्रद्धा का हत्यारा कोई और नहीं बल्कि उसका लिव-इन-पार्टनर आफताब निकला।
मृतका का नाम श्रद्धा वाकर है। श्रद्धा अपने लिव-इन-पार्टनर आफताब अमीन पूनावाला के साथ दिल्ली के महरौली थाना इलाके में रह रही थी। दिल्ली पुलिस ने हत्याकांड के करीब 6 महीने बाद आरोपी शख्स को गिरफ्तार किया है। आफताब और श्रद्धा की दोस्ती मुंबई के एक कॉल सेंटर में साथ-साथ काम करने के दौरान हुई थी। ये दोस्ती धीरे-धीरे प्यार में बदल गई। श्रद्धा के परिवार को जब इस बारे में पता चला, तो विरोध हुआ। पारिवारिक विरोध के बाद दोनों भागकर दिल्ली चले आए और साथ रहने लगे थे।
कौन थी श्रद्धा वाकर?
श्रद्धा वाकर महाराष्ट्र के पालघर जिले की रहने वाली थी। अपने 59 वर्षीय पिता विकास मदान वाकर के साथ वो मुंबई के संस्कृति अपार्टमेंट में रहती थी। कॉल सेंटर में काम करने के दौरान श्रद्धा की मुलाकात वसई के दिवान होम में रहने वाले आफताबअमीन पूनावाला से हुई। श्रद्धा और आफताब की दोस्ती प्यार में बदल गई। तब श्रद्धा पिता का घर छोड़कर आफ़ताब के साथ नायगांव में लिव-इन-रिलेशन में रहने लगीं। जब श्रद्धा के परिवार को ये सब पता चला तो उन्होंने विरोध किया। श्रद्धा अपने पुरुष मित्र के साथ भागकर दिल्ली आ गई। हालांकि, इस बात की जानकारी उसके दोस्त लक्ष्मण नाडर को थी। श्रद्धा, नाडर की सहपाठी तो थी, मगर कुछ समय से दोनों संपर्क में नहीं थे।
श्रद्धा करती थी शादी की जिद
श्रद्धा काफी समय तक रिलेशन में रहने के बाद अपने प्रेमी से शादी की जिद करने लगी थी। मगर, आफ़ताब हमेशा कोई न कोई बहाना कर बात को टाल जाता। शुरुआत में तो वो मान जाती। लेकिन, बाद में इसी बात को लेकर दोनों में झगड़े होने लगे। अचानक एक दिन श्रद्धा गायब हो गई। किसी को उसका कोई पता नहीं चला। 6 महीने से गायब श्रद्धा की किसी को कोई खबर नहीं थी।
परेशान पिता ने दर्ज कराई FIR
बेटी के अचानक गायब होने से परेशान पिता विकास मदान वाकर महाराष्ट्र के पालघर से दिल्ली के महरौली थाना पहुंचे। उन्होंने वहां अपनी बेटी के अपहरण का केस दर्ज करवाया। पिता ने आरोप लगाया कि, आफताब अमीन पूनावाला नामक शख्स ने उनकी बेटी को अगवा किया। शादी का झांसा देकर श्रद्धा को मुंबई से दिल्ली ले आया। बीते 6 महीने से उनकी बेटी की खबर नहीं है।
परिवार को सोशल मीडिया से मिलती थी जानकारी
श्रद्धा के परिवार वालों को उसके सोशल मीडिया प्रोफइल के जरिए जानकारी मिला करती थी। मगर, एक समय ऐसा भी वक्त आया जब सोशल मीडिया पर अपडेट आना बंद हो गया। तब श्रद्धा के पिता परेशान हो गए। आख़िरकार बेटी की तलाश में वो दिल्ली पहुंचे। बेटी की तलाश की। नहीं मिलने पर उन्होंने दिल्ली पुलिस को शिकायत दी। श्रद्धा मामले में पुलिस ने तहकीकात शुरू की। पुलिस ने आरोपी आफ़ताब का मोबाइल सर्विलांस पर डाला। पुलिस को आरोपी लड़के की लोकेशन पता चल गई। घटना के करीब 6 महीने बाद पुलिस ने इस हत्याकांड का खुलासा किया। हत्यारोपी आफताब पूनावाला को उसके घर से गिरफ्तार कर लिया गया है।
श्रद्धा के 35 टुकड़े कर अलग-अलग इलाके में फेंका
गिरफ़्तारी के बाद आफताब ने जो कहानी पुलिस को बताई उससे सभी सन्न रह गए। उसने बताया वो श्रद्धा वाकर का कत्ल कर चुका था। उसने ना केवल उसकी हत्या की, बल्कि उसकी लाश को 35 टुकड़ों में काटकर कुछ अलग तरीके से ठिकाने लगाया। उस शातिर हत्या आरोपी ने कानून के शिकंजे से बचने के लिए श्रद्धा की लाश के कई टुकड़े कर वो कई दिनों तक दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में फेंकता रहा। इस तरह, उसने अपनी लिव-इन-पार्टनर को बेरहमी से मौत के घाट उतारा। आफ़ताब इस जघन्य हत्याकांड को अंजाम देने के बाद आराम से जीवन जी रहा था। उसे तनिक भी ये अंदाजा नहीं था कि कानून एक दिन उसके गिरेबान तक आ पहुंचेगी।
देर रात लगाता था ठिकाने
पुलिस सूत्रों के अनुसार, आरोपी आफताब ने श्रद्धा के करीब 35 टुकड़े किए थे, जिसे उसने एक बड़े फ्रीज़ में रखा था। आरोपी के इरादों का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उसने श्रद्धा की लाश के टुकड़ों को सुरक्षित रखने के लिए एक बड़ा फ्रिज भी ख़रीदा था। करीब 18 दिनों तक वो इन लाश के टुकड़ों को ठिकाने लगाया। उसने बताया कि उसने महरौली के जंगलों में लाश के टुकड़ों को भी फेंकता था। इस काम के लिए वो देर रात घर से निकलता था।