देश का अनोखा शहर: यहां न पैसा चलता है न सरकार, जानें इसकी खासियत

यह शहर शांतिपूर्ण तरीके से जीवन व्यतीत कर रहा है। सन 2000 में एपीजे अब्दुल कलाम ने शहर का दौरा किया और उन्होंने दौरे के उपरांत कहा मानव जाति के सुंदर भविष्य के लिए इस तरह के प्रयास का समर्थन करना भारत का कर्तव्य है।

Update: 2020-01-16 13:04 GMT

नई दिल्ली: दुनिया में बहुत से सैकड़ों देश हैं सभी देशों के अपने रीति रिवाज हैं अपने पैसे हैं और अपने नियम कानून हैं। लेकिन दुनिया में शायद ही कोई ऐसा देश होगा जहां न तो पैसा चलता है न ही कोई सरकार है। हैरान हो गए न आप! तो आइए हम आपको बताते हैं ऐसे शहर के बारे में...

कहां है ये शहर

आज से पहले आपने शायद उसका नाम सुना नहीं होगा लेकिन यह सत्य है और सबसे बड़ी बात तो यह है कि यह शहर भारत के चेन्नई से मात्र 150 किलोमीटर की दूरी पर ही है।

इन्होंने बसाया था ये शहर

दरअसल, तमिलनाडु का ओरोविल शहर अपने आप में जीने के तरीके की बड़ी मिसाल है। इस जगह का नाम "ओरोविल है इसका अर्थ है उषा नगरी या फिर नए जीवन की नगरी"। इसकी स्थापना 1968 में तमिलनाडु की विल्लुपुरम जिले में विदेशी महिला मीरा रिचर्ड द्वारा की गई थी।

मीरा रिचर्ड पहले एक विदेशी महिला थी परंतु भारत में बसने के बाद इन्हें सनातन संस्कृति से प्यार हो गया। परंतु उन्होंने देखा कि धर्म में कई सारे लोगों ने अलग से कुप्रथा मिलाकर गंदा करने का प्रयास किया है।

यहां सभी जाति के लोग समानता से रहते हैं, यहां सभी जाति के लोग समानता से रहते हैं। छुआछूत भेदभाव और जातीय ईर्ष्या का यहां पर नामोनिशान नहीं। प्रदूषण फैलाने वाले यंत्रों का निर्माण और उपयोग वर्जित है।

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यहां पर मात्र एक मंदिर है

यहां पर मात्र एक मंदिर है और इस मंदिर में प्रथम धर्म सनातन के वैदिक नियम के अनुसार योग करके ईश्वर ओम का ध्यान किया जाता है। मीरा मां ने अपने एकीकृत जीवन-दर्शन को स्थापित करते हुए ओरोविल को इसका चार सूत्रीय घोषणा पत्र दिया।

ओरोविल किसी व्यक्ति विशेष का नहीं है। ओरोविल समग्र रूप से पूरी मानवता का है। लेकिन ओरोविल में रहने के लिए व्यक्ति को दिव्य चेतना की सेवा के लिए तत्पर होना चाहिए।

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यहां नोट और सिक्कों का इस्तेमाल नहीं होता

यहाँ कागज के नोट और सिक्कों का इस्तेमाल नहीं होता। बल्कि एक दूसरे के खाते में खर्च लिखा जाता है। यहां रहने वाला हर व्यक्ति एक सेवक की तरह नागरिक बनता है। इसकी स्थापना में 124 राष्ट्र के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था। वर्तमान में यहां पर 44अलग-अलग देशों से नागरिक रहते हैं। फिलहाल यहां की जनसंख्या बहुत कम है।

अब्दुल कलाम ने अपने दौरे पर कही थी ये बात

यह शहर शांतिपूर्ण तरीके से जीवन व्यतीत कर रहा है। सन 2000 में एपीजे अब्दुल कलाम ने शहर का दौरा किया और उन्होंने दौरे के उपरांत कहा मानव जाति के सुंदर भविष्य के लिए इस तरह के प्रयास का समर्थन करना भारत का कर्तव्य है।

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