SC on Ram Setu: राम सेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की मांग, सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- केंद्र पीछे क्यों हट रही?
Ram Setu Case Supreme Court: CJI डी.वाई. चंद्रचूड़ की पीठ को सुब्रमण्यम स्वामी ने बताया कि ये एक छोटा मामला है, जहां केंद्र को सिर्फ हां या ना कहना है। मगर वो जवाब नहीं दे रही है।
Ram Setu Case Supreme Court: बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी (BJP leader Subramanian Swamy) की याचिका पर राम सेतु (Ram Setu) मसले पर गुरुवार (10 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। स्वामी ने याचिका में तमिलनाडु स्थित राम सेतु को राष्ट्रीय विरासत स्मारक घोषित करने की मांग की है। सर्वोच्च न्यायालय में आज की सुनवाई के दौरान जवाब के लिए केंद्र सरकार ने एक बार फिर समय मांगी है। शीर्ष अदालत ने केंद्र को 4 हफ्ते का समय तो दिया साथ ही सरकार की खिंचाई भी की। कोर्ट ने सरकार से कहा, वह इस मसले से भाग रही है। राम सेतु मामले पर अब 6 हफ्ते बाद सुनवाई होगी।
सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यों की बेंच ने सुनवाई की। इसमें चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया डी वाई चंद्रचूड़ (CJI D.Y.Chandrachud), जस्टिस हिमा कोहली (Justice Hima Kohli) और जस्टिस जेबी पारदीवाला (Justice JB Pardiwala) शामिल थे। पीठ को याचिकाकर्ता सुब्रमण्यम स्वामी ने बताया कि, 'ये एक छोटा मामला है जिस पर केंद्र को सिर्फ हां या ना कहना था।' इस पर केंद्र की तरफ से वकील ने कहा, कि हलफनामा तैयार है। हमें मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करना है। मगर जब इसके बाद केंद्र के वकील ने और समय मांगा तो जजों की बेंच ने कहा, 'केंद्र अपने पैर क्यों खींच रही है? '
सुप्रीम कोर्ट ने जवाब दाखिल करने के लिए केंद्र को 4 हफ्ते का समय देते हुए कहा, कि 'याचिकाकर्ता सुब्रमण्यम स्वामी को एक प्रति दी जाए। इस पर यदि स्वामी को कोई प्रत्युत्तर हो तो वे उसे दो सप्ताह में दाखिल करें। इसके बाद आगे सुनवाई होगी।'
जानें क्या है मामला?
कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) के शासनकाल में 'सेतु समुद्रम परियोजना' (Sethu Samudram Project) शुरू की गई थी। इस परियोजना के तहत जहाजों के लिए रास्ता बनाने के लिए राम सेतु को तोड़े जाने की बात कही गई थी। हालांकि, अदालती दखल के बाद इस कार्रवाई को रोक दिया गया। बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी के राम सेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई तभी से लंबित थी।
'अभी सॉलिसिटर जनरल उपलब्ध नहीं हैं'
राम सेतु मामले पर केंद्र सरकार ने एक बार फिर सुनवाई टालने का आवेदन दिया। सुनवाई के दौरान केंद्र के वकील ने ये भी बताया कि, हमारा जवाब तैयार है। इस वक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Solicitor General Tushar Mehta) मौजूद नहीं हैं, इसलिए सुनवाई के लिए अगली तारीख दे दी जाए। शीर्ष अदालत ने दो हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा, लेकिन केंद्र के वकील ने ऐसी समय सीमा न तय करने का अनुरोध किया तब कोर्ट ने चार हफ्ते का समय दिया।
UPA -1 में लाई गई थी 'सेतुसमुद्रम परियोजना'
कांग्रेस के UPA -1 सरकार में विवादास्पद सेतुसमुद्रम परियोजना की शुरुआत हुई थी। इस परियोजना के खिलाफ बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। याचिका में उन्होंने पूर्ववर्ती जनहित याचिकाओं का भी जिक्र किया था जिसमें राम सेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने का मुद्दा उठाया गया था। वर्ष 2007 में रामसेतु परियोजना पर रोक लगा दी गई थी।
बीजेपी सहित अन्य संगठनों ने भी किया था विरोध
हालांकि, केंद्र ने बाद में कहा था कि उसने परियोजना के 'सामाजिक-आर्थिक नुकसान' पर विचार किया था। केंद्र सरकार राम सेतु को नुकसान पहुंचाए बिना 'सेतुसमुद्रम परियोजना' के लिए नए मार्ग तलाशने को तैयार थी। यूपीए सरकार की इस योजना का बीजेपी सहित अन्य संगठनों ने कड़ा विरोध किया था। इस परियोजना का पर्यावरणविदों ने भी विरोध किया था।