आम्रपाली ग्रुप के 40 निदेशकों के बैंक खाते सीज करने का आर्डर, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला
नोएडा: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक बड़ा फैसला सुनाते हुए आम्रपाली बिल्डर समूह के निवेशकों को करारा झटका दिया। कोर्ट ने कहा कि आम्रपाली गंदे खेल में लगा हुआ है। ऐसे में उनकी सभी 40 कंपनियों के सभी निदेशकों के बैंक खाते सीज किए जाएं। अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने और बड़ा झटका देते हुए कहा कि इन सभी निदेशकों की निजी संपत्ति को भी जब्त किया जाए। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने रियल एस्टेट फर्म आम्रपाली समूह को पांच दिनों में अपने सभी निर्मित आवासीय में एस्कलेटर, लिफ्ट और फायर सेफ्टी उपकरणों की मरम्मत कराने या फिर इसका परिणाम भुगतने की चेतावनी दी थी। कुछ फ्लैट खरीदने वालों ने दावा किया है कि एस्कलेटर, लिफ्ट और फायर सेफ्टी उपकरण काम नहीं कर रहे हैं। रियल एस्टेट फर्म ने अभी तक ये उपकरण लगाए ही नहीं हैं। कोर्ट ने एनबीसीसी के चेयरमैन व आवास व शहरी मंत्रालय के सचिव को तलब किया है।
10 दिन का दिया था समय
बता दें कि इससे पहले आम्रपाली के फ्लैट खरीददारों के मामले पर सुनवाई के दौरान आम्रपाली समूह ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार उसके प्रोजेक्ट टेकओवर कर सकती है। राष्ट्रीय भवन निर्माण निगम (एनबीसीसी) के साथ शुरूआती बातचीत हुई है। उस दौरान बैठक में नोएडा-ग्रेटर नोएडा के अधिकारी मौजूद थे। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने बातचीत के लिए 10 दिन का समय दिया। मामले की अगली सुनवाई 1 अगस्त को होनी थी। सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली के प्रमोटर्स को देश नहीं छोड़ने का आदेश दिया था। इस मामले में बुधवार को सुनवाई करते हुए कोर्ट ने आम्रपाली समूह के निदेशकों को करारा झटका दिया।
निर्माण होने पर करें भुगतान
इससे पहले इस मामले की सुनवाई के दौरान एएसजी विक्रमजीत बनर्जी ने कहा था कि कोर्ट ये साफ करे कि ये आम्रपाली समूह का प्रस्ताव है कि उसके प्रोजेक्ट्स सरकार ले सकती है। इसे कोर्ट के आदेश के तौर पर नहीं देखा जाए। पिछले 17 मई को जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस यूयू ललित की बेंच ने साफ कहा था कि घर खरीददार तभी भुगतान करेंगे जब प्रोजेक्ट का निर्माण 100 फीसदी हो जाएगा। ये भुगतान अधिकार लेटर मिलने के 3 महीने के बाद किया जाएगा। कोर्ट ने सी वर्ग वाले प्रोजेक्ट्स को दूसरे प्रोजेक्ट्स के साथ बदलने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि जो लोग फ्लैट बदलना नहीं चाहते हैं वे पैसों की वापसी के लिए आवेदन दे सकते हैं।
फंड का ब्यौरा दें डेवलपर्स
पहले की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली और को-डेवलपर से करोड़ों रुपये उपभोग करने का ब्यौरा देने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने सख्त लहजे में पूछा कि रुपया कहां से आया और किन कम्पनियों को दिया गया? रकम किस रूप में दी गई, किसी काम के लिए एडवांस या फिर उधारी या किसी अन्य बहाने से दी गई। सुनवाई के दौरान फ्लैट खरीदारों की तरफ से दलील दी गई थी कि सहारा, यूनिटेक और जेपी की तरह आम्रपाली और इसके निदेशकों की निजी संपत्ति भी अटैच कर दी जाए। इनसे कम से कम 500 करोड़ रुपये जमा कराए जाएं, तब ये प्रोजेक्ट पूरे करेंगे।
विवादों में बना है आम्रपाली समूह
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के बुधवार के फैसले से पहले जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस यूयू ललित की पीठ ने कहा कि घर खरीदने वालों को जरूरी सुविधाएं मुहैया कराने के लिए रियल एस्टेट फर्म अधिकतम संख्या में विशेषज्ञ या इंजीनियरों को तैनात करें। फर्म यह काम सात मई तक पूरा कर ले। पीठ ने कहा था कि जल्द फर्म समस्याएं दूर करे और फायर सेफ्टी उपकरण लगवाए। ऐसा नहीं हुआ तो कंपनी के प्रमोटरों को गंभीर परिणाम भुगतने होगा। वे बच नहीं सकेंगे।'