सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, धारा-6A के तहत सिटिजनशिप एक्ट की वैधता रहेगी बरकरार

Citizenship Act: नागरिकता कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि धारा-6A की वैधता बरकरार रहेगी।

Report :  Sonali kesarwani
Update:2024-10-17 11:32 IST

supreme court (social media) 

Citizenship Act: नागरिकता कानून को लेकर आज कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। CJI की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधान पीठ ने बहुमत से नागरिकता कानून की धारा 6 A की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है। बेंच के सदस्य जस्टिस जे बी पारदीवाला ने अपने फैसले में नागरिकता कानून की धारा 6A को असंवैधानिक ठहराया है। कोर्ट ने 1985 के असम अकॉर्ड और नागरिकता कानून की धारा 6A को SC ने 4:1 के बहुमत से सही करार दिया। 1 जनवरी 1966 से 25 मार्च 1971 तक ईस्ट पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से असम आए लोगों की नागरिकता बनी रहेगी। उसके बाद आए लोग अवैध। SC ने कहा- कि असम की कम आबादी देखते हुए कट ऑफ डेट बनाना सही था।

चीफ जस्टिस ने क्या कहा

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने आज सुनवाई के दौरान कहा कि राज्यों को बाहरी आक्रमण से बचाना सरकार की जिम्मेदारी है। संविधान के अनुच्छेद 355 के कर्तव्य को अधिकार के रूप में पढ़ने से नागरिकों और अदालतों के पास आपातकालीन अधिकार आ जाएंगे जो विनाशकारी होगा। चीफ जस्टिस ने कहा कि किसी राज्य में विभिन्न जातीय समूहों की उपस्थिति का मतलब अनुच्छेद 29(1) का उल्लंघन नहीं है। लेकिन चीफ जस्टिस ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता को पहले यह साबित करना होगा कि एक जातीय समूह दूसरे जातीय समूह की उपस्थिति के कारण अपनी भाषा और संस्कृति की रक्षा करने में सक्षम नहीं है।

धारा 6ए को क्यों बताया वैध

अपनी सुनवाई के दौरान CJI ने कहा कि रजिस्ट्रेशन भारत में नागरिकता प्रदान करने का वास्तविक मॉडल नहीं है और धारा 6ए को केवल इसलिए असंवैधानिक नहीं माना जा सकता क्योंकि इसमें पंजीकरण की प्रक्रिया निर्धारित नहीं की गई है, इसलिए मैं भी इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं कि धारा 6ए वैध है।

आज जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस एमएम सुंदरेश ने भी अपने-अपने फैसलों को पढ़ते हुए कहा कि म किसी को अपना पड़ोसी चुनने की अनुमति नहीं दे सकते और यह भाईचारे के सिद्धांत के खिलाफ है।

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