ऐतिहासिक शहरों के नाम दोबारा रखे जाने की याचिका खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा - क्या आप चाहते हैं कि देश उबलता रहे

Supreme Court: कोर्ट ने कहा, क्या आप चाहते हैं कि ऐसे मामले हमेशा जिंदा रहे और देश उबलता रहे? याचिकाकर्ता एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय ने अपनी अर्जी में कहा था कि ऐतिहासिक जगहों का नाम दोबारा रखा जाना चाहिए क्योंकि विदेशी आक्रांताओं ने इनके नाम बदल दिए थे।

Written By :  Durgesh Sharma
Update:2023-02-28 15:53 IST

Supreme Court (Pic: Social Media)

Supreme Court Dismissed PIL: ऐतिहासिक शहरों और जगहों के नाम बदले जाने के लिए दाखिल याचिका को खारिज करते हुए बीते दिन यानी सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा, क्या आप चाहते हैं कि ऐसे मामले हमेशा जिंदा रहे और देश उबलता रहे? याचिकाकर्ता एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय ने अपनी अर्जी में कहा था कि ऐतिहासिक जगहों का नाम दोबारा रखा जाना चाहिए क्योंकि विदेशी आक्रांताओं ने इनके नाम बदल दिए थे। हमारे यहां लोधी, गजनी, गौरी के नाम पर सड़के हैं, लेकिन एक ऐसी रोड नहीं, जो पांडवों के नाम पर हो। कोर्ट ने कहा, आपने एक समुदाय विशेष पर उंगली उठाई है। हिंदुत्व में कभी कट्टरपन नहीं रहा। हिंदुत्व का इतिहास महान है। इसे कम नहीं किया जाना चाहिए।

कोर्ट ने कहा, अंग्रेजों ने फूट डालो और शासन करो की नीति अपनाई थी। उस स्थिति में वापस न जाएं। ऐसी याचिकाएं दायर कर समाज को तोड़ने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। आप देश को दिमाग में रखें, सिर्फ धर्म को दिमाग में न रखें।

अकबर ने भाईचारा के लिए की थी कोशिश

जस्टिस जोसेफ ने कहा कि धार्मिक पूजा स्थल का रोड से क्या लेना देना है। उन्होंने ध्यान दिलाया कि मुगल सम्राट अकबर की कोशिश थी कि तमाम समुदायों में भाईचारा हो। जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि कैसे विदेशी शासकों को इतिहास से हटाया जा सकता है। यह ऐतिहासिक फैक्ट है। आप विदेशी आक्रमणकारियों को इतिहास से हटा सकते हैं। भारत पर कई बार आक्रमण हुए। क्या हमारे देश में अतीत में जो हमले हुए उसके बदले अन्य समस्याओं पर ध्यान देने की जरूरत नहीं है?

सेक्युलरिज्म और संवैधानिकता से बंधा है भारत

जस्टिस जोसेफ ने कहा कि केरल में उदाहरण है कि हिंदू राजाओं ने चर्च के लिए जमीन दी थी। यह भारत का इतिहास है। आप कृपया इसे समझने की कोशिश करें। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि इंडिया यानी भारत एक सेक्युलर देश है और यह अपने भूतकाल में बंधकर नहीं रह सकता है। भारत कानून के राज, सेक्युलरिज्म और संवैधानिकता से बंधा हुआ है। अनुच्छेद-14 समानता की बात करता है। देश में कोई डर का भाव नहीं होना चाहिए। भारत लोकतांत्रिक देश है यह सिर्फ राष्ट्रपति के चुनाव तक सीमित नहीं है बल्कि लोकतंत्र में जो हाशिये पर हैं, उन्हें भी शामिल किया गया है। यह महत्वपूर्ण है कि देश को आगे बढ़ना होगा और नीति निर्देशक सिद्धांतों के अनुरूप अपने गोल को अनिवार्य तौर पर पाना होगा।

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