OROP पर सुप्रीम कोर्ट की केंद्र को फटकार, कहा-आप कानून अपने हाथ में नहीं ले सकते

OROP: मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की बेंच ने आज इस मामले की सुनवाई करते हुए रक्षा मंत्रालय को निर्देश दिया कि वह 20 जनवरी को जारी किए गए आदेश को तत्काल वापस ले।

Update:2023-03-13 20:57 IST

OROP: पूर्व सैनिकों को वन रैंक-वन पेंशन (OROP) के तहत चार किस्तों में बकाए के भुगतान के आदेश पर देश की शीर्ष अदालत ने सख्त नाराजगी जताई है। सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने कहा कि चार किस्तों में भुगतान का आदेश जारी करके रक्षा मंत्रालय कानून को अपने हाथ में नहीं ले सकता।

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की बेंच ने आज इस मामले की सुनवाई करते हुए रक्षा मंत्रालय को निर्देश दिया कि वह 20 जनवरी को जारी किए गए आदेश को तत्काल वापस ले। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि इस आदेश को वापस लिए जाने के बाद ही भुगतान के लिए और समय दिए जाने के आवेदन पर विचार किया जाएगा।

रक्षा मंत्रालय को अधिसूचना वापस लेने का निर्देश

शीर्ष अदालत में सोमवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से वन रैंक-वन पेंशन के बकाए की एक किस्त का भुगतान कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि पूर्व सैनिकों को आगे की किस्मों के भुगतान के लिए और समय की आवश्यकता है। आने वाले समय में सरकार की ओर से अन्य बकाया किस्तों का भी भुगतान कर दिया जाएगा।
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि पहले रक्षा मंत्रालय वन रैंक वन पेंशन के बकाए के भुगतान के संबंध में गत 20 जनवरी को जारी अधिसूचना वापस ले। उसके बाद यही आवेदन पर विचार किया जाएगा। शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि रक्षा मंत्रालय की ओर से 20 जनवरी को जारी परिपत्र उसके फैसले के पूरी तरह विपरीत था।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि रक्षा मंत्रालय की ओर से एकतरफा तौर पर यह नहीं कहा जा सकता कि पूर्व सैनिकों के बकाए का भुगतान चार किस्तों में किया जाएगा। अदालत ने कहा कि इस तरह का पत्र जारी करके आप कानून को अपने हाथ में नहीं ले सकते।

सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रुख

पीठ की ओर से अटॉर्नी जनरल को निर्देश दिया गया कि वे बकाए के भुगतान के संबंध में पूरा विवरण तैयार करें। इसमें भुगतान की जाने वाली राशि, भुगतान के तौर-तरीकों और सरकार की प्राथमिकता का पूरा जिक्र किया जाए। तीन सदस्यों की बेंच ने कहा कि बकाए के भुगतान में किसी भी प्रकार का वर्गीकरण नहीं किया जाना चाहिए और इस मामले में वृद्ध लोगों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
बेंच ने इस बात का प्रमुखता से जिक्र किया गया इस मामले की सुनवाई शुरू होने के बाद अब तक करीब चार लाख पेंशनभोगियों की मृत्यु हो चुकी है। इससे पहले वन रैंक-वन पेंशन मामले की सुनवाई गत फरवरी महीने में हुई थी और उस समय सुप्रीम कोर्ट ने एक किस्त में बकाया राशि के भुगतान का आदेश दिया था।

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