Supreme Court: आनंद मोहन की रिहाई पर SC से बिहार सरकार को बडा़ झटका! दो हफ्ते में मांगा जवाब
Supreme Court: पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ दाखिल की गई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सोमवार (8 मई) को सुनवाई हुई। सु्प्रीम कोर्ट ने डीएम जी कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया की याचिका पर सुनवाई करते हुए बिहार सरकार और आनंद मोहन को नोटिस जारी किया।
Supreme Court: पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ दाखिल की गई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सोमवार (8 मई) को सुनवाई हुई। सु्प्रीम कोर्ट ने डीएम जी कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया की याचिका पर सुनवाई करते हुए बिहार सरकार और आनंद मोहन को नोटिस जारी किया। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार और आनंद मोहन को नोटिस जारी करते हुए दो हफ्तों के अंदर जवाब मांगा हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इसके अलावा बिहार सरकार से आनंद मोहन की रिहाई से जुड़ा रिकार्ड भी देने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट की नोटिस के बाद बिहार सरकार और आनंद मोहन को दो सप्ताह के अंदर जवाब देना होगा।
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को जस्टिस सूर्यकांत और जेके माहेश्वरी की बेंच ने सुनवाई की। कोर्ट ने बिहार सरकार के साथ ही आनंद मोहन को भी नोटिस देने के लिए कहा। वहीं आईएएस जी कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया की तरफ से सिद्धार्थ लूथरा नें पक्ष रखा।
IAS जी कृष्णैया की पत्नी की याचिका पर हुई सुनवाई
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में दिवगंत आईएएस अधिकारी जी कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया ने दायर की थी। इससे पहले, उमा कृष्णैया ने प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से आनंद मोहन की रिहाई के मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि इससे अपराधियों के हौसले बुलंद होंगे और समाज में एक गलत संदेश जाएगा। दरअसल. गोपालगंज जिले के आईएएस अधिकारी जी कृष्णैया की 1994 में हत्या कर दी गई थी। इस मामले में बाहुबली नेता आनंद मोहन का सामने आया था। भीड़ को उकसाने के मामले में वह दोषी पाए गए थे, जिसके बाद उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई थी। हालांकि, बाद में कोर्ट ने उनकी सजा को बदलकर उम्रकैद में तब्दील कर दिया था।
रिहाई के लिए बिहार सरकार ने बदला नियम
बिहार की नीतीश सरकार ने बीते 10 अप्रैल को जेल मैनुअल में बदलाव किया था। इस बदलाव के तहत आनंद मोहन समेत 26 कैदियों को सहरसा जेल से रिहा किया गया था। बिहार सरकार ने जिस नियम को बदला था, उसमें पहले ड्यूटी के दौरान हत्या के मामले में जेल से रिहाई का प्रावधान नहीं था। सरकार ने इसे बदल दिया, जिसके बाद आनंद मोहन को रिहा किया गया।