राम मंदिर पर SC ने कहा- दोनों पक्ष आपस में सुलझाएं मामला, जरूरत पड़ने पर देंगे दखल

Update:2017-03-21 11:56 IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या राम मंदिर विवाद का बड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि दोनों पक्ष आपस में मिलकर इस मामले को सुलझाएं। इस पर सभी संबंधित पक्ष मिलकर बैठें और आम राय बनाएं। अगर बातचीत नाकाम रहती है तो सुप्रीम कोर्ट के जज मध्यस्थता को तैयार हैं। चीफ जस्टिस जेएस खेहर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एसके कौल की बेंच ने कहा कि यह मुद्दा काफी संवेदनशील है।

क्या कहा चीफ जस्टिस ने ?

राम मंदिर पर कोर्ट की टिप्पणी के बारे में याचिकाकर्ता सुब्रमण्यम स्वामी बताया कि चीफ जस्टिस ने कहा कि जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट के जज इस मामले में मध्यस्थता को तैयार हैं। कोर्ट ने दोनों पक्षों को बातचीत के लिए अगले शुक्रवार यानी 31 मार्च तक का समय दिया है। बता दें, सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा था कि यह संवेदनशील मुद्दा है और इस पर तुरंत सुनवाई की जरूरत है।

क्या बोले सुब्रमण्यम स्वामी ?

सुब्रमण्यम स्वामी के मुताबिक, कोर्ट में उन्होंने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि राम जहां पैदा हुए मंदिर वहीं बन सकता है। सरयू नदी के उस पार मस्जिद बनाई जा सकती है। हमें उम्मीद है कि मुस्लिम समुदाय इस सकारात्मक प्रस्ताव पर विचार करेगा।

ये आ रही हैं प्रतिक्रियाएं ?

राम मंदिर मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए मुस्लिम धर्मगुरु कल्बे जवाद ने कहा कि जो अदालत का फैसला होगा वो हमें मंजूर होगा। वहीं, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य फिरंगी महली ने कहा कि वो सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का सम्मान करते हैं। उम्मीद पर दुनिया कायम है और बातचीत से हर मामले का हल निकाला जा सकता है। यह बात अलग है कि राम मंदिर के मामले पर इससे पहले ही कई बार बातचीत हुई, लेकिन वो नाकाम रही। जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि बाबरी मस्जिद के मसले पर दोनों पक्षों को बैठकर हल निकालना चाहिए।

सीपीआई (एम) के सीताराम येचुरी ने इस पर कहा कि बातचीत से मसला नहीं सुलझा था, तभी तो मामला कोर्ट में गया था। वहीं, केंद्रीय मंत्री उमा भारती का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का कदम सराहनीय है। मेरा मानना है कि राम मंदिर का मसला कोर्ट के बाहर सुलझाया जा सकता है।





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