Supreme Court: अफसरों के पत्नियों की नियुक्ति के नियम बदले यूपी सरकार

Supreme Court: कोर्ट ने कहा कि ऐसी सोसायटियां जो सरकार से लाभ लेती हैं, वे सरकार के आदर्श नियमों, उपनियमों और निर्देशों को मानने के लिए बाध्य हैं।

Report :  Network
Update:2024-12-03 13:57 IST

Supreme Court (Pic:Social Media)

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में मुख्य सचिव या जिलाधिकारियों जैसे शीर्ष नौकरशाहों की पत्नियों को अलग-अलग सहकारी सोसायटियों में पदेन नियुक्ति देने को औपनिवेशिक सोच बताया है। शीर्ष अदालत ने यूपी सरकार को संबंधित नियमों में संशोधन करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि ऐसी सोसायटियां जो सरकार से लाभ लेती हैं, वे सरकार के आदर्श नियमों, उपनियमों और निर्देशों को मानने के लिए बाध्य हैं। यह मामला यूपी के बुलंदशहर जिले के जिलाधिकारी की पत्नी को जिला महिला समिति का पदेन अध्यक्ष बनने से जुड़ा हुआ है। कोर्ट ने कहा कि सरकार ऐसा उचित प्रस्ताव बनाकर उसका मसौदा अगली सुनवाई से पहले पेश करे। कोर्ट ने छह सप्ताह बाद फिर सुनवाई की तारीख तय की है।

सरकार को इन सोसायटियों के लिए आदर्श नियम बनाना चाहिए

जस्टिस सूर्यकांत व जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने यूपी सरकार के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज के उस दलील को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इन सोसायटियों की ओर से प्रतिरोध का सामना कर रही है। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, उन्हें औपनिवेशिक सोच से बाहर आने की जरूरत है। सरकार को इन सोसायटियों के लिए आदर्श नियम बनाना चाहिए।

सदस्यों के चयन के तौर-तरीके तय करे

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा, संशोधित प्रावधानों में यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रशासनिक अफसरों के परिवार के लोगों को कहीं भी पदेन यानी सिर्फ अधिकारी की पत्नी या उनके परिवार का सदस्य होने के कारण स्वतः किसी पद को संभालने का मौका न दिया जाए। जो भी सोसायटी इन आदर्श नियमों-उपनियमों की अवहेलना करेगी, उसकी वैधता खत्म करने का प्रावधान किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, यह विधायिका पर है कि वह जरूरी संशोधन करे और इन सोसायटियों के सदस्यों के चयन के तौर-तरीके तय करे। कोर्ट ने कहा कि सरकार ऐसा उचित प्रस्ताव बनाकर उसका मसौदा अगली सुनवाई से पहले पेश करे। कोर्ट ने छह सप्ताह बाद फिर सुनवाई की तारीख तय की है।

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