2025 तक इतने मिलियन स्मार्ट मीटर लगाने का लक्ष्य, इस रिपोर्ट के खुलासा से सरकार को लगा झटका

Smart Meter Installations: दिसंबर 2023 तक केवल 8 मिलियन स्मार्ट मीटर लगाए गए थे। इंस्टॉलेशन की वर्तमान गति को देखते हुए, 2025 तक 250 मिलियन पारंपरिक मीटरों को स्मार्ट मीटर से बदलने का भारत सरकार का लक्ष्य पूरा होने की संभावना नहीं दिखा रही है।

Report :  Viren Singh
Update:2024-01-10 18:14 IST

Smart Meter Installations: भारत में अगले दो वर्षों में घरों घरों में स्मार्ट मीटर लगाने की गति तो बढ़ती दिख रही है, लेकिन सरकार द्वारा 2025 तक देश भर में 250 मिलियन स्मार्ट मीटर लगाने का लक्ष्य पूरा होते नहीं दिखा रहा है। इस बात का खुलासा बुधवार को आईसीआरए की एक रिपोर्ट में हुआ है।

लग चुके 8 मिलियन स्मार्ट मीटर

बुधवार को रेटिंग एजेंसी की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य वितरण उपयोगिताओं या कंपनियों (डिस्कॉम) द्वारा स्मार्ट मीटर का पुरस्कार अब तक दिए गए 99 मिलियन से बढ़कर लगभग मध्यम अवधि में 222 मिलियन हो जाएगा। आईसीआरए के उपाध्यक्ष और कॉर्पोरेट रेटिंग के सह-समूह प्रमुख विक्रम वी. ने कहा कि दिसंबर 2023 तक स्वीकृत 222 मिलियन मीटर में से 99 मिलियन मीटर का अवार्ड दिया जा चुका है। हालांकि, मीटर इंस्टॉलेशन प्रगाति में कमी बनी हुई है।

दिसंबर 2023 तक केवल 8 मिलियन स्मार्ट मीटर लगाए गए थे। इंस्टॉलेशन की वर्तमान गति को देखते हुए, 2025 तक 250 मिलियन पारंपरिक मीटरों को स्मार्ट मीटर से बदलने का भारत सरकार का लक्ष्य पूरा होने की संभावना नहीं दिखा रही है।

दो वर्षों में आएगी मीटर लगाने में गति

उन्होंने कहा कि अगले दो वर्षों में इंस्टॉलेशन की गति में उछाल आने की संभावना है, शेष 123 मिलियन मीटर के लंबित अवार्ड के कारण निकट-से-मध्यम अवधि में टेंडरिंग गतिविधि उच्च रहने की उम्मीद है। विक्रम ने कहा, यह उन्नत मीटरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर सेवा प्रदाताओं (एएमआईएसपी) और मीटर निर्माताओं के लिए ऑर्डर बुक दृश्यता प्रदान करता है।

साल 2021 में शुरू हुई स्मार्ट मीटर स्कीम

स्मार्ट मीटर स्थापना केंद्र द्वारा जुलाई 2021 में शुरू की गई संशोधित वितरण क्षेत्र योजना (आरडीएसएस) का एक प्रमुख घटक है, जो स्मार्ट मीटर की स्थापना के लिए डिजाइन, निर्माण, वित्त, स्वामित्व, संचालन और हस्तांतरण (डीबीएफओटी) मॉडल का पालन करता है। कुल तकनीकी और वाणिज्यिक (एटीएंडसी) घाटे को कम करना और आपूर्ति की लागत और टैरिफ के बीच के अंतर को शून्य करना।

वाणिज्यिक घाटे पर ये है लक्ष्य

आरडीएसएस का लक्ष्य समग्र तकनीकी और वाणिज्यिक घाटे को अखिल भारतीय स्तर पर 12-15% तक कम करना और वित्त वर्ष 2015 तक आपूर्ति की औसत लागत और औसत वसूली योग्य राजस्व के बीच अंतर को समाप्त करना है। बिजली वितरण कंपनियों का तकनीकी और वाणिज्यिक घाटा वित्त वर्ष 2011 में 22.32% से घटकर वित्त वर्ष 2012 में 16.44% हो गया। आपूर्ति की औसत लागत और औसत वसूली योग्य राजस्व के बीच का अंतर वित्त वर्ष 2011 में ₹0.69/किलोवाट से घटकर वित्त वर्ष 2012 में ₹0.15/किलोवाट हो गया।

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